असंभव हुआ संभव ! भारतीय वैज्ञानिकों ने समुद्र के पानी को बनाया पीने योग्य !


ऐसे समय में जब पूरा देश पेयजल के गंभीर संकट से जूझ रहा है, सब ओर त्राहि त्राहि मची हुई है, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आशा की एक किरण जगाई है ! इन बैज्ञानिकों ने समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने की तकनीक ईजाद कर दिखाई है ! 

जैसा कि सभी जानते हैं कि धरती का तीन चौथाई भाग समुद्र है, किन्तु वह जल पीने योग्य न होने के कारण पेय जल का संकट खड़ा रहता है ! कई लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि अगला विश्वयुद्ध पेय जल को लेकर ही होगा ! लेकिन भारतीय प्रतिभा ने एक बार फिर चमत्कार कर दिखाया है ! भारत के सुदूर दक्षिणी कोने में ये वैज्ञानिक समुद्र के पानी से इस अद्भुत तकनीक द्वारा प्रतिदिन लगभग 63 लाख लीटर पीने योग्य पानी बना रहे हैं । 

उनका अगला कदम आर्सेनिक और यूरेनियम युक्त भूजल का शोधन तरीका विकसित करना है ! जो अगर संभव हुआ तो भारत का हर गाँव पेयजल संकट से मुक्त हो सकेगा । सोचिये कितनी बड़े क्रांति होगी यह ईजाद ! भूमिगत स्त्रोत से प्राप्त खारे पानी को अगर पीने योग्य बना लिया, तो पेयजल का संकट तो अपने आप दूर हो जाएगा !

तमिलनाडु के कलपक्कम में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा परमाणु रिएक्टर से अपशिष्ट भाप का उपयोग कर एक प्रायोगिक संयंत्र बनाया गया है जो समुद्री जल को शुद्ध कर इस समय प्रतिदिन 63 लाख लीटर पेय जल निर्मित कर रहा है।

वर्तमान में इस जल का उपयोग कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर में ही किया जा रहा है। लेकिन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के निदेशक के एन व्यास का कहना है कि शीघ्र ही इस तरह के संयंत्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी स्थापित किये जाने वाले हैं । 

श्री व्यास के अनुसार भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा इस प्रकार की अनेकों झिल्लियों का भी निर्माण किया गया है, जो बहुत कम लागत में यूरेनियम या आर्सेनिक से दूषित भूजल से भी शुद्ध पेयजल बना सकती हैं । यह पतली झिल्ली एक प्रकार से विशेष फ़िल्टर का काम करती है, जिनका उपयोग घरों में भी किया जा सकता है और गंदे से गंदे पानी को स्वच्छ पेय जल में बदला जा सकता है !

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अभी हाल ही में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की अपनी यात्रा के दौरान स्वयं एक साईकिल पर पैडल मारे ! घूमते हुए पैडल से पैदा होने वाली ऊर्जा गंदे और दूषित पानी को पीने योग्य पानी में बदलती है ।


साभार - http://www.msn.com/en-in/news/techandscience/inside-indias-top-nuclear-site-scientists-turn-sea-water-drinkable/ar-BBsGzq4?li=AAggbRN&ocid=UP97DHP

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