दादरी काण्ड - कुछ सुलगते सवाल

प्रकरण क्रमांक 1 

यह लगभग हर खासो आम को याद होगा कि 28 सितम्बर 2015 की रात्रि में नोएडा के दादरी बिसाहडा गाँव में भीड़ ने इकलाख नामक एक शख्स की पीटपीट कर ह्त्या कर दी थी तथा उसके बेटे दानिश को अधमरा कर दिया था ! गाँव के लोगों का आरोप था कि इकलाख के परिवार ने अपने पडौसी के बछड़े को मारकर उसका मांस अपने घर में पकाया तथा बचा हुआ मांस फ्रिज में रखा ! 

घटना के बाद 29 सितम्बर 2015 को इकलाख के घर में मिले मांस को दादरी स्थित वेटेनरी अस्पताल के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मथुरा स्थित फोरेंसिक लैब जांच के लिए भेजा ! ख़ास बात यह है कि मांस के नमूने की जांच रिपोर्ट 3 अक्टूबर 2015 को ही तैयार कर ली गई, जिसमें मांस के गौमांस होने की पुष्टि थी ! किन्तु यह रिपोर्ट दबा दी गई तथा भरपूर राजनीति गरमाई, देशभर में असहिष्णुता का राग अलापा गया, अनेक साहित्यकारों ने अपने पुरष्कार लौटाए !

स्मरणीय है कि उत्तरप्रदेश में गौवध पर प्रतिबन्ध है, उसके बाद भी ग्रामीणों ने जब पहली बार गौहत्या की आशंका जताते हुए मामले की शिकायत स्थानीय थाने में की थी, तब उसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई ! यदि उसी समय त्वरित कार्यवाही करते हुए इकलाख को गिरफ्तार कर लिया जाता तो यह शर्मनाक वाकया हुआ ही नहीं होता तथा इकलाख भी ज़िंदा होता ! किन्तु पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने से आक्रोशित ग्रामीणों ने क़ानून हाथ में लिया !

यहाँ कुछ सवाल आज भी अनुत्तरित हैं ! 

पुलिस ने गौवध की सूचना मिलाने के बाद तत्काल कोई कार्यवाही क्यों नहीं की ?

फोरेंसिक जांच रिपोर्ट को दबाकर इकलाख के घर से प्राप्त मांस को बेटेनरी विभाग ने बकरे का मांस किसके दबाब में घोषित किया ?

क्या अब जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद क्या इकलाख के परिवार पर गौकसी का मुक़दमा चलाने की हिम्मत अखिलेश प्रशासन दिखाएगा ?

इकलाख के परिवार को दयानतदारी दिखाते हुए जो क्षतिपूर्ति राशि (थोड़ी बहुत नहीं, पैंतालीस लाख रुपये और नॉएडा में तीन फ्लैट) दी गई थी, वह वापस ली जायेगी ?

जिन तथाकथित बुद्धिजीवियों ने देश के माथे पर असहिष्णुता का झूठा कलंक का टीका लगाया, क्या वे थोड़ा भी शर्मिन्दा महसूस करेंगे ? 

और अंत में ताजा समाचार कि जैसे ही फोरेंसिक जांच रिपोर्ट सामने आई पुलिस ने सक्रियता दर्शाते हुए त्वरित बयान जारी कर दिया कि जो मांस जांच के लिए भेजा गया था, वह इकलाख के घर से बरामद नहीं हुआ था, वह तो घर के पास स्थित ट्रान्सफार्मर के नजदीक मिला था ! दो और दो चार का हिसाब किताब अब पाठक गण स्वयं ही करते रहें !

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