पदोन्नति में आरक्षण कोई माई का लाल नहीं रोक सकता ! शिवराज जी की इस चुनौती पर सोशल मीडिया की तीखी प्रतिक्रिया


भाजपा के अतीव शुभचिंतक माने जाने वाले भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री रामभुवन सिंह जी कुशवाह की यह फेसबुक पोस्ट खतरे की घंटी है ! साथ ही इस पोस्ट पर जो कमेन्ट आये हैं, वे भी भाजपा को आत्मचिंतन का इंगित कर रहे हैं ! पर देखना होगा कि समय रहते नेत्रत्व सजग होता है, अथवा संगठन को आत्महत्या के रास्ते पर आगे बढाता है ! मुलाहिजा फरमाईये कुशवाह जी की पोस्ट का -

खबर है कि रीवा में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पदोन्नति के खिलाफ आवाज उठाई गई जिसे मुख्यमंत्री और अन्य भाजपा नेताओं ने दबा दिया। लोकतन्त्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार होना चाहिए। लोकतन्त्र एक व्यवस्था ही नहीं है, संस्कृति है। अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध लगाने के गंभीर परिणाम निकलते हैं। पाखंड फैलता है। हम करते कुछ हैं और बोलते कुछ। यह नहीं होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्णय के बाबजूद भाजपा सरकार पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने के पक्ष में है। यद्यपि आजादी के 68 साल बीत जाने के बाद अब आरक्षण का कोई औचित्य नहीं रहा। अब अगर जातीय भेदभाव है तो उसके कारण दूसरे हैं, जिसे आरक्षण से कभी भी दूर नहीं किया जा सकता। अब आरक्षण न केवल संविधान विरोधी है बल्कि अमानवीय है। मौजूदा आरक्षण के रहते 'समतामूलक जाति विहीन समाज' की कल्पना निरर्थक है। इसके बाद भी यदि आरक्षण जारी रखना अपरिहार्य है भी तो कम से कम अजा और जजा में 'क्रीमिलियर व्यवस्था' लागू करना अत्यावश्यक है। इसके बिना हम उस समुदाय का भी भला नहीं करेंगे ,जिनके प्रति हमारे नेताओं का अनुराग थमने का नाम ही नहीं लेता। 

यदि आरक्षण जारी रखना भी है तो उसकी 50% सीमा को बनाए रखना आवश्यक है। यदि उसे भी तोड़ना मजबूरी हो गया हो तो पदोन्नति में आरक्षण तो किसी भी सूरत में नहीं दिया जाना चाहिए। आरक्षण से सेवा में तो आ गए तो क्या अब काम भी नहीं करेंगे ? हद हो गई !देश के सब्र का कब तक परीक्षण लिया जाता रहेगा ? 

आरक्षण के ज्वालामुखी पर देश धधक रहा है और हम सत्ता के लिए चाहें जो कुछ बोल रहे हैं। भाषणों से भला नहीं होगा , नीति और नियति से भला होगा। गरीबी के उन्मूलन के लिए यदि अब हमने कुछ नहीं किया तो नब्बे के दशक की स्थिति पुनः आ सकती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है कि वे इस समस्या के लिए कुछ ठोस सोचेंगे और देश को टूटने और जलने से बचाएंगे।

उक्त फेसबुक पोस्ट पर आये कुछ कमेन्ट -

Hemant Kumar Pathak बेशक संवैधानिक मर्यादाओं का पालन होना चाहिए, जब निर्णय आ ही गया है तो हठधर्मिता से उठ रही आवाज़ को कुचलना न्याय, तर्क संगत नहीं।लुभाने वादे हमेशा नैय्या पार नहीं लगवा पते और सब को खुश रख सको इनकी अब सामर्थ्य नहीं।

Trilochan Tripathi भगवान् इन्हें सदबुद्धि दे ये नेता दलितों के हितैषी कभी नहीं कहे जा सकते। और हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इनके लिए कागज का टुकड़ा बन कर रह गया है। कोई भी मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जीवन भर पद पर नहीं रहेगा पर उसके कृत्य समाज को प्रभावित करते हैं। फिर आरक्षण नौकरी में तो ठीक पदोन्नति में कदापि नहीं होना चाहिए। यह तो कांग्रेस में एका नहीं है अन्यथा सरकार तो बदल जाती पिछले चुनाव में।

Shital Bhadoriya सफल सिंहस्थ के बाद मुख्यमंत्री में केवल और केवल अहंकार ही बढ़ा है बाँकी सब धूल गया ।अब वो जो भी बोलेंगे करेंगे सब का सब उल्टा ही होगा ।व्यापमं से बच् गए आरक्षण से नही बचोगे तुम कुछ भी कर लो ।

Kamal Mishra शिवराज सिंह चौहान सत्ता के मद में मस्त हैं और खिसकती जमीन नहीं देख पा रहे हैं । आरक्षण के लिए ऐसे बेचन हैं कि समझ से बाहर है ।अजाक्स के सम्मेलन में भी बिना बुलाए गए और आरक्षण के लिए गाने गाने लगे । आज जब ग्वालियर के नेता जय सिंह कुशवाह ने आवाज उठाई तो दबा दी गई । इनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है ये तो आप तय मानिए कांग्रेस का मटियामेट हो गया ब्राह्मण ठाकुर बनियों के छोडने से दुर्दिन प्रारंभ बाकी तो मास्टर देख लेंगे बचा हुआ

Ram Lakhan Kushwah Bharoli
Ram Lakhan Kushwah Bharoli उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति में आरक्षण असंवैधानिक करार दिये जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गयी चुनौती को सीधे और साफ शब्दों में नजरअंदाज करते हुए CM शिवराज सिंह चौहान ने साबित कर दिया कि वे प्रदेश की जनभावनाओ को ताक पर रखकर तानाशाह की ओर बढ रहे है। CM महोदय आज सत्ता तुम्हारे हाँथ में है। इसका मतलब यह नहीं कि सत्ता सदैव के लिए तुम्हारी बपौती हो गयी। दो वर्ष बाद तुम्हे जनता जनार्दन के सामने उपस्थित होना है। तब आप किस मुंह से अनारक्षित वर्ग से वोटो की मांग करोगे। अनारक्षित वर्ग के स्वाभिमान तथा उनके भविष्य से खिलवाड की राजनीति आपको करारी शिकस्त का स्वाद चखा सकती है।अतः नए वोटबैंक के चक्कर में आप पुराने व भरोसेमंद मतदाताओ की महत्ता को कमतर आंकने की भूल न करे। आज भाजपा जहाँ है, उसमे इन्ही भरोसेमंद मतदाताओ की सर्वोपरि भूमिका है। कृपया अपनी नीति पर पुनर्विचार अवश्य करे। अन्यथा पूरी के चक्कर में आधी से भी हाँथ धो बैठोगे ....... ?

Sunil Bagre सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत ही संतुलित निर्णय दिया है , आरक्षण रहे परन्तु प्रारंभिक नियुक्ति के समय , पदोन्नति तो वरीयता के आधार पर हो ! इसे मुख्यमंत्री द्वारा नकारना और वह भी "कोई माई का लाल" कहकर ललकारते हुए , यह तो उनके उच्च पद की मर्यादा के विपरीत है !

Dileep Awasthi बिहार से सबक नहीं ले सके मा. संघ प्रमुख जी की तत्समय की आरक्षण पर टिप्पणी का तथाकथित दुष्प्रभाव रोकने के लिए शिवराज जी जैसे भाषण आरक्षण के संबंध में बिहार चुनाव में दिए गये थे परिणाम सामने है । जिनके लिए चूडियाँ फोडी उन्होंने तो मांग भरी नहीं जो सुहागन बना सकते थे उन्होंने फिर साथ दिया नहीं । फिर भी विचार न कर उस विषय को आंतरिक लोकतंत्र में भी दबाना आत्मघाती होगा ।

Virendr Bhadouriya फैसन चल गया है आरक्षण के पक्ष मै बोलने का,जो इसके विरोध मै बोलते हैं सनकी व् अनुशासन हीन माने जाते हैं, आप जैसे लोग साहस कर आवाज उठा रहे हैं तब जरूर परिणाम अच्छे ही आयेगे

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