हर मानक पर खरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमरीकी संसद में दिया गया भाषण !


विदेश नीति की ठोस उपलब्धियों की दृष्टि से देखें तो नरेंद्र मोदी की यह अमेरिका-यात्रा सबसे अधिक सार्थक रही। जो ठोस उपलब्धि हुई है, वह यह कि ‘प्रक्षेपास्त्र तकनीक नियंत्रण संगठन’ (एमटीसीआर) की सदस्यता भी भारत को मिल गई है। बस उसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। भारत की सदस्यता पर कुछ देशों ने आपत्ति की थी। उस आपत्ति को जताने की अंतिम तिथि 6 जून को पूरी हो गई है। 34 में से एक भी देश भारत के विरुद्ध नहीं गया।

अब भारत को सर्वश्रेष्ठ मिसाइल और तकनीकों को खरीदने और अपने सुपरसोनिक क्रूज और ब्राह्मोज़ मिसाइल बेचने की सुविधा मिल जाएगी। जाहिर है कि यह सुविधा अमेरिकी समर्थन के बिना नहीं मिल सकती थी। इसके साथ-साथ 2008 में हुआ भारत-अमेरिकी परमाणु-सौदा अधर में लटका हुआ था। अब उसके तहत आंध्र में छह परमाणु-भट्टियों पर काम शुरु हो जाएगा

इस यात्रा का सबसे अहम पड़ाव है नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को यूएस कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन को संबोधित किया जाना । पंडित नेहरू, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के बाद वे अमेरिकी संसद में स्पीच देने वाले छठवें भारतीय प्रधान मंत्री रहे। 1949 में पहली बार पंडित नेहरू ने यहां स्पीच दी थी। पिछली बार 2005 में मनमोहन यहां आए थे। मोदी को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर पॉल रेयान ने आमंत्रित किया था। 

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में मोदी के आते ही अमेरिका सांसदों ने खड़े होकर जिस गर्मजोशी से तालियां बजाईं उसने विवेकानंद जी के शिकागो सम्मेलन में दिए भाषण की याद ताजा कर दी । ताली तब तक बजती रही जब तक पीएम वहां मौजूद सांसदों से मिलते रहे। मोदी की 48 मिनट की स्पीच के दौरान भी 66 बार तालियां बजीं और 8 बार तो तालियाँ बजाते उत्साहित सांसद खड़े हो गए । तीन ऐसे मौके भी आए जब अमेरिकी सांसदों ने जोरदार ठहाके लगाए। 

नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण का प्रारम्भ करते हुए कहा कि मैं इस निमंत्रण से बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मेरे लिए दरवाजे खोलने के लिए आभार। मैं दुनिया की इस प्राचीन संसद के सदस्यों को संबोधित करते हुए स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । दो दिन पहले मैं आर्लिंगटन नेशनल सेमिटेरी गया था जहां इस महान देश के बहादुर लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है। डेमोक्रेसी और देश की जनता की आजादी को लेकर हमारा यकीन और सभी सहअस्तित्व का सिद्धांत हमारे बीच समान है। हमारे पूर्वजों ने इसी पर काम काम किया है। जब भारत नया-नया आजाद हुआ था तो कई लोगों को संदेह था कि यहां डेमोक्रेसी रह पाएगी या नहीं। हमारे भविष्य पर शक किया गया। लेकिन भारत की जनता पीछे नहीं हटी। हमारे निर्माताओं ने स्वतंत्रता, प्रजातंत्र और समानता के आधार पर नए देश को रचा। उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि हजारों साल पुरानी विविधता देश में कायम रहे।

यह इस महान देश की स्पिरिट दिखाता है। अब्राहम लिंकन के शब्दों में इसे लिबर्टी कहा जाता है। वे कहते हैं कि हर इंसान एक समान है। इस मौके के जरिए आपने दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र और वहां रहने वाले सवा सौ करोड़ लोगों को सम्मानित किया है।

मोदी ने योग का जिक्र करते हुए कहा कि, ''भारत के हजारों साल पुराने योग को यूएस में 3 करोड़ लोग फॉलो करते हैं। कर्व बॉल थ्रो करने से ज्यादा योग के लिए यहां के लोग अपने शरीर को मोड़ते हैं। ...और हमने अब तक योग पर इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट का दावा भी नहीं ठोंका है।'' स्वाभाविक ही उनके इस कथन पर सदन में ठहाके गूंजने लगे !

मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद को लेकर भारत की चिंता को भी अभिव्यक्त किया ! उन्होंने कहा कि आतंकवाद का सबसे बड़ा खतरा अब भी कायम है। भारत की पश्चिम की सीमा (पाकिस्तान) से लेकर अफ्रीका तक आतंकवाद अलग-अलग नामों से मौजूद है। 'कहीं वह लश्कर-ए-तैयबा है तो कहीं तालिबान और आईएसआईएस है। उनकी सोच नफरत, हत्याओं और हिंसा की है। इसकी परछाई दुनियाभर में बढ़ रही है। भारत के पड़ोस में आतंकवाद को पाला-पोसा जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम इस सिक्युरिटी कोऑपरेशन बढ़ाएं और उन लोगों को अलग-थलग कर दें जो आतंक को पनाह देते हैं और उसे बढ़ने का मौका देते हैं। गुड और बैड टेररिज्म कुछ नहीं होता। जो हिंसा को मजहब से जोड़े, वह आतंकवाद होता है। हमें एक आवाज में इसके खिलाफ खड़े होना है। टेररिज्म से पुरजोर तरीके से निपटना होगा।

उन्होंने पाकिस्तान के साथ एफ-16 फाइटर प्लेन की डील में ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से सब्सिडी नहीं दिए जाने के फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं यूएस कांग्रेस का आभारी हूं कि आपने ऐसी ताकतों को बढ़ने नहीं दिया, जो अपने राजनीतिक फायदों के लिए टेररिज्म को एकतरफ बढ़ावा देते हैं और दूसरी तरफ उसके खिलाफ उपदेश देते हैं,! मैं आभारी हूं कि आपने एक ही बार में ऐसी ताकतों को सिरे से नकार दिया।

स्मरणीय है कि यूएस कांग्रेस के सख्त एतराज के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर प्लेन के लिए मदद देने से इनकार कर दिया था।

इससे पहले यूएस कांग्रेस में यह बात उठी थी कि पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर प्लेन न बेचें जाएं, क्योंकि वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ करेगा। यूएस कांग्रेस की रोक के बाद ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन पाकिस्तान को जेट तो बेचना चाहता है, लेकिन अब इस डील में अमेरिकी फंड का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यहाँ ध्यान देने योग्य है कि फंड को रोकने या बांटने की अथॉरिटी सिर्फ कांग्रेस के पास है।

श्री मोदी ने उल्लेख किया कि वाजपेयी ने इसी मंच पर खड़े होकर कहा था कि हमें अतीत की हिचक को भूला देना चाहिए। आज हम अतीत की हिचक को पीछे छोड़ आए हैं। आज हमारे रिश्तों और बातचीत में सहजता का भाव है।

जब उन्होंने कहा कि गांधीजी और मार्टिन लूथर किंग की सोच एक जैसी थी और गांधीजी ने मार्टिन लूथर किंग को प्रेरणा दी थी, तो सदन एक बार फिर तालियों से गूंज उठा । उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहब अंबेडकर पर अमेरिकी संविधान का प्रभाव रहा। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि भारत और यूएस नैचुरल अलाई हैं।

मोदी ने मनमोहन सिंह जी को भी श्रेय देते हुआ कहा कि सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट होने से दोनों देशों के बीच रिश्तों में नया पड़ाव आया।

मोदी ने अपनी स्पीच में दोनों देशों की संस्कृति, विचारधारा के अलावा दोस्ती को लेकर ज्यादा जोर दिया। उन्होंने कहा हम ऐसा मानते हैं कि ताकतवर और खुशहाल भारत अमेरिका के स्ट्रैटजिक इंटरेस्ट में शामिल है। हम मिलकर काम करेंगे तो दुनिया ताकत बनेगी। 'हमारे बीच बातचीत की गर्मजोशी बढ़ी है। यूएस कांग्रेस ने इसमें मदद की है। आपने रुकावटों को पार्टनरशिप बढ़ाने के जरियों में बदल दिया है। सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुआ तब दोनों देशों के बीच रिश्तों में नया पड़ाव आया। जब नवंबर 2008 में हमारी सरहद में आतंकी घुसे थे तो अमेरिकी कांग्रेस ने हमारे प्रति एकजुटता दिखाई थी। हम इसके शुक्रगुजार हैं।

वॉशिंगटन आने से पहले मैं अफगानिस्तान के हेरात में गया था। वहां मैंने फ्रेंडशिप डैम का इनॉगरेशन किया था। इससे पहले वहां की संसद का इनॉगरेशन किया था जो हमारे मजबूत रिश्तों को बयान करती है। अफगानिस्तान के लोग जानते हैं कि वे बेहतर जिंदगी जी सकें, इसके लिए अमेरिका के लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। भारत ने भी अफगानिस्तान के लोगों के साथ दोस्ती के लिए बहुत योगदान दिया है।

अमरीकी अर्थ व्यवस्था में भारतीयों के योगदान को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि आपके बेस्ट सीईओ, एस्ट्रॉनेट्स, साइंटिस्ट, डॉक्टर्स और यहां तक कि स्पेलिंग बी कॉम्पीटिशन में भी भारतीय शामिल हैं। वे आपकी मजबूती तो हैं ही। लेकिन वे प्राइड ऑफ इंडिया भी हैं।

जैसे ही उन्होंने अपनी स्पीच खत्म की अमेरिकी सांसदों में उनका ऑटोग्राफ लेने की होड़ लग गई।


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