दलितों को पुजारी बनाने पर बिफरे ब्राह्मण संगठन ब्राह्मण बंधू के धर्मांतरण मामले पर क्योँ साधे है चुप्पी ?

दिवाकर शर्मा - ताजा तरीन मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले का है जहाँ शिक्षा की आड़ में मिशनरी स्कूल के द्वारा हिन्दुओं के धर्मान्तरण का सनसनीखेज मामला सामने आया है ! मामला यह है कि शहर के एक मिशनरी विद्यालय सेंट बेनेडिक्ट स्कूल में परीक्षा उतीर्ण कर चुके एक मासूम बच्चे को मानसिक प्रताड़ना देकर सुनियोजित तरीके से फ़ैल करने की धमकी दे कर धर्मांतरण करने पर विवश किया गया ! मामला सामने आया तो प्रशासन के हाथ पाँव फूल गए ! किन्तु इस मामले में गौर करने वाली बात यह है कि पीडित परिवार ब्राह्मण होने के बावजूद है अभी तक उस ब्राह्मण समाज ने चुप्पी साध रखी है जो मध्यप्रदेश में दलितों को पुजारी बनाने की शिवराज सिंह की घोषणा मात्र से बिफर पड़ा था ! उस समय विफरे ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों को अपने ही समाज बंधू से होता अन्याय आखिर क्योँ दिखाई नहीं दे रहा, यह एक यक्ष प्रश्न है ?

धर्मांतरण के मामले की पूरी कथा पढ़ें ........ http://www.krantidoot.in/2016/07/Conversion-in-the-guise-of-missionary-school-in-Shivpuri-MP.html

कभी मध्यप्रदेश की राजनीति में खासा वर्चस्व रखने वाला ब्राह्मण समाज आज राजनीति में हासिये पर है और जो चुनिन्दा ब्राह्मण प्रतिनिधि हैं भी उनमें वे कहने भर को ब्राह्मण हितैषी हैं, किन्तु वे वस्तुतः केवल और केवल राजनेता हैं, जो अपनी राजनीति चमकाने हेतु मौके की तलाश में रहते हैं ! 

यदि मध्यप्रदेश की राजनीति के इतिहास पास नजर डाली जाए तो समझा जा सकता है कि शुरुआती दौर में प्रदेश की राजनीति पर ब्राह्मणों के वर्चस्व का सबसे बड़ा कारण स्वतंत्रता की लड़ाई में ब्राह्मणों की भूमिका रही थी ! जिस कारण तत्कालीन ब्राह्मण नेता अपने समाज में खासे लोकप्रिय रहे और सत्ता आने पर या विपक्ष में रहते हुए भी महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे, परन्तु दुर्भाग्य से आज स्थिति बिलकुल विपरीत है ! आज के ब्राह्मण समाज के स्वयंभू नेताओं की सामाजिक स्थिति पर यदि नजर डाली जाए तो उन्हें वह स्थान बिलकुल भी प्राप्त नहीं है ! वे महज ढिंढोरा पीटते है, स्वयं को ब्राह्मण समाज का हितैषी और ब्राह्मणों की लड़ाई लड़ने वाला दर्शाते हैं ! किन्तु झूठी हुंकार भरने वाले इन ब्राह्मण नेताओं की कलई शिवपुरी में एक ब्राह्मण परिवार के जबरन धर्मांतरण के दवाब वाले मुद्दे पर पूरी तरह खुल गई है ! इस संवेदनशील मुद्दे पर लड़ाई लड़ना तो दूर की बात किसी भी ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि ने मामला उजागर होने के बाद अभी तक उस परिवार को साहस  या ढांडस भी नहीं बंधाया है !

शुरू के ब्राह्मण नेताओं ने सभी वर्गों को साथ लेकर समाज के सर्वांगीण विकास की बात की अतः उनके नेतृत्व को किसी ने चुनौती नहीं दी, परन्तु आज के ब्राह्मण समाज के नेता अन्य वर्गों को छोडिये स्वयं के समाज के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ एकजुट नहीं हो पा रहे है ! आज के ब्राह्मण समाज के नेताओं को ब्राह्मण समाज की याद तब आती है जब चुनाव सर पर होते है !

जब शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश में दलितों को कर्मकांड की शिक्षा दिलाने और प्रदेश के सरकारी मंदिरों में पुजारी बनाने की घोषणा की, तब प्रचारित किया गया कि उनकी इस घोषणा के विरोध में समस्त ब्राह्मण समाज एक जुट है ! चाहे भाजपाई हो या फिर कांग्रेसी सभी एक मंच पर आकर सरकार के इस फैसले की खिलाफत कर रहे थे ! कहा गया कि सरकार की योजना सिर्फ ब्राह्मण विरोधी ही नहीं, सनातन धर्म विरोधी भी है ! ब्राह्मण समाज के तथाकथित सर्वे सर्वाओं का जागा वह ब्राह्मण समाज प्रेम आखिर एक ब्राह्मण परिवार के धर्मांतरण के मामले पर आकर क्योँ चुप्पी साध जाता है ? शायद अभी ब्राह्मण समाज के नाम पर प्रसिद्धि पाने का कोटा हाउस फुल चल रहा है !

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