लाईफ को अर्थपूर्ण बनाने के लिए आईएएस बनने का लिया निर्णय - आईएएस टॉपर (एआईआर 13) सिद्धार्थ जैन

शिवपुरी - आईआईटी रूड़की में कैरियर के तीसरे साल में जब मैं अपने मित्रों से संवाद कर रहा था उस दौरान मुझे आईएएस बनने का याल आया। क्योंकि इस कैरियर में जहां रोचक, रोमांचक और चुनौतियों से परिपूर्ण जिंदगी जीने का मौका मिलता है वहीं दूसरी ओर समाज को भी आप अपना अधिक से अधिक सकारात्मक और रचनात्मक योगदान कर सकते हैं। सही मायनों में लाईफ को अर्थपूर्ण बनाने के लिए मैने आईएएस बनने का निर्णय लिया। उक्त उदगार आईएएस परीक्षा 2015 में आईएएस टॉपर सिद्धार्थ जैन ने इस संवाददाता से चर्चा में व्यक्त किए। 24 वर्षीय श्री जैन का शिवपुरी से भी गहरा नाता है और वह यहां बचपन में कई बार आए हैं। सिद्धार्थ शिवपुरी के वरिष्ठ पत्रकार अशोक कोचेटा की भांजी डॉ. अनीता जैन के सुपुत्र है। 

फरीदाबाद निवासी सिद्धार्थ जैन के पिता अरविन्द जैन चार्टड एकाउटेंट हैं। उन्हें यह सफलता अपने दूसरे प्रयास में मिली है। उनका शैैक्षणिक कैरियर भी बहुत जोरदार रहा है। मैट्रिक परीक्षा में जहां उन्होंने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए वहीं इंटरमीडियेट परीक्षा में उनके अंकों का प्रतिशत 91 रहा। आईएएस के साथ-साथ वह इंडियन फॉरेस्ट सर्विस और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर भी चयनित हो चुके हैं। इससे उनकी मेघा और प्रतिभा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। आईआईटी रूड़की से मैकेनिकल इंजीनियर सिद्धार्थ जैन से जब मैने पूछा कि 18 से 20 लाख का अच्छा भला पैकेज छोड़कर वह आईएएस क्यों बने? उनका जवाब सुनकर लगा कि सिद्धार्थ नहीं बल्कि सिद्धार्थ का बुद्धत्व उभरकर सामने आ गया हो। उन्होंने प्रति प्रश्न किया कि क्या धन कमाना ही एक मात्र जीवन का लक्ष्य है? इंजीनियर तो बन गया, लेकिन मेरे मन में जीवन का इंजीनियर बनने की ललक थी। मेरा दूसरा सवाल था कि क्या नाम कमाने की इच्छा ने उन्हें आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया। इस सवाल पर सिद्धार्थ मुस्कराये और बोले ऐसा कतई नहीं है। यह सब मन की इच्छायें हो सकती है, लेकिन फिर बुद्ध स्टाईल में उनका जवाब था कि एक अंतर आत्मा भी होती है और उसकी संतुष्टि सबसे महत्वपूर्ण है। आत्म संतुष्टि (इनर सेटिसफेक्शन)की कामना ने उन्हें आईएएस बनने के लिए उत्साहित और प्रेरित किया। मैं भी निपट अनाड़ी और भोला बन गया और उनसे पूछा कि आईएएस बनने से आत्मसंतुष्टि का क्या संबंध है? इस पर प्रतिभाशाली सिद्धार्थ का मेघा से परिपूर्ण जवाब था कि यह एक ऐसी सेवा है जहां आपके कामों का अधिकतम प्रभाव समाज पर परिलक्षित हो सकता है। समाज को दिशा और नेतृत्व देने का काम आप कर सकते हैं। कैसे देंगे आप समाज को दिशा? उन्होंने अंग्रेजी में जवाब दिया ' Honesty is the best policy' | ईमानदारी आपके चरित्र में भी होना चाहिए और कर्म में भी। ईमानदारी वह पूंजी है जिससे आप किसी भी तरह के दवाब को अच्छी तरह से हैडिल कर सकते हैं। 

सिद्धार्थ बताते हैं कि दिल्ली के डीसीपी भी आईआईटी रूड़की से इंजीनियर है और मुझ से काफी सीनियर है। उन्होंने हमें बुलाकर टिप्स भी दी कि आईएएस बनने के बाद किस अच्छी तरह से दवाबों को फेस किया जा सकता है। लेकिन शासकीय सेवाओं में बढ़ रहे भ्रष्टाचार से वह अपने आपको कैसे दूर रख सकेंगे? सिद्धार्थ कहते हैं मुझे अपने शिक्षक की वह नसीहत हमेशा याद रहेगी जिसमें उन्होंने मुझ से कहा कि जिले के राजा बनने जा रहे हो भिखारी की तरह हाथ मत फैलाना। आईएएस बनने के बाद उनकी प्राथमिकता क्या रहेंगी? सिद्धार्थ ने साफ-साफ कहा कि हर राज्य और हर जिले की प्राथमिकतायें अलग-अलग होती हैं। इसलिए सीधे-सीधे इस सवाल का जवाब मैं देने की स्थिति में नहीं हूं, लेकिन सही मायनों में शासकीय जनहितकारी योजनाओं का ठीक ढंग से क्रियान्वयन हो और ईमानदारी से मैं समाज की सेवा कर सकूं यही लक्ष्य रहेगा। सफलता का श्रेय वह किसे देंगे? उनका जवाब है निश्चित रूप से मित्रों को। वह कहते हैं उनकी सफलता में मित्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आईएएस परीक्षा के तनाव को दूर करने में मित्र सहायक सिद्ध हुए हैं। आईएएस परीक्षा की तैयारी उन्होंने अपने तीन मित्रों के साथ ग्रुप डिस्कसन को आधार बनाकर की थी और इसके चमत्कारिक परिणाम भी प्राप्त हुए। श्री जैन के साथ उनके मित्र ईशेन्द्र कश्यप का कस्टम सेवा में और अभिनाष कुमार का विदेश सेवा में चयन हुआ है। 

आईएएस बनने के इच्छुक प्रतियोगियों को संदेश 

आईएएस सिद्धार्थ जैन से जब पूछा गया कि आईएएस बनने के इच्छुक युवाओं को वह क्या संदेश देना चाहते हैं? तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें सबसे पहले अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि सकारात्मक ऊर्जा परिपूर्ण लोगों के बीच रहें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाकर रखें। साथ ही योग, विपश्यना, ध्यान, खेलकूंद आदि से भी जुड़े रहें। सिद्धार्थ कहते हैं कि मैं प्रतिदिन एक या कई खेल खेलता हूं और शाम को विपश्यना करता हूं। प्रतिदिन समाचार पत्र और मासिक पत्रिकाओं को पढऩा चाहिए और उनके लेखों के विभिन्न आयामों का विशलेषण करना चाहिए। प्रत्येक विषय पर समान रूप से ध्यान देना चाहिए तथा ऐच्छिक विषय का सोच समझकर चयन करना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि प्रत्येक विषय के सॉ ट नोट तैयार कर उनका अध्ययन करना चाहिए। वह कहते हैं कि मैने आईएएस बनने के लिए प्रतिदिन 12 से 13 घंटे पढ़ाई की है। विषय पर मित्रों से ग्रुप डिस्कशन करना काफी लाभकारी साबित होता है।

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