एक छोटा सा समाचार - मंदसौर ने दिया माकूल जबाब आतंक की नर्सरी को !

रमज़ान के महीने में , 27वीं रात सबसे पवित्र मानी जाती है । इसे Night of destiny या अरबी में Lailatul Qadr कहते हैं । ऐसा माना जाता है कि इसी रात को अल्लाह तआला ने क़ुरआन नाज़िल की थी ।

मुसलमान सारी रात जाग के जश्न मनाते हैं । मौलानाओं की तकरीरें होती हैं ।

नौजवान शांतिदूतों का जश्न मनाने का तरीक़ा थोड़ा अलग होता है । ये शांतिदूत रात भर अपनी दोपहिया वाहनों पर सवार होकर सडकों पर हुड़दंग करते हैं । हिन्दू मुहल्लों में खड़ी बाइक गिरा देते हैं । गाड़ियों के शीशे फोड़ दिए जाते है ।

इस से पहले मन्दसौर के इर्द गिर्द छोटे कस्बों और गाँवों में ऐसे ही जश्न मनाया जाता था और हिन्दू चुपचाप बर्दाश्त कर लेते थे । कल 27वीं रात भाई लोग ने फिर जश्न मनाया । पूरे शहर में रात भर आसमानी किताब उतरी । सुबह लोग सो के उठे , कोई प्रतिक्रिया नहीं । कोई कुछ नहीं बोला । सब शांत रहे ।

आँखों ही आँखों में इशारे हुए । किसी को कानोकान खबर न हुई । और आज , ईद से एक दिन पहले , जब कि बाज़ार में खरीदारी का दिन है , पूरा मन्दसौर बंद है । आज और कल दोपहर 2 बजे तक पूरा मन्दसौर बंद रहेगा । बाज़ारों में सन्नाटा पसरा है । किसी ने कोई बंद या हड़ताल का आह्वाहन नहीं किया । ये स्वतः स्फूर्त बंद है । शांतिप्रिय लोगों को उन्ही की भाषा में जवाब दिया है मन्दसौर ने । ईद मनाना और जश्न मनाना सिखा दिया है मन्दसौर ने ।

दुष्ट को उसी की भाषा में जवाब दो । आतंक की नर्सरी को शुरू होने से पहले बंद करना जरूरी है !

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