केजीबी के एजेंट का हैरतअंगेज खुलासा - कैसे किया भारतीय शैक्षणिक संस्थाओं का सत्यानाश ?



यह फोटो है यूरी बेज्मेनोव का जो किसी जमाने में सोवियत संघ संचालित केजीबी का एजेंट हुआ करता था ! आजकल सोशल मीडिया पर इनका एक आत्म स्वीकृति पूर्ण वीडिओ साझा हो रहा है, जिसमें इन्होने भारत को अन्दर से खोखला करने की सोवियत योजना का खुलासा किया है !

वीडियो में यूरी विस्तार से वर्णन करते है कि कैसे कम्यूनिज्म के जहर को भारतीय समाज में दाखिल करने कि योजना बनाई गई, ताकि अन्दर से ही भारतीय संस्कृति की धज्जियां उडाई जा सकें ! सोवियत संघ के लिए उसने स्वयं यह भूमिका कैसे निबाही, इसे भी यूरी वर्णन करते है ! सबसे पहले तो उन्होंने यह निरीक्षण और शोध किया कि ऐसे कौन से प्राध्यापक और अध्यापक हो सकते हैं, जो उनके काम आ सकें ! उसके बाद उन्हें उन्हें रूस में आमंत्रित कर उनका ब्रेन वाश कर उन्हें और अधिक उपयोगी बनाने की कार्य योजना पर काम हुआ ! इस सुविचारित रणनीति से सम्पूर्ण देश में अपने प्रति बफादार लोगों की फ़ौज तैयार करने में उन्हें आशातीत सफलता भी मिली !

अगर ध्यान दें तो समझ में आयेगा कि यह सोवियत एजेंट का कितना बुद्धिमत्ता पूर्ण कार्य था ! एक अध्यापक के पास ही वह शक्ति होती है, जो ऊर्जा से भरे हुए युवा मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है ! बस थोडा सा बुरा और उत्तेजक मार्गदर्शन उन्हें उस कम्यूनिज्म की तरफ ले जा सकता था, जैसा कि सोवियत संघ चाहता था !

बेज्मेनोव ने धीरे धीरे पर सुनिश्चित तरीके से सोवियत संघ का प्रभाव भारत में स्थापित करने में सफलता पाई ! उसी दौरान सोवियत केन्द्रीय समिति ने विभिन्न देशों में स्थापित अपने सभी दूतावासों में एक गुप्त अभियान संचालित किया, जिसका नाम था रिसर्च एंड काउंटर प्रोपेगंडा ग्रुप ! जैसा कि इसके नाम से ही समझ में आता है यह काम शोध और प्रचार केन्द्रित था ! बेज्मेनोव को इस इस विभाग का डिप्टी चीफ नियुक्त किया गया ! उसने खुफिया तौर पर भारत वर्ष के लगभग प्रत्येक राजनैतिक और प्रभावशाली व्यक्ति की जानकारी अपने स्तर पर एकत्रित की !

इनमें से जो लोग सोवियत संघ के अनुकूल थे, उन्हें केजीबी द्वारा अभियान चलाकर शक्ति देकर सत्ता के केंद्र के रूप में प्रभावशाली बनाया गया ! और जिन्होंने भी उनसे असहमति जताई, मीडिया और प्रेस के माध्यम से उनके चरित्र हनन का प्रयत्न किया गया ! 

बेज्मेनोव ने वीडियो में बताया है कि उसे निर्देश थे कि वह बामपंथी विचार और सिद्धांत पर समय बर्वाद न करे, क्योंकि इसके विपरीत परिणाम आने की आशंका थी ! विचारवान लोग सोवियत संघ की असलियत सामने आने के बाद घातक भी सिद्ध हो सकते थे ! उसे हैरत हुई थी जब उससे कहा गया कि वह स्थापित रूढ़िवादी मीडिया, धनी फिल्म निर्माता, बुद्धिजीवियों और आत्मकेन्द्रित कुटिल व अनैतिक लोगों पर ध्यान केन्द्रित करे !

अब अगर विचार करें तो दो जमा दो चार पर पहुँचते किसी को देर नहीं लगेगी ! समझ में आ जाएगा कि क्यों जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, यादवपुर विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, आदि जैसे भारतीय विश्वविद्यालय ऐसे बने । यह वीडिओ लम्बा अवश्य है पर हर अंग्रेजीदां को देखना और समझना चाहिए -

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