बहुत हुआ अब बंद भी करो इस्लाम को शांति का मजहब बताना - तसलीमा नसरीन

Nasreen Taslima

विस्थापित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने दावा किया है कि हाल ही में ढाका के रेस्तरां में 20 लोगों की नृशंस ह्त्या करने वाले सभी आतंकवादी प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों में पढ़े हुए, अमीर परिवारों के नाबाबजादे थे। अतः यह कहना मूर्खता पूर्ण है कि गरीबी किसी को भी आतंकवादी बना देती है। तसलीमा ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है, जब इस्लाम को शांति का मजहब कहना बंद कर देना चाहिए ।

स्मरणीय है कि प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका और पूर्व चिकित्सक तसलीमा नसरीन 1994 से बांग्लादेश छोड़ कर भारत में निर्वासित जीवन बिता रही हैं, क्योंकि बांग्लादेश के अतिवादी मुसलमान उलेमाओं ने उनके लेखन को ईश निंदा बताते हुए, उनका सर कलम करने का फतवा जारी किया था ।

उन्होंने इस विषय पर लगातार ट्वीट किये :
taslima nasreen @taslimanasreen
All Dhaka terrorists were from rich families, studied in elite schools. Pl do not say poverty & illiteracy make people Islamic terrorists
ढाका के सभी आतंकी अमीर परिवारों के थे, प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों में पढ़े थे ! कृपया यह मत कहो कि गरीबी और अशिक्षा के कारण लोग इस्लामिक आतंकी बनते हैं !


taslima nasreen @taslimanasreen
For humanity's sake please do not say Islam is a religion of peace. Not anymore.
कृपया मानवता की खातिर यह मत कहो कि इस्लाम शांति का धर्म है। बहुत हुआ, अब और नहीं।


taslima nasreen @taslimanasreen
You don't need poverty,illiteracy, frustration,America's foreign policy,Israel's conspiracy to become an Islamic terrorist. You need Islam.
एक इस्लामी आतंकवादी बनने के लिए नातो गरीबी, अशिक्षा या हताशा की ज़रूरत है, ना ही अमेरिका की विदेश नीति या इजरायल की साजिश की । जरूरत है तो केवल इस्लाम की ।

Taslima Nasrin


मजबूत नारीवादी और मानव अधिकारों के विचार रखने वाली तसलीमा नसरीन को कई बार अल-कायदा और अन्य इस्लामी उग्रवादी समूहों से मौत की धमकी मिल चुकी है । वे आजकल लंबी अवधि के वीजा पर दिल्ली में रहती है।

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