कांग्रेस और भाजपा ! ग्लेमर विरुद्ध सहानुभूति !

आज "सुबह सबेरे" समाचार पत्र  पढ़ते पढ़ते शिवराज जी कि विषय में कुछ लिखने का मन हुआ ! कांग्रेस का पक्षधर मीडिया आजकल एंटीइनकम्बेंसी के कल्पनालोक में विचरण कर रहा है ! आज तीन रणनीतिक समाचार देखने को मिले ! पहला तो भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान, कार्यकर्ताओं का असंतोष ! दूसरा दिग्विजय सिंह जी के शासनकाल के समय उठी सत्ता विरोधी लहर के समान भाजपा शासन विरोधी एंटी इनकम्बेंसी की कल्पना ! और तीसरा ज्योतिरादित्य जी की सक्रियता !

तो पहले बात करते हैं भाजपा कार्यकर्ताओं की ! मीडिया उस भावुक जमात को कभी नहीं समझ पायेगा ! मैं अपनी रामकहानी का एक अंश साझा करता हूँ -

बात 2006 की है ! मैं उन दिनों केंदीय सहकारी बैंक शिवपुरी का मनोनीत अध्यक्ष था ! यशोधरा जी को ग्वालियर से लोकसभा का चुनाव लड़वाया गया और वे जीत भी गईं ! खाली हुई शिवपुरी विधानसभा सीट पर संगठन ने उनसे बिना मशविरा किये पूर्व कांग्रेसी विधायक गणेश गौतम को टिकिट थमा दिया ! गणेश जी कोलेज समय से ही युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता थे, जबकि मैं विद्यार्थी परिषद् का संगठन मंत्री ! स्वाभाविक ही हमारे बीच 36 के आंकड़े जैसा ही सम्बन्ध था ! 

उसके पूर्व एक मजेदार वाकया हुआ ! मैं और तत्कालीन जिला संगठन मंत्री हुकुम चंद जी साथ साथ जीप में कहीं जा रहे थे, कि तभी मोवाईल पर जनशक्ति के तत्कालीन महामंत्री नरेंद्र बिरथरे का फोन आया ! वो कहने लगे कि काहे को मेहनत कर रहे हो भाई साहब, आपकी पार्टी तो गणेश गौतम को टिकिट दे रही है | मैंने हंसकर कहा कि क्यों दून की हांक रहे हो, यह संभव नहीं ! 

बाद में हुकुम चंद जी ने पूछा कि भाईसाहब अगर पार्टी ने सच में गणेश को टिकिट दे दिया तो क्या होगा ? मैंने कहा – मेरे जैसे कई लोग या तो घर बैठ जायेंगे या फिर काम करने का दिखावा करते हुए भी वोट नहीं देंगे ! बात आई गई हो गई और मुझे चुनाव प्रभारी बना दिया गया !

दिल पर पत्थर रखकर चुनाव में यथाशक्य योगदान दिया भी, किन्तु मन आहत था ! पूरे चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री शिवराज जी ने अत्याधिक मेहनत की ! चुनाव के 48 घंटे पूर्व आचार संहिता की मर्यादा के अनुसार वे शिवपुरी से भोपाल को रवाना हुए ! जाते समय उन्होंने सहजता से मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा – अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो !

उन चंद शब्दों के जादू ने मेरे मन का सारा कलुष दूर कर दिया और फिर मैंने दूने मनोयोग से काम संभाला ! कहने की आवश्यकता नहीं कि वोट भी गणेश जी को ही दिया !

तो बात शिवराज जी की सहज सरलता की है, जो इस समय भारतीय जनता पार्टी का प्राण तत्व है | प्रत्येक नेता कुछ तो स्वनिर्मित होता है और कुछ जनता उसे बना देती है ! जनता द्वारा निर्मित प्रभा मंडल नेता को अपनी छवि के प्रति जागरुक और सजग रखता है ! अभी पिछले दिनों किये गए स्मार्ट सिटी के क्षेत्र परिवर्तन की बात हो अथवा स्लाटर हाउस की, शिवराज जी ने जनमत का मान रखते हुए शासन प्रशासन कि निर्णय बदलवाए !

विगत वर्षों में मुझे शिवराज जी के दो चित्र बेहद पसंद आये और उन पर मैंने पूरे मन से सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की !

पहला चित्र –

मुख्य मंत्री ने दिया शहादत को सम्मान 
हर प्रदेशवासी के दिल में रोष जोश तूफ़ान |
मध्य प्रदेश को गौरव है ए वीर सुधाकर सिंह 
पापी पाकी से जगा देश को, अमर हुआ नरसिंह |

हर दिल में हो आग, जाग भारत जाग ||

दूसरा चित्र –

पेटलावद विस्फोट के बाद नाराज पीड़ितों के बीच जाकर इस प्रकार सड़क पर बैठकर दिलासा देने के लिए कितना आत्मविश्वास और मनोबल चाहिए ?

कितनी ही विषम परिस्थिति हो, मध्यप्रदेश में भाजपा के पास जनता से सहज जुड़े शिवराज रूपी ब्रह्माश्त्र है ! जबकि कांग्रेस केवल ज्योतिरादित्य जी के ग्लेमर पर टकटकी लगाए हुए है ! क्या आमजन कभी कांग्रेसी क्षत्रप से ऊपर दर्शाये गए चित्रों जैसे व्यवहार की आशा कर सकता है ? भाजपा कार्यकर्ताओं की एकजुटता तो टूटेगी नहीं, किन्तु क्या कांग्रेसी धड़े कभी एक हो सकेंगे ?

एक भाजपा कार्यकर्ता के शब्दों में  -

सौम्य सरलता कभी ना क्षय हो,
सज्जनता प्रतिमूर्ति विनय हो
भारत ह्रदय प्रदेश हमारा,
यही कामना सदा विजय हो !

पर साथ साथ यह भी कामना -

मत चूको चौहान,
करो अब वाण पुनः संधान !
कुटिल कुचाली चालों को,
कर विफल बढाओ शान !!
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