महिला अधिवक्ता फरहा फैज की मांग – ख़तम करो 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड'



ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक का औचित्य बताते हुए कहा गया कि पुरुष भावनाओं पर बेहतर ढंग से नियंत्रण रख सकते हैं ! किन्तु इसके बाद महिला वकील फरहा फैज ने बोर्ड पर इस्लामोफोबिया बढाने का आरोप लगया और भारतीय मुसलमानों को कट्टरपंथियों के दबाब से बचाने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर प्रतिबन्ध की मांग की ।

स्मरणीय हैकि अधिवक्ता फरहा फैज लम्बे समय से मुसलमानों के बीच स्त्री पुरुष समानता के लिए लड़ रही हैं और तिहरे तलाक की समाप्त के लिए लड़ रहे वकीलों के बीच सबसे मुखर है ! फरहा ने शीर्ष अदालत से कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे संगठनों के कारण मुसलमानों को हमेशा दुविधा रहती है कि क्या धर्म देश से ऊपर है ! उन्होंने शरीयत अदालतों पर प्रतिबंध लगाने की भी वकालत की।

एक हलफनामे में उन्होंने कहा कि ये लोग कभी राष्ट्र या मातृभूमि के पक्ष में उपदेश नहीं करते । वे हमेशा लोगों के मन में इस्लामोफोबिया पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, दार-उल-उलूम देवबंद अपनी ही सरकार से प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता कभी नहीं लेता, जबकि दुनिया भर से लाखों रुपये स्वीकार कर लेता है ।

बोर्ड का कहना था कि ट्रिपल तलाक इस्लामी धार्मिक प्रथा है जिसे धर्म के मौलिक अधिकार के रूप में संरक्षण प्राप्त है और सर्वोच्च न्यायालय को उसकी वैधता का निर्णय करने का अधिकार नहीं है । इसका जबाब देते हुए फरहा ने कहा कि शरीयत अदालतों के रूप में समानांतर न्यायपालिका चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। ये पंजीकृत समितियों इस तथ्य को स्वीकार नहीं कर रही हैं कि इस देश में व्यवस्थित और विकसित न्यायिक प्रणाली है ! कोई भी धर्म के नाम पर एक समानांतर न्यायिक व्यवस्था को संचालित नहीं कर सकता ।

उन्होंने कहा कि "यह न्यायपालिका की गरिमा पर सवालिया निशान है और साथ ही सरकार के लिए एक खुली चुनौती भी " ।

मौलवियों और तथाकथित मुस्लिम संगठनों को मुसलमानों को गुमराह करने और जबरन उन्हें कट्टरवाद की ओर धकेलने से रोका जाना चाहिए ।

"एक ओर तो संविधान बिना किसी भेदभाव के सभी देशवासियों को एक सम्मानजनक ढंग से जीने का अधिकार देता है, किन्तु दूसरी ओर मुस्लिम महिलाओं को जीवन में असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें उनके अधिकारों से बंचित किया जा रहा है " ।

सौजन्य: टाइम्स ऑफ इंडिया
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