भोपाल में होगा तीन दिवसीय वृहत "राष्ट्र सर्वोपरि लोक मंथन" ! कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा का हुआ भव्य कार्यक्रम !



आगामी 12,13, 14 नवम्बर को भोपाल में लोकमंथन – 2016 के नाम से तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्ष का आयोजन किया जाने वाला है ! राष्ट्र सर्वोपरि / nation first की सघन भावना से ओतप्रोत इस कार्यक्रम में नई पीढी के विचारक, अध्येता, शोधार्थी एवं मीडिया जगत की सहभागिता रहेगी ! कार्यक्रम का आयोजन भारत भवन व प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त तत्वावधान में होगा !

दिनांक 8 सितम्बर 2016 को भोपाल के भारत भवन में इस विमर्श के प्रतीक चिन्ह का अनावरण एवं आयोजन की विधिवत घोषणा की गई !

विषय प्रवर्तन करते हुए राष्ट्रवादी विचारक श्री राकेश सिन्हा ने कहा कि यदि मानव विचारवान रहे तो कोई दुःख उसके पास नहीं आएगा ! रोमन साम्राज्य के पास ताकतवर सेना, धन और नेतृत्व सब कुछ था, किन्तु विचार न होने के कारण उस साम्राज्य का पतन हो गया ! हम भारतीय भी बौद्धिक उपनिवेशवाद से अभी तक नहीं निकल पाए हैं !

मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि मौजूदा दौर में समाज, कला और मीडिया में नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है ! इस पर हमें समय समय पर विचार मंथन करते रहना चाहिए ! राष्ट्र की एकता को मजबूत करने और भारतीय संस्कृति के संरक्षण हेतु भी यह आवश्यक है ! अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही हम बेहतर भविष्य की रचना कर सकते हैं ! भारत में हमेशा सत्य संधान को महत्व दिया है ! जिस प्रकार तितली अलग अलग फूलों से सार तत्व को ग्रहण करती है, उसी प्रकार भारत में सदैव शास्त्रार्थ के द्वारा सभी पंथों, विचारों, सम्प्रदायों के साथ विचार मंथन कर मानव कल्याण के लिए सत्य की यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया गया ! आज की पीढी तकनीकी दृष्टि से सक्षम है तथा सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से अपने विचार, उलझनें और समझ परस्पर साझा कर सकती है ! पर उसे अपना मंतव्य स्पष्ट करते समय, गंतव्य नहीं भूलना चाहिये ! यह स्पष्ट होना चाहिए कि राष्ट्र सर्वोपरि है और बाक़ी सब उसके सामने गौण है ! अतः आँखों से राष्ट्रहित का लक्ष्य कभी ओझल नहीं होना चाहिए !

विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक डॉ. चन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में कला, फिल्म व मीडिया के क्षेत्र में व्यवसायिकता का बोलबाला है ! निजी स्वार्थ के कारण कलात्मक तत्वों का लोप होता जा रहा है ! अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाली भावी पीढी को देने के लिए हमारे पास कुछ भी शेष नहीं रहेगा ! भारत में सभी विचारधाराओं के लिए जगह है ! महावीर और बुद्ध के समय हमारे देश में 363 विचारधाराएँ हुआ करती थीं, उस समय हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से सत्य की खोज में संलग्न था ! 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश के संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा ने लोक मंथन कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी ! उन्होंने कहा कि विचारों का आदान प्रदान हमारी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आवश्यक है !

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित श्रोताओं द्वारा प्रश्न भी पूछे गए, जिनका समाधान वक्ताओं द्वारा किया गया ! इस अवसर पर लोक मंथन की वेव साईट का भी लोकार्पण किया गया !
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