क्या आप जानते है पूर्व में भी बंद किये जा चुके है 500-1000 के नोट ?

इन दिनों देश में जहाँ देखो एक ही चर्चा है 500-1000 के नोटों के बंद किये जाने की चर्चा ! निसंदेह मोदी सरकार का यह कदम एक साहसिक़ एवं काले धन पर रोक लगाने वाला कदम है और इसकी हर तरफ प्रशंसा भी की जा रही है ! जहाँ आम लोगों में इस ऐतिहासिक कदम पर प्रसन्नता जाहिर की जा रही है वहीँ एक तबका ऐसा भी है जो मोदी सरकार के इस फैसले से अप्रसन्न है और यह अप्रसन्नता क्योँ है यह हर व्यक्ति जानता है ! 

खैर, पर क्या आप जानते है देश के इतिहास में यह पहली बार नहीं है जब 500-1000 के नोटों को बंद किया गया हो ! और क्या आप जानते है कि एक समय हमारे देश में 500-1000 के अलावा 5000 एवं 10000 के नोट भी प्रचलन में थे ? 1978 में भी ऐसा फैसला उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने लिया था जिसमे 100 रूपए से ऊपर वाले सभी नोट को बंद कर दिए गए थे ! ऐसे ही इमरजेंसी के बाद मोरारजी देसाई ने 1000, 5000 और 10000 रूपए के नोटों पर रोक लगा दी थी, परन्तु उस समय जनता सरकार ने लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए समय सीमा तय की थी !

इससे पहले भी जनवरी 1946 में 1,000 रुपए और इससे बड़ी राशि के नोटों को वापस लिया जा चुका था ! आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अब तक सबसे बड़ा नोट 1938 और फिर 1954 में 10,000 रुपए का छापा था, लेकिन इन नोटों को पहले जनवरी 1946 में और फिर जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया ! जनवरी 1946 से पहले 1,000 और 10,000 रुपए के बैंक नोट प्रचलन में थे ! इसके बाद 1954 में 1,000 रुपए, 5,000 रुपए और 10,000 रुपए के बैंक नोट जारी किये गए ! इन सभी को जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया !

ये उस दौर की घटना थी जब देश की आम जनता के पास वैसे भी ज्यादा पैसे नहीं हुआ करते थे वाम उस समय के लोग मितव्ययी हुआ करते थे अतः कम खर्च में अपना गुजर बसर कर लिया करते थे ! यह वह समय था जब 1000, 5000 या 10 हजार के नोट या तो बैंकों के पास हुआ करते थे या पूँजी पतियों के पास ! इस समय 10000 के नोट भारतीय अर्थव्यवस्था में महज 1 हजार 260 की संख्या में ही प्रचलित थे ! उस समय कमजोर रणनीति के कारण प्रतिबन्ध का असर मात्र इतना हुआ कि बाजार से मात्र १२० करोड़ रुपये ही बंद हो सके ! 1978 में नोटों को बंद करने की रणनीति के प्रभावी न होने का मुख्य कारण रहा कि तत्कालीन सरकार ने यह सब अचानक नहीं किया जिससे पूंजीपतियों को सँभालने का मौका मिल गया था और अधिकांश पूंजीपतियों ने बाद में शपथ पत्र देकर बंद हुए नोटों को अपने खातों में भुना लिया था !

पूर्व में हुई भूलों से सीख लेते हुए मोदी सरकार ने बिना पूर्व सूचना दिए एक अत्यंत क्रांतिकारी कदम उठाकर समूचे भारत के साथ साथ पूरी दुनिया को एक हिलाकर रख दिया और एक तीर से कई निशाने भी साधे ! जहाँ एक और उनके इस कदम से काले कारोबारियों का बीपी बढ़ा हुआ है वही उनक इस कदम से बैठे बिठाए आतंक परस्त देश और उसके आका रातो रात कंगाल हो गए है !

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