संक्रमित कांग्रेस नेतृत्व से कांग्रेस को शुद्ध करें कार्यकर्ता !-


जब कम्प्युटर के सिस्टम में वायरस आ जाता है, तो कम्प्युटर का मालिक एंटी वायरस लोड करता है, ताकि वायरस को स्केन किया जा सके, पहचाना जा सके और जो डाक्यूमेंट उस वायरस के प्रभाव में है, या तो उसे वायरस से मुक्त किया जा सके अथवा उस डाक्यूमेंट की फाईल को ही कम्प्युटर से डिलीट किया जाए। दुर्भाग्य से कांग्रेस के सिस्टम में भी हिंदू विरोध और जिहाद का खतरनाक मैलवेयर वायरस प्रवेश कर गया, किन्तु कांग्रेस ने उसे स्केन करने, उसकी रोकथाम करने या उसे बेअसर करने की कोई चिंता ही नहीं की। और नतीजा यह निकला कि पूरा सिस्टम ही डेमेज हो गया और मालिक जनता ने वह कम्यूटर ही बदल दिया। लेकिन पुराना कम्प्युटर अभी भी रखा तो घर में ही है, अतः गाहे बगाहे परिवार का कोई सदस्य खेल खेल में उसे स्टार्ट करने का प्रयत्न करता रहता है, लेकिन जब तक वह खतरनाक वायरस दूर नहीं होता, उसका उपयोग बेमतलब है ।

जब कांग्रेस सत्तासीन थी, तब की याद ताजा कीजिए और साथ ही उस समय की जो बातें आज प्रकाश में आ रही हैं, उन पर नजर दौड़ाईये। सचाई तो यह है कि भारत में कांग्रेस ही इस्लामी अतिवाद की जनक है। इसीलिए उसने सदा सिमी के लोगों का पक्ष लिया और हिन्दुत्ववादी शक्तियों का भरपूर विरोध किया। इसी तारतम्य में भगवा आतंक शब्द की खोज हुई। शांतिप्रिय हिन्दू समाज को लांछित, अपमानित करने की मुहीम चलाई गई। हद तो तब हुई, जब 26 – 11 के मुम्बई हमलों में भी पाकिस्तान के स्थान पर आरएसएस को दोषी ठहराने का कुत्सित प्रयत्न हुआ। उर्दू सहारा अखबार के घोषित पकिस्तान परस्त सम्पादक अजीज बर्नी ने एक पुस्तक लिखी – “ आरएसएस की साजिश 26-11”। जानते हैं इसका विमोचन किसने किया ? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, राहुल जी के मानस गुरू, श्री श्री दिग्विजय सिंह जी ने। मौके को और भी नमकीन बनाने के लिए विमोचन की तारीख भी चुनी गई – 6 दिसंबर 2010। 

आजादी के पूर्व प्रथक मुस्लिम राष्ट्र बनाने की मांग ने अखंड भारत का विभाजन करवाया था। दुर्भाग्य से कांग्रेस के सभी वोटपरस्त दिग्गजों ने वर्तमान काल में भी जिहादी चरमपंथियों की मदद कर उसी मानसिकता को फलने फूलने में मदद दी है । मुस्लिम तुष्टीकरण की रीति नीति के चलते सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे, गुलाम नबी आजाद से लेकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी तक सभी ने भारत की राष्ट्रीय भावना की प्रतीक हिंदू पहचान को नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयत्न किये । 

दिग्विजय सिंह जी ने 26/11 के मुंबई हमले के पीछे आरएसएस की साजिश बताई, सुशील कुमार शिंदे ने भगवा आतंकवाद का शिगूफा छोड़ा, राहुल गांधी ने जेएनयू में विध्वंसक तत्वों के प्रति सहानुभूति जताई, गुलाम नबी आजाद ने पाकिस्तान की ओर से उड़ी हमलों की तुलना मोदी जी के नोटबंदी से की। पुरानी बात करें तो स्व. राजीव गांधी ने शाहबानो मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ संसद का दुरुपयोग किया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मौलानाओं के दबाब में भारत पुनः अठारहवीं सदी में धकेला जा रहा है, और बेशर्मी से कांग्रेस के नेताओं को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। 

हद तो यह है कि कुख्यात जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) से राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए (RGCT) दान लेकर इन सोनिया गांधी जी ने तो सारी मर्यादाओं को तार तार कर दिया । एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के माध्यम से जो तथ्य सामने आये हैं उसके अनुसार राजीव गांधी ट्रस्ट के लिए 'दान' हेतु जाकिर नाइक के एनजीओ को बाकायदा आवेदन किया गया था। धर्म के नाम पर आतंक के पैरोकार के रूप में कुख्यात डॉ जाकिर नाइक के आईआरएफ ने कथित तौर पर दिसम्बर 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) को 25 लाख रुपये दान के रूप में दे भी दिए। इसके बाद 50 लाख रुपये का दूसरा दान भी कुछ महीनों बाद हस्तांतरण करने के लिए पूरी तैयारी थी, लेकिन तब तक मामला जग जाहिर हो गया । टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार प्राप्त दस्तावेज दर्शाते हैं कि दोनों दान के मामले में आवेदन राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ही प्राप्त हुए थे।

इस विचार को काल्पनिक नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस और जिहादियों के प्रेरक जाकिर नाइक के बीच एक घृणित और निंदनीय गठजोड़ पनप रहा , इसकी पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि हाल के दिनों में कांग्रेस के प्रमुख विचारक के रूप में जाने पहचाने जाने वाले दिग्विजय सिंह सदा जाकिर नाइक की प्रशंसा के पुल बांधते दिखाई देते थे ।

हाल ही में सितंबर 2012 का एक वीडियो प्रकाश में आया है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, जाकिर नाईक के साथ न केवल मंच पर विराजमान हैं, बल्कि उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ याहे हैं, उसे शांति दूत बता रहे हैं। कांग्रेस ने 2012 से लेकर आज तक कभी भी जिहादी मेंटर जाकिर नाईक और दिग्विजय सिंह के संबंधों की आलोचना नहीं की है, बल्कि अब तो यह भी साफ़ हो चुका है कि स्वयं सोनिया गांधी जाकिर नाइक के संगठन से दान लेती रही हैं ।

तो यह है वह वायरस जिसे नेस्तनाबूत किया जाना चाहिए। जाति-पंथ-भाषा-क्षेत्र या धर्म के आधार पर विभाजन की कोशिशें असफल की जाना चाहिए । अभी भी देर नहीं हुई है। कांग्रेसी क्षत्रपों की इन कुटिल कुचालों के खिलाफ आम कांग्रेसी कार्यकर्ता को आवाज उठाना चाहिए । देर आए दुरुस्त आए, तो देरी देरी नहीं होगी । इन नेताओं से कांग्रेस को मुक्त होना चाहिए ! कल्पना कीजिए कि महात्मा गांधी भी आज जीवित होते तो क्या करते ? याद करें उनके वे शब्द - 

रघुपति राघव राजाराम, सबको सन्मति दे भगवान ! 

साभार आधार - श्री उपानंद ब्रह्मचारी जी का आलेख -
https://hinduexistence.org/2016/11/26/the-islamic-legacy-of-congress-and-threat-to-india/
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