एक गरीब माली की सऊदी अरब में जान बचाएं - भारत सरकार और भारतीय मुसलमान भाईयों से एक अपील !


महज एक फेसबुक पोस्ट के आधार पर तेलंगाना के नौजवान का सऊदी जेल में सर कलम हो जाए, और भारत मूक द्रष्टा रहे । क्या शर्म नहीं आयेगी ?
हैदराबाद से उपेंद्र भारती की रिपोर्ट 
तेलंगाना का एक छोटा सा गाँव है, शालापल्ली ! पगड़पल्ली ब्लॉक के इस छोटे से गाँव के निवासी पूनम शंकर को विगत माह सऊदी अरब में रियाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया । उस पर आरोप है कि उसने पवित्र काबा की तस्वीर के साथ भगवान शिव को प्रदर्शित किया । उसने 12 नवम्बर को पोस्ट डाली और ईशनिंदा के आरोप के तहत 21 नवंबर को शरिया पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शंकर की पढाई केवल छठी कक्षा तक ही हुई है, तथा उसे एक माली के रूप में नौकरी के लिए खाड़ी के देशों में एजेंटों द्वारा बरगला कर पहुंचा दिया गया था ।

जब शंकर की मां ने भारत में रिटर्नर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष "चाँद पाशा" से संपर्क किया, तब उन्हें बताया गया कि शंकर ने खाड़ी देश के कानूनों के अनुसार गंभीर अपराध किया है, अतः उसे कठोर दण्ड दिया जाएगा ।

स्मरणीय है कि सऊदी अरब के शरिया कानून के तहत एक हिन्दू काफिर होने के कारण किसी भी शुक्रवार को ईशनिंदा के जुर्म में पोन्नम शंकर का सर कलम किया जा सकता है । 

हालांकि शंकर के परिवार के सदस्यों ने तेलंगाना में स्थानीय अधिकारियों से संपर्क कर उसकी जान बचाने हेतु आग्रह किया है, किन्तु वहां की सरकार ने अभी तक यह विषय केंद्र सरकार की जानकारी में भी नहीं लाया है ! हाँ इस घटना का समाचार, समाचार पत्र “हिन्दू” ने 22 दिसंबर के अपने अपने वेब संस्करण और प्रिंट संस्करण में अवश्य प्रकाशित किया है ।

अतः यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत सरकार के किसी भी स्तर के हस्तक्षेप के अभाव में कभी भी सार्वजनिक रूप से शंकर का सर कलम किया जा सकता है ।

अब सवाल उठता है कि अगर ऐसा हुआ तो क्या यह एक भारतीय नागरिक की ठंडे दिमाग से की गई जघन्य ह्त्या नहीं होगी ? विचारणीय मुद्दा यह भी है कि एक भारतीय नागरिक पर सऊदी क़ानून कैसे लागू हो सकता है ? हमारा आग्रह है कि भारत के संवेदनशील प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज, विदेश राज्य मंत्रीद्वय श्री विजय कुमार सिंह और जनाब एम जे अकबर, सऊदी अरब में एक भारतीय नागरिक के हत्याकांड के कमसेकम मूक दर्शक तो न रहें । कुछ तो करें !

इसके साथ ही भारतीय मुसलमानों से भी कुछ सीधे सवाल और आग्रह हैं:

1. आप सभी भारतीय हैं, इस नाते शंकर भी आपका देशवासी भाई है, अगर उसकी ह्त्या होती है, तो क्या आपको दुःख नहीं होना चाहिए ? क्या आधुनिक युग में भी जारी इस प्रकार के सोलवीं सदी के बर्बर क़ानून के खिलाफ आपको आवाज नहीं उठानी चाहिए ? इस प्रकार के क़ानून को आप इंसानियत मानते हैं या हैवानियत ?

2. यह जगजाहिर तथ्य है कि काबा सहित दुनिया भर की तमाम मस्जिदें इस्लाम के पूर्व दूसरे धर्मों के पूजा स्थल रहे हैं ! अगर किसी ने भगवान शिव की छवि काबा के साथ प्रदर्शित कर दी, तो इसमें गलत क्या है? जब आप काबा के साथ महज एक तस्वीर के प्रकाशन भर से इतने नाराज हैं, तो ज़रा उन अन्य धर्मों के अनुयाईयों की भावनाओं का तो ख्याल कीजिए, जिनके धार्मिक स्थल पिछले 1300 वर्षों में नष्ट किये गए ।

3. ध्यान रखिये कि इस प्रकार का दादागिरी का व्यवहार ही दुनिया की आधे से अधिक वर्तमान समस्याओं का तथा हिंसा के मामलों में तो नब्बे प्रतिशत का आधारभूत मुख्य कारण है। पता नहीं आप इसे कब समझ पाएंगे ।

4. आपको कैसा महसूस होगा अगर भारत में भी राम मंदिर पर बाबरी मस्जिद आरोपित करने के अपराध में आपको भी सजा का प्रावधान हो ? अगर आपको राम जन्म भूमि पर बाबरी मस्जिद की मांग जायज लगती है, तो काबा पर भी शिव या बुद्ध का दावा करने का अधिकार दूसरों को है। यह सामान्य समान न्याय का सिद्धांत है, जिसे मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए ।

5. अब जरा एमएफ हुसैन की भी याद ताजा करलें जिसने भारत में रहकर भारत माता और हिंदू देवी-देवताओं के गंदे चित्र प्रकाशित करने की हिम्मत की, क्या उसे किसी ने सजाये मौत सुनाई ? चुप रहने का यह बहाना नहीं चलेगा कि भारत और सउदी कानून अलग अलग है ! एक गैर मुस्लिम पर अपने शरीयत कानूनों को लादना जहालियत है ।
इसी मानसिकता के चलते 'डायरेक्ट एक्शन' के नाम पर 1947 में हिंसा और बलात्कार के नंगे नाच के साथ भारत का विभाजन दंश हमने झेला है । इतना ही नहीं तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से और 1989 के बाद कश्मीर से अल्पसंख्यकों को हमेशा हमेशा के लिए अपनी पैतृक भूमि छोड़ने के लिए मजबूर किया गया ।

6. जब कोई कहता है कि “इस्लाम का अर्थ शान्ति” तो यह एक मजाक सा लगता है ! दुनिया भर के इस्लामी देशों में एक भी हिंदू / बौद्ध / सिख / जैन / ईसाई या यहूदियों को अपने धर्मस्थल बनाने या धार्मिक क्रियाकलापों की अनुमति नहीं है । जबकि भारत में मस्जिदों की संख्या दुनिया के किसी भी अन्य मुल्क से ज्यादा हैं ! हाँ सऊदी अरब से भी ज्यादा ।

7. अतः भारतीय मुसलमान भाईयो यह आपका नैतिक कर्तव्य बनता है कि आप भी अपने भारतवासी भाई को बचाने में अपनी भूमिका निभाएं, उसका सर कलम न होने दें, सऊदी सरकार पर दबाब बनाएं । 

यह सुनहरा अवसर है जब आप यह प्रमाणित कर सकते हैं कि आईएसआईएस और तालिबान इस्लाम के सच्चे नुमाईंदे नहीं है ! इस्लाम के सच्चे अनुयाई भारत के शांतिप्रिय मुसलमान हैं ! अन्यथा तय जानिये कि आज नहीं तो कल दुनिया भर के लोग इस्लाम के खिलाफ खड़े नजर आयेंगे ! इस्लाम के हित में आपको आगे आना चाहिए !

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें