पत्रकार, संपादक और मालिक यह तीन खंब है पत्रकारिता के : सौरभ शर्मा

किसी भी पत्रकार को आज पत्रकारिता करना चुनौतियों भरा काम है बाबजूद इसके समय ने करवट बदली और पत्रकार, संपादक और मालिक यह तीनों खंब अब एक जैसे होते हुए नजर आ रहे है इसका प्रमाण इंडिया टीव्ही के रजत शर्मा से देखने को मिलता है जिनका स्वयं का न्यूज चैनल इंडिया टीव्ही है, स्वयं पत्रकार हैं और वह स्वयं ही संपादक भी, यदि ऐसे ही लोग पत्रकारिता में आऐंगें तो निश्चित रूप से पत्रकारिता में भी बहुत कुछ बदलाव देखने को मिलेगा और मालिक, संपादक जैसे बड़े पदों की अहमियत घटेगी क्योंकि एक साफ-स्वच्छ पत्रकार ही संपादक होना सही अर्थों में पत्रकारिता है यह बात प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों के लिए है। उक्त बात कही दिल्ली में इंडिया टीव्ही के पत्रकार सौरभ शर्मा की जो स्थानीय मंगलम् भवन में शिवपुरी आगमन पर आयोजित पत्रकारवार्ता के माध्यम से अपने अनुभव सभी पत्रकारों के बीच सांझा कर रहे थे। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव, अशोक कोचेटा, मंगलम् संस्था से जुड़े दीपक गोयल भी मौजूद रहे जबकि संचालन वरिष्ठ पत्रकार अजय खेमरिया द्वारा व्यक्त किया गया। शिवपुरी आगमन को अपनी चिर-स्मृतियों में बनाए रखे इसके लिए मंचासीन वरिष्ठ पत्रकार साथियों द्वारा सौरभ शर्मा को शॉल-श्रीफल के साथ स मानित भी किया गया। 

अब ग्रामीण क्षेत्रों से बढ़ रही चैनलों की टीआरपी

पत्रकारों के बीच अपने अनुभव साझा करते हुए सौरभ शर्मा बताते हैं कि किसी भी चैनल की लोकप्रियता और उसका मुनाफा चैनल की टीआरपी से ही होता है लेकिन आज देखने में आ रहा है नगरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों से चैनलों की टीआरपी बढ़ी है, हालांकि सरकार द्वारा अब बार्क(क्च्रक्रष्ट)संस्था के द्वारा आंकड़े एकत्रित कर टीआरपी बताई जा रही है। सोशल मीडिया के बारे में श्री शर्मा ने बताया कि न्यूसेंस का काम सोशल मीडिया करती है लेकिन न्यूज वैल्यू का काम नहीं करती। इसलिए सोशल मीडिया की खबरें अधिकतर आधारहीन होती है। नोटबंदी को लेकर श्री शर्मा ने देानों प्रभाव बताए जिसमें सरकार के फैसले का जनमानस पर पडऩे वाला प्रभाव बताया तो वहीं इसके भविष्य में होने वाले लाभ से भी अवगत कराया। कैशलेस व्यवस्था को लेकर श्री शर्मा ने कहा कि कैशलेस को लेकर यदि नोटबंदी की है तो यह फैसला निरर्थक है क्योंकि कैशलेस के लिए और भी कई तरह के कार्य किए जा सकते थे लेकिन नोटबंदी की इसमें आवश्यकता नहीं थी।

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