शिवपुरी स्थित गुमनाम, रहस्यमयी, चमत्कारिक एवं प्राचीन स्थान “धनेश्वर महादेव” धाम !

धर्म, भक्ति, अध्यात्म और साधना का देश है भारत, जहां प्राचीन काल से पूजा-स्थल के रूप में मंदिर विशेष महत्व रखते रहे हैं ! यहां कई मंदिर ऐसे हैं, जहां विस्मयकारी चमत्कार भी होते बताए जाते हैं ! जहां आस्थावानों के लिए वे चमत्कार दैवी कृपा हैं, तो अन्य के लिए कौतूहल और आश्चर्य का विषय ! हम सभी भली भांति जानते है कि भारत की भूमि विद्वानों की भूमि है, भारत का गौरवशाली इतिहास इसका गवाह रहा है ! चिकित्सा से ले कर विज्ञान के क्षेत्र में आगे होने के बावजूद यह देश कई मायनों में बाकी देशों से हटकर है जिसमें आस्था की भी एक अहम भूमिका है ! यही आस्था देश को इतनी विविधता होने के बावजूद एक धागे में बांधे रखती है ! इस आस्था को बनाये रखने में यहां मौजूद मंदिरों की भी बड़ी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता ! आइए जानते हैं, मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित रहस्यमय “धनेश्वर महादेव” धाम के बारे में -

“धनेश्वर महादेव” नामक यह स्थान शिवपुरी शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है ! शिवपुरी झांसी राजमार्ग पर शहर से लगभग ३० किलोमीटर दूर अमोला पुल ख़त्म होते ही अमोलपठा को जाने वाली रोड पर अमोलपठा से तीन किलोमीटर पहले उडवाया नामक गाँव है, इस गाँव से लगभग 3 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है “धनेश्वर महादेव” ! यहाँ पहुँचने का मार्ग काफी दुर्गम है एवं यह स्थान वियाबान घने जंगल में स्थित है ! 

धनेश्वर धाम 

मंदिर निर्माण की कहानी 

यहाँ भगवान महादेव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर बना हुआ है जिसका निर्माण आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व स्टेट समय में आमोल में रहने वाले एक व्यक्ति बोहरे जी के द्वारा करवाया गया था ! मंदिर के वर्तमान पुजारी जी ने हमें बताया कि बोहरे जी एक संपन्न धनवान व्यक्ति थे परन्तु उनके कोई संतान नहीं थी ! एक दिन स्वप्न में भगवान् शिव ने साधू वेश में आकर बोहरे जी को धनेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराने को कहा तत्पश्चात बोहरे जी के द्वारा चूने से युक्त मंदिर का निर्माण कराया गया ! समीप ही गुफा में स्थित शिवलिंग को ही मंदिर में स्थापित कर उस समय प्राण प्रतिष्ठित किया गया ! मंदिर निर्माण के पश्चात बोहरे जी को संतान सुख की भी प्राप्ति हुई !

रहस्यमयी गौमुख के द्वारा चोबीसों घंटे होता रहता है शिवलिंग का जलाभिषेक 

शिवलिंग पर होता प्राक्रतिक जलाभिषेक 
धनेश्वर महादेव स्थित शिवलिंग पर चौबीसों घंटों ही प्राकृतिक गौमुख से स्वतः जलाभिषेक होता रहता है ! इस गौमुख के बारे में बताया जाता है कि इसमें पानी एक सरोवर से आता है और बारिश के समय इस गौमुख से अति प्राचीन अवशेष भी निकलते रहते है ! गौमुख से निकलने वाली धारा के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी जी ने बताया कि जब समीप ही स्थित सिंध नदी पर पुल बनाया जा रहा था, उस समय कुछ इंजिनियर इस क्षेत्र की भोगोलिक स्थिति का जायजा लेने के लिए आये ! उन्होंने जब इस क्षेत्र कि भोगोलिक स्थिति का अवलोकन किया तब एक चौकाने वाली जानकारी निकल कर सामने आई ! यहीं समीप में एक चट्टान के नीचे एक जल का सरोवर स्थित है जिसके चारों और कुछ ऋषि मुनि, तपस्वियों के साधना स्थल आज भी दिखाई देते है और इसी सरोवर से निकला जल गौमुख तक पहुंचता है और शिवलिंग का जलाभिषेक होता है ! 

समीप स्थित गुफा में वास करते है दिव्य साधू 

मंदिर के समीप स्थित गुफा 

मंदिर की सेवा पूजा करने वाले संत कामतानंद सरस्वती जूना अखाड़े से सम्बंधित हैं, उन्होंने धनेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित एक गुफा के विषय में रोमांचक जानकारी दी ! उनके अनुसार इस गुफा में कुछ दिव्य संत तपस्यारत है जो हर किसी को दिखाई भी नहीं देते ! ये दिव्य विभूति दिखाई तो किसी नागा साधू की तरह देते हैं, किन्तु उनका आकार एक ऊंचे वृक्ष के समान है और आम मनुष्य उनके तेज का ही सामना नहीं कर सकते है ! 

मंदिर निर्माण के पश्चात शेर करते थे शिवलिंग की रक्षा एवं पूजा 

मंदिर के पुजारी के अनुसार जब इस मंदिर का निर्माण हुआ एवं जब कोई पुजारी नियुक्त नहीं किया गया तब इस शिवलिंग कि सुरक्षा एवं पूजा का जिम्मा शेरों के हवाले था ! बाद में जब मंदिर में पुजारियों की नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हुआ तब यह शेर गुफा छोड़ कर अन्यत्र स्थान पर चले गए जो यदा कदा अभी भी आसपास के क्षेत्र में देखे जाते है !

घने जंगलों से घिरा "धनेश्वर धाम"

मंदिर के पूर्व पुजारी एक ही समय में कई जगह हो जाते थे प्रकट !

मंदिर के वर्तमान पुजारी जी से पूर्व मंदिर कि सेवा करने वाले पुजारी कुशवाह जी के बारे बताया जाता है कि वह एक ही समय में कई स्थानों पर प्रकट होने कि विद्या में पारंगत थे ! 

महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है धनेश्वर महादेव का इतिहास 

मंदिर के पुजारी जी ने मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस स्थान का सम्बन्ध महाभारत काल से भी है ! उन्होंने बताया कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने जगह जगह समय व्यतीत किया है ! धनेश्वर महादेव पर भी पांडवों ने कुछ समय व्यतीत किया ! 

मंदिर के आस पास प्राचीन वृक्ष 

चमत्कारिक है गौमुख से निकलने वाला जल 

धनेश्वर महादेव स्थित गौमुख से निकलने वाला जल भी चमत्कारिक है ! इस जल के बारे में बताया गया कि इस जल से चर्म रोग सहित अनेकों बीमारियों का इलाज किया जा सकता है ! इस जल कि सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब इसे मुहं में डाला जाता है तो मुहं में से जल कब पेट में चला गया पता ही नहीं चलता है इतना हल्कापन इस जल में है ! जल के बारे में यह भी बतलाया जाता है कि आसपास के क्षेत्र के किसानों कि फसल में यदि कीड़े लग जाते है तो वह इस जल का उपयोग कीटनाशक के तौर पर करते है एवं किसान बीमार पशुओं के उपचार में भी इसी जल का प्रयोग करते है ! 

गौमुख 

मंदिर के वर्तमान पुजारी कामतानंद सरस्वती जी ने गौमुख के जल की विशेषता का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार मंदिर के ऊपर स्थित सिद्ध बाबा के मंदिर पर सिद्ध बाबा की मूर्ती की प्रतिष्ठा हेतु एक आयोजन किया गया, जिसमे भोजन का निर्माण किया जाना था तब हलवाइयों के द्वारा भोजन बनाने हेतु घी कडाही पर रखा गया और उस चूल्हे पर चढ़ाया गया परन्तु घी गर्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था ! पूरी रात घी को गर्म करने के तमाम यत्न किये गए पर घी गर्म नहीं हुआ ! थक हार कर हलवाइयों ने कामतानंद सरस्वती जी को सम्पूर्ण किस्सा बताया ! तब कामतानंद सरस्वती जी ने एक हलवाई को अपना कमंडल लेकर नीचे स्थित धनेश्वर महादेव मंदिर के गौमुख से निकलने वाली जल धारा से जल लाने को कहा ! वह जल लेकर आया ! कामतानंद सरस्वती जी ने कमंडल से जल लेकर कडाहीयों में थोडा थोडा जल डाल दिया ! तब आश्चर्यजनक रूप से ठंडी पड़ी भोजन सामग्री अचानक से तल कर ऊपर आ गयी और जल्दी ही सम्पूर्ण भोजन सामग्री बन कर तैयार हो गयी जिसके पश्चात श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया ! 

चम्बल संभाग का खूंखार डकैत रामबाबू गडरिया भी कभी यहाँ आने की नहीं कर पाया हिम्मत !

धनेश्वर महादेव एक वीरान जंगल में स्थित है ! आमतौर पर ऐसे स्थल पूर्व में डकैतों की पनाहस्थली हुआ करते थे, परन्तु चम्बल संभाग का खूंखार डकैत गिरोह रामबाबू-दयाराम गडरिया भी यहाँ आने से भय खाता था ! एक दफा इस गिरोह ने कामतानंद सरस्वती जी से मिलने हेतु अपना सन्देश वाहक भेजा परन्तु कामतानंद सरस्वती जी ने उसे दो टूक शब्दों में मिलने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि तुम यहाँ आये तो फिर मंदिर तुम ही सम्हाल लेना में यहाँ नहीं रहूँगा ! 

धनेश्वर धाम 

धनेश्वर महादेव स्थित नंदी महाराज की मूर्ती भी स्थापित है एक अन्य मूर्ती पर !

धनेश्वर महादेव स्थित नंदी महाराज की मूर्ती एक अन्य मूर्ती पर स्थापित है जो साफ़ तौर पर दिखाई भी देती है जब यह सवाल कामतानंद सरस्वती जी से पुछा गया तो उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए बतलाया कि वह भगवान शंकर के एक गण (सेवक) है ! 

मंदिर में स्थित नंदी प्रतिमा 

भविष्य में पर्यटक स्थल के रूप में हो सकता है विकसित बशर्ते प्रशासन ध्यान दे !

धनेश्वर धाम के समीप का मनोरम नजारा 

धनेश्वर महादेव भविष्य में बेहतर पर्यटक स्थल का रूप ले सकता है क्यूंकि यहाँ की सुन्दरता हर आम और ख़ास का मन मोह लेने वाली है परन्तु अफ़सोस राजनैतिक कुचक्र में लोग इस प्राचीन और रहस्यमयी स्थल का नाम जानते ही नहीं है ! सिंध के डूब क्षेत्र में आने पर अमोला गाँव पर बने बाँध के दौरान इस स्थान तक पहुंचने हेतु कार्य प्रारंभ हुआ था परन्तु प्रशासनिक दुर्लक्ष्य के चलते इस स्थान तक पहुंचना वर्तमान में आम लोगों के लिए असंभव सा ही बना हुआ है ! इस स्थान तक पहुँचने वाले रास्ते की पुलियाएं पूर्ण रूप से टूट फुट चुकी है ! उस समय सड़कें तो बनीं किन्तु आज दिनांक तक उनका डामरीकरण नहीं हुआ ! संभवतः भुगतान डामरीकृत रोड का हो गया, आखिर दुर्गम स्थल तक आकर चेक करने की फुर्सत किस आला अफसर को है ? इस ऐतिहासिक धरोहर तक बिजली पहुचाने में भी प्रशासन सक्रीय नहीं हुआ है !     

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