जेएनयू का नजीब - मोदी को कोसने का एक बहाना तो गया काम से !



आपको जेएनयू वाला नजीब याद होगा, जिसे लेकर क्या वामपंथी, क्या आपिये, क्या कांग्रेसी, सबके सब विद्यार्थी परिषद् और भाजपा पर टूट पड़े थे ! कहा गया था कि उस बेचारे को परिषद कार्यकर्ता से विवाद के कारण अगवा कर लिया गया है ! जन्तर मंतर पर प्रदर्शन भी हुआ, जिसमें नक्सली सूरमा से लेकर कांग्रेसी नेता शहजाद पूनावाला भी शामिल हुआ ! 

लेकिन अब जबकि यह साफ़ हो गया है कि, उस नजीब का अपहरण यूपी के गैंगस्टर मोहम्मद शमीम ने फिरोती के लिए किया था, सबको सांप सूंघ गया है ! हद तो यह है कि नजीब की अम्मी को पहले दिन से असलियत पता थी, लेकिन वह इन नेताओं के दबाब में झूठमूठ का सियापा करते हुए हंगामे में शामिल रही, और उसके रोते चेहरे की आड़ में आपिये, वामी और कांग्रेसी, पानी पीपीकर मोदी जी को कोसते रहे ! 

आईये एक बार पूरे घटनाचक्र पर एक नजर डाल लेते हैं ! हुआ कुछ यूं कि 13 अक्टूबर 2016 को एक रात विद्यार्थी परिषद् का एक कार्यकर्ता किसी काम से होस्टल में नजीब के कमरे पर पहुंचा ! उसके माथे पर लगे तिलक का नजीब ने मजाक बनाते हुए अपशब्द वोले, जिस पर छात्रों के बीच कुछ छोटा मोटा विवाद हुआ ! अगले दिन नजीब होस्टल से गायब हो गया ! बस फिर क्या था, जिहादियों से लेकर आपियों और कांग्रेसियों ने तूमार खड़ा कर दिया और नजीब के गायब होने का दोष हिन्दुओं के मत्थे मढ़ दिया ! जस्टिस फॉर नजीब, ब्रिंग बेक नजीब जैसे पोस्टर जेएनयू और दिल्ली की सडकों पर लहराने लगे ! पूरी दुनिया में ढिंढोरा पीटा गया कि देखो भारत का हाल, यहाँ हिन्दू बहुसंख्यक कैसे मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर जुल्म ओ सितम ढा रहे हैं ! एक मुस्लिम बच्चे को मारकर गायब कर दिया गया है !

नजीब की अम्मी समेत उसका पूरा परिवार असलियत जानता था, क्योंकि उनके पास मुस्लिम अपराधी मोहम्मद शमीम का फिरोती सन्देश पहुँच चुका था, जिसमें 15 लाख की मांग की गई थी ! किन्तु ये लोग भी जानते बूझते मोदी विरोधी नेताओं के निर्देश अनुसार नौटंकी करते रहे और भाजपा और विद्यार्थी परिषद् पर आरोप मढ़ते रहे ! 

अब आख़िरकार पुलिस ने मोहम्मद शमीम को दबोच लिया है और वह पुलिस हिरासत में है ! दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए शमीम ने ही नजीब के परिजनों को फोन कर पैसे की मांग की थी। यहां तक कि शमीम ने अपना बैंक एकाउंट नंबर भी दिया था। 

शमीम ने जिस नंबर से नजीब के परिजनों से बात की थी, उसे कुछ देर बाद ही मोबाइल से निकाल दिया था। ऐसे में पुलिस ने सबसे पहले उस व्यक्ति को पकड़ा जिससे शमीम से संबंधित नंबर पर बात हुई थी। बात करने वाले ने शमीम के घर का पता बताया, फिर दिल्ली पुलिस को कामयाबी मिली। शमीम के पास से पांच सिम बरामद हुए। जिसे दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई।

महराजगंज सिविल लाइंस निवासी शमीम गणेश शंकर विद्यार्थी इंटर कालेज में १२वीं के छात्र राजदीप की हत्या में जेल जा चुका है। कोतवाली के पास लोहिया नगर में 15/16 मई 2015 की रात राजदीप की हथौड़े से पीट कर हत्या कर दी गयी थी।

लेकिन पिता शहाबुद्दीन की मासूमियत तो देखिये – वे कहते हैं कि उनका बेटा शमीम निर्दोष है। हो सकता है कि खेल-खेल में शमीम ने फोन किया हो। 

खैर झूठे मक्कार नेताओं को इससे क्या फर्क पड़ता है, उनकी चंडाल चौकड़ी तो निकल चुकी है पंजाब, गोवा, यूपी की सैर को, किसी नए झूठे आरोप की तलाश में ! बैसे भी उनके पास कहने को हैही - अभी नजीब मिला कहाँ है ?

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