भारत की अघोषित रानी, राजकुमार और राजकुमारी और उन पर लुटता देश का खजाना




जी हाँ, हम बात कर रहे हैं विगत 25 वर्षों से भारत की राजधानी दिल्ली के हृदयस्थल 10 जनपथ पर बने एक आलीशान महल में रहने वाली महारानी एंटोनिया एड्वीज अल्बिना मेनो उपाख्य सोनिया गांधी की |
सब जानते हैं, अतः बताने की आवश्यकता नहीं कि कैसे इटली के एक निहायत गरीब परिवार में पैदा हुई यह महिला, जो कि अपने उदर पोषण के लिए एक बार में नौकरी करने को विवश थी, भारत में आकर दुनिया की चौथी सबसे अमीर राजनीतिज्ञ बनने में सफल हो गई |
कहा जाता है कि राजनीति ने उन्हें लगभग 2 अरब डॉलर की विशाल सम्पदा का मालिक बनाया । आज वे इंग्लेंड की महारानी एलिजाबेथ की तुलना में भी अधिक समृद्ध हैं |
खैर यह तो सामान्य बात है, अब मूल विषय पर आते हैं | एक आरटीआई के उत्तर के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जिस 10 जनपथ के आवास पर विराजमान हैं, वह प्रधान मंत्री के आधिकारिक निवास 7 लोक कल्याण मार्ग (पहले रेस कोर्स रोड) से भी बड़ा है । सोनिया जी के महल का फैलाव 15,181 वर्ग मीटर में है। जबकि भारत के प्रधान मंत्री का आवास 14,101 वर्ग मीटर क्षेत्र में है।
प्रजातंत्र की इस विसंगति के औचित्य पर क्या आमजन सवाल नहीं करना चाहिए ?
एक मरणासन्न राजनीतिक दल जिसके लोकसभा में महज 44 सांसद हों, उसके अध्यक्ष को भारत के प्रधान मंत्री की तुलना में बड़ा आवास होना किस लिहाज से उचित है ?
इस संबंध में पिछले दिनों भारत के प्रमुख ई-पोलस्टर द्वारा एक एक सर्वेक्षण किया गया - ‘My Vote Today’
इस पोल में जनता से यही सवाल किया गया था कि “क्या जिस राजनीतिक दल के लोकसभा में महज 44 सांसद हों, उसके अध्यक्ष का आवास भारत के प्रधान मंत्री की तुलना में बड़ा होना चाहिए ?”
प्रजातांत्रिक भारत की जनता ने अपना बेबाक जबाब दिया -
73% ने कहा 'नहीं', केवल 26% ने “हाँ” कहा और 1% ने वोट कर कहा “मे बी” |
अगर सोनिया जी के मन में लोकमत के प्रति थोडा भी सम्मान है, तो यह सन्देश साफ़ तौर पर दीवार पर अंकित है - अपना सामान पैक करो और कोई दूसरा आशियाना तलाश करो |
अब कुछ और रोचक जानकारी जो केवल भारत के भेड़िया धसान में ही संभव है –
2013-14 में, 10, जनपथ में विद्युत फिटिंग के रखरखाव के लिए जो खर्च हुआ वह 2012-13 की तुलना में 7 गुना अधिक था और यह 51,43,318 रुपए था। 2012-13 में, यह महज 7,82, 9 68 रुपये था और 2011-12 में तो यह केवल 2,65,681 रुपये था।
एक और विचित्र बात कि इन सभी तीन वर्षों में एक ही एजेंसी द्वारा यह रखरखाव किया गया ।
आरटीआई के जवाब में सीपीडब्ल्यूडी ने इन संदिग्ध आंकड़ों का खुलासा किया है। और यह तो कोई कहने की बात ही नहीं है कि इन खर्चों का भुगतान सरकार द्वारा ही किया जाता है। दूसरे शब्दों में, दुनिया की इतनी धनी इस इटालियन रानी के भव्य रहनसहन का भुगतान भारतीय करदाताओं द्वारा ही किया जाता है!
अभी इतने पर ही बस नहीं है | सोनिया गांधी के सपूत राहुल गांधी 10, जनपथ में अपनी मां के साथ नहीं रहते । शायद यह छोटा सा आवास दोनों माँ बेटों के रहने के लिए बहुत छोटा है!
राहुल जी के पास 12, तुगलक लेन में एक अलग बंगला है, जिसका आकार 5,022.58 वर्ग मीटर है। आखिर संसद सदस्य होने के नाते, यह उनका अधिकार जो है |
नैतिक आधार की बात तो गांधी परिवार से करने का कोई अर्थ है ही नहीं | बड़े लोग इस मध्यवर्गीय रोग को कहाँ पालते हैं ? करदाताओं के राष्ट्रीय धन को बचाने का ठेका क्या गांधी परिवार ने ही ले रखा है ?
मजेदार बात यह है कि सोनिया गांधी की विवाहित बेटी प्रियंका वाड्रा को भी 35, लोधी एस्टेट में एक बंगला आवंटित किया गया है जो 2,765.18 वर्ग मीटर है।
जबकि प्रियंका वाड्रा तो कोई सांसद भी नहीं हैं, हाँ उनकी एक खासियत तो है ही कि वे गांधी परिवार की सदस्य हैं |
वे चाहे सत्ता में हो या सत्ता से बाहर, किसकी माँ ने धोंसा खाया है जो सोनिया गांधी को 10, जनपथ से बाहर करे | पिछले दो दशकों में तो कोई यह हिम्मत कर नहीं पाया ।
लेकिन अब समय आ गया है, जब आमजन को संगठित होकर इन नकली गांधियों को अकारण मिल रहे विशेषाधिकारों के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।
अपनी मेहनत से कमाये हुए धन को, अपनी आँखों के सामने गंदे नाले में जाता कौन देख सकता है ?
जहां लाखों लोग गरीबी में रहते हैं, वहां सार्वजनिक धन का यह दुरुपयोग न केवल बेशर्मी की पराकाष्ठा है, बल्कि घृणित भी है ।
जब एक मलयाली को सार्वजनिक धन की चोरी करने के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ सकती है, तो यह इटलीवासी किस खेत की मूली है । नहीं चलेगा, अब बिलकुल नहीं चलेगा !


विनम्र अनुरोध - आइए हम इस बहस को शुरू करें और अपने विचार को प्रसारित करें, फैलाएं, जनजन तक पहुंचाएं ।

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