पाकिस्तानी अदालत का पनामा लीक मामले में फैसला - भारत के लिए खतरे की घंटी - ओंकारेश्वर पांडे



पाकिस्तानी अदालत के निर्णयानुसार अब पाकिस्तानी सेना ही इस बात की जांच करेगी कि क्या सचमुच शरीफ और उनका परिवार विदेश में अवैध धन जमा करने का दोषी हैं ? स्मरणीय है कि भारत के साथ कारगिल युद्ध के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ की कमान में पाकिस्तानी सेना ने ही 12 अक्तूबर 1999 को उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था । अतः कहा जा सकता है कि पाकिस्तानी अदालत के इस फैसले में नवाज शरीफ के लिए राहत कम सिरदर्द ज्यादा है।
पाकिस्तानी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया था कि प्रधान मंत्री और उनके परिवार ने विदेशों में मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से अवैध रूप से बड़ी मात्रा में धन जमा करवाया है, जो अपने पद का लाभ उठाकर अर्जित किया गया था ।
हालांकि इस फैसले से इतना अवश्य हुआ है कि नवाज शरीफ फिलहाल पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बने रहेंगे । यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस मामले को लेकर पिछले एक वर्ष से पाकिस्तान में तूफ़ान उठा हुआ था, तथा सभी की निगाहें इस फैसले पर लगी हुई थीं, किन्तु विरोधियों की आशा के विपरीत हाल फिलहाल तो प्रधान मंत्री नवाज शरीफ़ और उनके परिवार को कुछ राहत मिल ही गई है।
इस्लामाबाद में पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने लीक हुए "पनामा पत्रों" के आधार पर प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के फैसले पर फैसला सुनाते हुए शरीफ और परिवार को जांच दल के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है, जब उसका गठन हो जाए । इसका सीधा सा मतलब यह है कि मियां नवाज शरीफ़ का राजनीतिक भविष्य अब पाकिस्तान सेना की दया पर निर्भर करेगा।
न्यायालय के फैसले के अनुसार आगे की जांच करने के लिए एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया जाएगा। इस समिति में एफआईए, एनएबी, एसईसीपी, एसबीपी, आईएसआई और एमआई में प्रत्येक से एक वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित होगा और यह जांच समिति प्रधान मंत्री की संपत्ति की जांच करेगी । अर्थात प्रधान मंत्री आईएसआई और पाकिस्तान सेना की दया पर निर्भर होंगे।
जेएटी इस बात की भी जांच करेगी कि क्या सचमुच प्रधान मंत्री के बच्चों द्वारा पनामा में अपतटीय व्यवसायों के माध्यम से अर्जित धन को कतर में स्थानांतरित कर दिया गया । संयुक्त जांच दल 60 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। स्वाभाविक ही तब तक यह मामला पाकिस्तान की घरेलू राजनीति पर हावी रहेगा क्योंकि देश में अगले साल आम चुनाव होने हैं।
इस प्रकार पनामा पत्रों का भूत, भविष्य में भी परेशान करता रहेगा, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है।
पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने 1 9 6 9 के लोकप्रिय उपन्यास 'द गॉडफादर' के कुछ अंशों का रोचक हवाला भी अपने निर्णय में उल्लेखित किया है, जिसमें एक माफिया परिवार की हिंसक कहानी को वर्णित किया गया था :
प्रत्येक महान सौभाग्य के पीछे अपराध होता है।
- बाल्ज़ाक
"यह सनसनीखेज उपन्यास काफी लोकप्रिय हुआ था, तथा इसके आधार पर एक फिल्म भी बनी थी, जिसकी बहुत प्रशंसा भी हुई थी । मानोर डी बाल्ज़ाक द्वारा लिखित इस उपन्यास के मूल फ्रेंच संस्करण में एक वाक्य लिखा गया था:
Le secret des grandes fortunes sans cause apparente est un crime oublié, parce qu’il a été proprement fait.
इसका अर्थ है -
(जहाँ आपकी प्रतिष्ठा को नुक्सान होना चाहिए था, आप बड़ी सफलता अर्जित कर लेते हैं, उसका रहस्य यह है कि आपके अपराध का किसी को पता नहीं चला, क्योंकि उसे बड़ी चतुराई से निष्पादित किया गया था)।
"फिलहाल वास्तविकता यह है कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार, भ्रष्ट पद्धति और मनी लॉन्ड्रिंग आदि के 1.2 अरब रुपयों के आरोपों को उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में खारिज कर दिया गया था और सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह दुबारा जांच शुरू करवाने के मार्ग में अड़चन डालना पसंद नहीं करेगा, जहां इस तरह की जांच या रिओपनिंग अभियोजन पक्ष के लिए कानूनी तौर पर संभव हो ।
पाकिस्तान में सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग - नवाज (पीएमएल-एन) और पीएम नवाज शरीफ के लिए यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि वह इसे पनामा लीक भ्रष्टाचार मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई क्लीन चिट के रूप में पेश कर सकते हैं।
पीएम नवाज शरीफ और उनकी पार्टी पीएमएल-एन के नेतागण कोर्ट के फैसले के बाद उत्साहित मनोदशा में हैं। प्रधान मंत्री की बेटी मरियम नवाज ने अपने भाई और पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ को गले लगाते हुए अपने परिवार के साथ शरीफ द्वारा जश्न मनाए जाने की तस्वीरों को तुरंत ट्वीट किया।
उन्होंने एक और तस्वीर पोस्ट की, जिसमें शाहबाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम, सीनेटर परवेज रशीद और अन्य वरिष्ठ पीएमएल-एन नेताओं के साथ प्रधान मंत्री को दिखाया गया था। निर्णय के बाद मीडिया से बात करते हुए, पीएमएल-एन के नेता ख्वाजा साद रफीक ने कहा कि "यह नवाज शरीफ, उनकी टीम, पीएमएल-एन, हमारे मतदाता और सभी लोकतंत्र के समर्थक पाकिस्तानियों की जीत है |
एक संयुक्त जांच दल के गठन का आदेश, प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की जीत है | साथ ही रफीक ने आशा जताई कि प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व में, पीएमएल-एन 2018 में जनता की अदालत में भी जीत जाएगा। हम न केवल सभी चार प्रांतों में अपनी सरकार बनायेंगे, बल्कि दो-तिहाई बहुमत हासिल करेंगे।
इसे शरीफ के राजनीतिक विरोधियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि अदालत ने पीएम नवाज, उनके परिवार, पाकिस्तान सरकार के विभिन्न विभागों और संस्थानों, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सहित सभी पक्षों के साक्ष्यों व तर्कों की पूरी जांच की है। स्मरणीय है कि पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान, जमात इस्लामी प्रमुख सिराज उल-हक और अवामी मुस्लिम लीग (एएमएल) के प्रमुख शेख रशीद अहमद ने 1990 के दशक में प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ पद के दुरुपयोग संबंधी गंभीर आरोप लगाए थे।
विपक्षी दलों ने संसद के अंदर और बाहर पूरे वर्षभर विरोध प्रदर्शन व आंदोलन किये थे और अंत में वे इस मामले को अंततः सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख ले गए थे | उन्हें आशा थी कि अदालत का निर्णय होने के बाद पीएम नवाज शरीफ को सत्ता से बाहर होना पडेगा । पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट पिछले दो हफ्तों से दैनिक आधार पर इस मामले की सुनवाई कर रहा था। इस मामले को शीघ्र समाप्त करने के लिए, राजनीतिक दलों ने मीडिया अभियानों के माध्यम से भी निर्णय को प्रभावित करने का प्रयास किया।
हालांकि विपक्ष ने इस निर्णय के बाद भी प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ अपना निंदा अभियान जारी रखा है और उनके इस्तीफे की मांग की है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रवक्ता फवाद हुसैन ने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा कि यह प्रधान मंत्री के लिए शर्म की बात होगी कि उन्हें एफआईए के संयुक्त नियंत्रक के समक्ष प्रस्तुत होना होगा, इस शर्मिंदगी से बचने के लिए उन्हें अविलम्ब आज ही इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला 3-2 के बहुमत से हुआ है, अर्थात पांच में से दो न्यायाधीशों का निष्कर्ष यह था कि प्रधानमंत्री को अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि अब पाकिस्तानी प्रधान मंत्री पर पाकिस्तानी सेना का पूरा दबाब रहेगा | और पाकिस्तानी सेना कैसी है, यह तो पूरी दुनिया जानती है | अर्थात विश्व शांति को गंभीर खतरा है | भारत के लिए तो यह खतरे की घंटी है ही |
(लेखक दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनसे editoronkar@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

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