उत्तराखंड में आबकारी विभाग का अजीबोगरीब फैसला, दैनिक आधार पर मिलेगा शराब के ठेकों का लाइसेंस

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध के बाद राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। कोर्ट ने राजमार्ग के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकान नहीं खोलने का आदेश दिया है। इसके बाद रिहाइशी इलाकों में शिफ्ट करने की बात हुई लेकिन इसका भी जोरदार विरोध हुआ। ऐसे में आबकारी विभाग ने एक अजीबो गरीब फैसला लिया है। अब विभाग ने ठेकेदारों को रोज के हिसाब से लाइसेंस देने की बात की है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा वाले जिले में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बाद पूरे राज्य में शराबबंदी को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में मौजूद शराब की दुकानों को हटाने के आदेश दिए थे। 1 अप्रैल 2017 से यह आदेश लागू भी कर दिया गया है। राज्य में राजमार्गों के करीब से दुकानों को हटाकर रिहाइशी इलाकों में ले जाने की बात की गई तो इसका भी जोरदार विरोध किया गया। इन सबके बीच आबकारी विभाग ने एक अजीबो गरीब फैसला लेते हुए कहा कि वह ठेकेदारों को शराब के ठेके का दैनिक लाइसेंस देगी और फीस के रूप में बिक्री का 8 फीसदी हिस्सा लेगी।

लाइसेंस की व्यवस्था कैसे होगी!

विभाग ने फैसले से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। पहली बात तो यह कि दैनिक लाइसेंस की प्रक्रिया और प्रकाशन का काम कैसे होगा? यह काम कौन करेगा? क्या इसके लिए पर्याप्त स्टाफ है? अगर एक व्यक्ति की जगह अधिक ठेकेदार आ गए तो लाइसेंस देने का सिस्टम क्या रहेगा? इन सवालों का जवाब तलाशे बिना आबकारी विभाग ने आनन-फानन में यह व्यवस्था कर दी है। यह भी तय कर दिया है कि शराब की बिक्री का आठ फीसदी लाइसेंस फीस के रूप में लिया जाएगा। सबसे बड़ी बात तो यह कि ठेकेदारों से भी नहीं पूछा गया कि क्या वे रोज मोहल्ला बदलकर शरब की बिक्री कर पाएंगे। 

सुप्रीम कोर्ट जा सकता है विभाग

हाईवे के किनारे स्थित दुकानों को बंद कराने के मामले में आबकारी विभाग पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है। आबकारी आयुक्त युगल किशोर पंत ने बताया कि कोर्ट ने 20 हजार से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में हाईवे से 220 मीटर की दूरी पर स्थित ठेकों को बंद कराने का आदेश दिया है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में कई ऐसे इलाके हैं जहां हाईवे से 50 मीटर की दूरी के बाद या तो कोई नदी है या फिर खाई है। ऐसे में पहाड़ी इलाकों में शराब के ठेकों को हाईवे से निर्धारित दूरी कम करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई जा सकती है। आबकारी विभाग इसके लिए कानून विभाग की राय लेगा।

राजमार्गों का निर्धारण होगा

आबकारी विभाग ठेकों को बचाने के लिए राजमार्गों का फिर से निर्धारण करने की बात की जा रही है। सरकार अब इसके लिए शहरों और गांवों से होकर गुजरने वाली स्टेट हाईवे और उसके बाईपास को जिला मार्ग घोषित करने पर विचार कर रही है। अब देखना है कि इस पर क्या फैसला होता है?

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें