प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा की राय - गांधी परिवार से मुक्त हुए बिना कांग्रेस का पुनरुत्थान असंभव



इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जाते हैं। चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी वो उनके नेताओं पर पार्टी के क्रियाकलापों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। इस वजह से उन्हें दोनों खेमों के क्रोध का कोपभाजन बनना पड़ता है। ताजा मामला रामचंद्र गुहा के पत्रकार बरखा दत्त के एक कार्यक्रम में दिए बयान का है।
रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक "India After Gandhi: The History of the World's Largest Decomcary" की दशवीं वर्षगाँठ पर मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पत्रकार बरखा दत्त से चर्चा करते हुए कांग्रेस को सुझाव दिया कि वह अपने नेतृत्व में बड़े पैमाने पर बदलाव करे | साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केवल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के नेता के रूप में पेश करने पर ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को प्रभावी चुनौती दी जा सकती है |
गुहा ने कांग्रेस के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कितने हैरत की बात है कि भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल आज नेतृत्व विहीन है और निकट भविष्य में इसके पुनरुद्धार की कोई संभावना भी नहीं है। किन्तु साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में अभी दो वर्ष हैं और राजनीति में परिस्थितियाँ बदलने के लिए इतना समय काफी है। अगर कांग्रेस गांधी परिवार से इतर कोई नया नेता चुन लेती है, तो परिद्रश्य बदल सकता है ।
गुहा ने कहा कि इस समय भारत में केवल एक ही स्वाभाविक नेता है, और वह है नीतीश कुमार । वह बिना पार्टी का नेता हैं, जबकि कांग्रेस नेता विहीन पार्टी है | यदि कांग्रेस नीतीश को यूपीए का नेतृत्व करने का अवसर देती है, तभी उसका भी भविष्य हो सकता है। गुहा ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ही तरह नीतीश कुमार भी एक ऐसे नेता हैं, जो परिवार के बोझ से मुक्त हैं | साथ ही उनमें मोदी के विपरीत, अहंकारोन्माद भी नहीं है।
गुहा ने कहा कि एकल पार्टी के वर्चस्व में निरंकुशता की समस्या है | यद्यपि महान लोकतांत्रिक जवाहरलाल नेहरू ने इस धारणा को अप्रभावी बनाया, किन्तु इंदिरा गांधी के समय यह निरंकुशता साफ़ दिखाई दी । तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में एक पार्टी का प्रभुत्व क्या गुल खिलायेगा, इसका आभास मिलना प्रारम्भ हो गया है ।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में वामपंथी शासन के 40 साल एक आपदा थे, इसी प्रकार गुजरात में बीजेपी शासन के 25 साल भी किसी आपदा से कम नहीं हैं । स्वतंत्रता के 70 वें वर्ष में भी हम पश्चिमी लोकतंत्र के समान दो पार्टी मॉड्यूल की स्थाई नकल करने में असफल रहे हैं। गुहा ने जोर देकर कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में एक पार्टी का प्रभुत्व अच्छा नहीं है क्योंकि यह एक नेता को अधिक निरंकुश बनाता है।
स्मरणीय है कि रामचंद्र गुहा इससे पहले भी राहुल गांधी पर तीखे तंज कस चुके हैं। दिल्ली महानगर पालिका चुनावों के बाद गुहा ने कहा था कि अजय माकन और दिग्विजिय सिंह जैसे नेता पद से हटाए जा रहे हैं लेकिन “सीरियल फेल्योर” राहुल गांधी बने हुए हैं। गुहा ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकीय कमेटी (सीओए) से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि बीसीसीआई में “सुपरस्टार सिस्टम” लागू है।


एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें