शिव की नगरी शिवपुरी में जिला प्रशासन का “तालिबानी” फरमान मंदिर में दर्शन करने देने होंगे 5 से 10 रुपये - सौरव दुबे

ये बात जितनी अटपटी लगती है, उतनी ही चौंकाने वाली भी है लेकिन 100 फीसदी सच है कि अब शिव की नगरी शिवपुरी में मंदिर में दर्शन करने के लिए 10 रुपये तक देने होंगे और अगर भगवान के किसी गरीब भक्त की जेब खाली है तो उसे भगवान के दर्शनों का पुण्य लाभ भी प्राप्त नहीं होगा । शिवपुरी जिला प्रशासन के नये मुगलिया टाइप फरमान के बाद हालात कुछ ऐसे ही बनने वाले हैं कि लोगों को मंदिर में पूजा पाठ के लिए नये क्लेवर में “जजिया” का भुगतान करना होगा । 

पिछले दिनों जिला प्रशासन ने बिना सोचे-समझे पर्यटन स्थल भदैया कुंड क्षेत्र में प्रवेश पर टिकट लगाने का फैसला लिया और इसे लागू करने के लिए आजादी की 70वीं वर्षगांठ का दिन मुकर्रर किया गया मगर स्थानीय प्रशासन यह पूरी तरह भूल गया कि इस फैसले से न सिर्फ आजाद भारत के बहुसंख्यक नागरिकों की धार्मिक भावनाएं प्रभावित हो सकती है बल्कि कानूनी तौर पर भी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का भी हनन होगा । दरअसल, जिस भदैया कुंड परिसर में प्रवेश के लिए प्रशासन ने शुल्क वसूलना शुरू किया है, वहां अति प्राचीन शिव मंदिर और हनुमान मंदिर हैं, जो बरसों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है । इन मंदिरों में प्रतिदिन दर्शनार्थी पूजा-अर्चना करने जाते हैं, जिन्हें अब भगवान के दर्शन और पूजा-अर्चना करने के लिए शुल्क चुकाना होगा । जाहिर है स्थानीय प्रशासन ने मंदिर में प्रवेश के लिए शुल्क वसूलने का बड़ा फैसला लेते वक्त श्रद्धालुओं की अनदेखी की है और धार्मिक भावनाओं का ख्याल नहीं भी रखा...। ऐसे में उन भक्तों की मुश्किल बढ़ गई है जो भगवान के दर्शन प्राप्त करना चाहते हैं मगर बढ़ती महंगाई के कारण 5 रुपये खर्च करने में भी 50 बार सोचते हैं । 

सभी जानते हैं कि मुसीबत में भगवान याद आते हैं और जब जेब खाली होती है, तब प्रार्थना करने इस उम्मीद के साथ भगवान के घर ही जाया जाता हैं कि वो भक्त की प्रार्थना सुनकर दरिद्रता जरूर दूर करेंगे । मगर जब मंदिर में भी टिकट के लिए पैसा मांगा जाएगा तो बड़ा सवाल ये है कि बेचारा मजबूरी का मारा गरीब इंसान कहां जाएगा ? क्योंकि सरकारी सुनवाईयों से उसकी आस पहले ही टूट चुकी है । अब ईश्वर के सामने दुखड़ा रोने के लिए भी खर्चा करना होगा तो धिक्कार है ऐसी समान नागरिक संहिता लाने का दावा करने वाली सरकारों पर....। जो बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर तरह तरह के दावे और वादे करती रही है उसी पार्टी के शासनकाल में मुगल शासन की तर्ज पर मंदिर में दर्शन के लिए शुल्क चुकाना किसी जजिया से कम नहीं । शायद यही इस सरकार के अच्छे दिन हो ।

वैसे माना जाता है कि कलियुग में भगवान अवतरित होंगे लेकिन कृपया इस लेख को पढ़कर किसी को न बताएं कि भगवान के मंदिर में दर्शन करने के लिए टिकट लगने लगा है वरना अगर भगवान को इस बात का पता चल गया तो वो अवतरित होने का फैसला कैंसिल कर सकते हैं, निश्चित ही, वो भी सोचेंगे कि सरकारें मुझसे मेरे भक्तों के मिलने पर मोटा शुल्क लगा सकती हैं । बेहतर होगा कि स्वप्न में ही दर्शन देकर भक्तों को धन्य किया जाए, अन्यथा अकारण ही भक्तों की जेब कटेगी । संभावना ये भी है कि भगवान के अवतार लेने के समय तक खाना खाने और पानी पीने पर भी शुल्क लगना शुरू हो जाए। 

हैरानी वाली बात ये भी है कि भगवा बांधकर जयश्री राम का उद्घोष लगाने वाले हिंदूवादी संगठनों के वीर नौजवान भी अभी तक नरम रुख अख्तियार किए हुए हैं, अभी तक कहीं से कोई विरोध की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। संभव है कि इन संगठनों के राजनीतिकरण के कारण चेतना में कमी आई हो परंतु सर्व विदित है कि भारतीय राजनीति की सांस भी राम नाम से ही चलती है और अयोध्या के राम के नाम से ही सरकारें बनती और गिरती हैं फिर भी विपक्षी जनप्रतिनिधि गहरी नींद में सोये नजर आ रहे हैं असंवेदनशीलता का परिचय दे रहे हैं । ऐसा लगता है कि मानो पिछले कुछ साल से बीमार विपक्ष के चूल्हों की आग ठंडी पड़ गई है शायद यही कारण है कि वो बड़े-बड़े मुद्दों को नहीं भुना पा रहे हैं। 

जिस देश में खुद को बुद्धीजीवी समझने वाले पढ़े लिखे मूर्खों को बिना कोई शुल्क चुकाए महिषाषुर दिवस मनाने की आजादी मिल जाती है वहीं, मंदिर में दर्शन करने के लिए बिना शुल्क जाने की आजादी नहीं...। निश्चित ही यह दुर्भाग्य की पराकाष्ठा है और देश को स्वतंत्रता दिलाने वालों ने ऐसे देश की परिकल्पना कभी नहीं की होगी । हालांकि, भदैया कुंड में मंदिर का निर्माण सिंधिया राजवंश ने भगवान के सभी भक्तों के लिए कराया था मगर उस वक्त शायद उन्हें इस बात जा जरा भी अंदाजा नहीं होगा कि आने वाले समय में भगवान को भक्तों से दूर कर दिया जाएगा या भक्तों को भगवान के दर्शनों की कीमत चुकानी होगी । साथ ही, उनके उत्तराधिकारी भी इस उगाही पर मौन रहेंगे । वैसे मंदिर में जाने पर प्रतिबंध लगाना पाप ही नहीं बल्कि गैरकानूनी भी है। यह सीधे तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है । खास बात ये है कि इसके पीछे जिला पर्यटन समिति-सचिव रूपेश उपाध्याय ने पर्यटन को बढ़ावा देने की दलील दी थी, यह बताने की जरूरत नहीं है कि पर्यटन के लिहाज से ताजमहल का महत्व कितना ज्यादा है और गौरतलब है कि वहां भी मुस्लिमों को प्रवेश करने और नमाज अता करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता । 

दुर्भाग्यपूर्ण है कि इससे पहले भी जनचेतना के आभाव में शिवपुरी स्थित पर्यटन स्थल भूरा खो के शिव मंदिर में बिना टिकट प्रवेश वर्जित किया जा चुका है और अब भदैया कुंड स्थित मंदिरों में भी बिना शुल्क चुकाएं दर्शन करने पर रोक लगा दी गई है यही आलम रहा तो वो दिन दूर नहीं जब धीरे-धीरे हर मंदिर पर पूजा के लिए जजिया की तरह का शुल्क चुकाना होगा । हांलाकि यह तय नहीं है कि अब सरकार या स्थानीय प्रशासन इस मामले में क्या करने वाला है मगर ईश्वर पर भरोसा किया जा सकता है ।

यह भी संयोग हो सकता है कि जिला पर्यटन समिति-सचिव रूपेश उपाध्याय ने मंदिरों में टिकट लगाने की बात की, और इसके बाद उनकी तथाकथित आपत्तिजनक तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आ गई उधर, तस्वीरें सार्वजनिक करने वाले राजेंद्र पिपलौदा का कहना है कि उन्होंने तस्वीरें किसी को नहीं भेजीं । परंतु यह मानना होगा कि आज के दौर में भी चमत्कार होते हैं कोई बड़ी बात नहीं कि एक मोबाइल फोन में तस्वीरों का दम घुट रहा हो और उन्होंने स्वत: भगवान की आज्ञा लेकर सार्वजनिक होने का फैसला ले लिया हो ।

सौरभ दुबे 
लेखक परिचय - लेखक पूर्व में इंडिया न्यूज़, समाचार प्लस, आजाद न्यूज़, पीटीसी न्यूज़, जी पंजाबी, दूरदर्शन, नयी दुनिया में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके है ।
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