सोनिया जी , अपने बाबू को समझाइये - संजय तिवारी

गज़ब के हैं वह। जब भी बोलते हैं , खूब बोलते हैं। उन्हें आज तक यह शऊर नहीं आया की कब , कहा , कैसे और क्या बोलना है। आजकल वैश्विक बनने की कोशिश में भारत में विपक्ष के सबसे बड़े नेता के रूप में खुद को स्थापित कर रहे , और अब तो प्रधानमंत्री भी बनने को तैयार राहुल गांधी का नाम किस रूप में लिया जाय ,समझ में नहीं आ रहा। विदेश में देश की इज्जत को तमाशा बना रहे राहुल गांधी वह सब कुछ कर रहे जिसे भारत के अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों और नेताओ ने खून पसीने बहा दिए। समझ में नहीं आता कि जब उनकी दादी की ह्त्या हुई थी तब भारत में सब सहिष्णु था। जब उनके पिता की ह्त्या हुई थी तब भारत में सब सहिष्णु था। नोआखाली से लेकर दिल्ली और मलियाना तक के कत्लेआम के समय सब ठीक था। तीन साल पहले तक विदेशो में रहने वाला हर भारतीय नज़रें चुराया करता था तब सब ठीक था। आज पूरी दुनिया भारत का नेतृत्व स्वीकार करने में गर्व का अनुभव कर रही है तो राहुल जी को माहौल असहिष्णु दिख रहा है।

दरअसल राहुल गाँधी या तो बहुत मासूम हैं या फिर मुझे उन्हें मूर्ख कहने में कोई संकोच इस लिए नहीं है क्योकि जिस राजनेता को देश की कमियां गिनाने के लिए विदेशी जमीन उपयुक्त लग रही है उसे होशियार या परिपक्व तो नहीं कहा जा सकता। वैसे भी भारत के भीतर उन्हें यहाँ के अधिकाँश लोग एक बड़े प्यारे नाम से पुकारते हैं। मुझे वह वैसे भी नहीं लगते।

जरा देखिये कि अमेरिका में उन्होंने क्या क्या कहा है -
बुधवार की रात को उन्होंने न्यूयॉर्क के ऐतिहासिक टाइम्स स्क्वायर के पास एक होटल में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों, बेरोजगारी, देश में हो रही हिंसक घटनाओं और इन्टॉलरेंस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन चीजों से दुनिया में भारत की इमेज बिगड़ रही है। राहुल ने बेरोजगारी से निपटने का फॉर्मूला भी दिया। उन्होंने कहा कि रोजगार बढ़ाने हैं तो छोटी और मझोली कंपनियों को भी बढ़ावा देना होगा। इससे पहले राहुल प्रिंसटन और बर्कले यूनिवर्सिटी में स्पीच दे चुके हैं।
राहुल गांधी ने कहा- " बेरोजगारी की प्रॉब्लम इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि आजकल सिर्फ 50-60 कंपनियों पर ही फोकस किया जा रहा है। अगर, रोजगार बढ़ाने हैं तो छोटी और मझोली कंपनियों को भी बढ़ावा देना होगा। एग्रीकल्चर स्ट्रैटजिक असेट है, हमें इंडियन एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूत बनाने की जरूरत होगी। भारत की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक श्वेत क्रांति है, जिसे एनआईआर श्री कुरियन जी ने संभव बनाया। हर रोज 30 हजार नये लोग भारत में रोजगार के लिए आ रहे हैं, लेकिन केवल 450 लोगों को ही रोजगार मिल रहा है। बेरोजगारी का समाधान करना होगा और कांग्रेस पार्टी के पास विजन है।"

राहुल ने कहा- देश में कुछ ताकतें भारत को बांट रही हैं। भारत हजारों साल से एकता और शांति के साथ रहने के लिए दुनियाभर में जाना जाता है, लेकिन अब इस इमेज को बिगाड़ा जा रहा है। देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं, जो भारत को बांट रही हैं।अमेरिका में कई डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक नेताओं ने मुझसे पूछा कि आपके देश में आजकल ये क्या चल रहा है। आपका देश तो शांति के लिए जाना जाता था। लोग पूछ रहे हैं कि भारत के भाईचारे को क्या हुआ? दरअसल सच यह है कि भारत में बांटने वाली राजनीति हो रही है।अब तक लोग खुद बता रहे हैं कि भारत में इन्टॉलरेंस को लेकर क्या हुआ, भाईचारे को लेकर क्या हो रहा है? मुझे लगता है कि मोदी और ट्रम्प के सत्ता में आने की प्रमुख वजह दोनों देशों में बेरोजगारी का होना ही रहा। हमारी एक बड़ी आबादी के पास नौकरी नहीं है और उसे आने वाले वक्त में भी जॉब की संभावना नहीं दिखती।

अब राहुल गाँधी को कौन समझाए कि भारत में मोदी और अमेरिका में ट्रम्प इस लिए नहीं जीते जो कारण वह बता रहे हैं। ट्रम्प और मोदी की पहचान उनकी राष्ट्रवादी सोच है। देश के प्रति इनका समर्पण है। ये किसी दूसरे देश में जाकर अपने देश की बुराई नहीं करते राहुल बाबा। ये दोनों ही खांटी राष्ट्रवादी नेता है। आप कैसे नेता हैं की कुछ याद नहीं रखते। याद कीजिये - मोदी का नारा था इंडिया फर्स्ट। ऐसे ही ट्रम्प का नारा था - अमेरिका फर्स्ट। इन दोनों नेताओ के लिए देश पहले है , बाकी बातें बहुत पीछे। आप खुद अपनी दादी को भी भूल गए। वह भी देश पहले की बात करती थी जब वह प्रधानमंत्री थीं तब उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए विश्व मंच पर अटल जी को भेजा था। अटल जी विपक्ष में थे लेकिन जब देश की बात आयी तो देश के नेता के रूप में वह गए और देश के लिए बोल कर आये।


मुझे सबसे ज्यादा दुःख तो सोनिया जी के भाग्य को लेकर हो रहा है। दस वर्ष तक देश में एक मौन प्रधानमंत्री का सफल शासन चलाने के बाद आज उन्हें यह दिन भी देखना पड़ रहा है कि उन्ही के पुत्र कभी उन्ही को और कभी अपनी पूरी विरासत को ही सवालों के घेरे में डाल दे रहे हैं। देश के प्रख्यात हास्य कवी अरुण जेमिनी की वह व्यंग्य कविता मुझे बहुत प्रासंगिक लग रही है जिसमे किसानो को मुआवजा बाँट रही सोनिया जी को किसानो द्वारा यह कहते हुए धन देने की चर्चा की गयी है कि
-- आप भी यह पैसा रख लो , फसल तो आपकी भी खराब हुई है। अब तो मै सोनिया जी से खुद भी निवेदन कर रहा हूँ - मैडम , अब अपने बाबू को समझाइये। प्लीज़।

संजय तिवारी
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