लो फिर शुरू हुआ अवार्ड वापसी का दौर – दिवाकर शर्मा

एक बार पुनः याद करें वह दौर जब पूरे देश में असहिष्णुता की चर्चा जोरों पर थी ! यह वह दौर था जब देश में भय का माहौल बता कर अवार्ड पर अवार्ड वापस किये जा रहे थे ! इस दौरान अवार्ड वापस करने वाले लोगों की गेंग ने अवार्ड तो वापस किये परन्तु किसी ने भी अवार्ड के साथ मिली नगद राशि को वापस नहीं किया ! यह नौटंकी ठीक बिहार चुनाव से पूर्व की गयी ! अवार्ड वापसी का यह कार्यक्रम केवल हिन्दुओं को असहिष्णु बताने के लिए रचा गया था ! सभी जानते है कि अवार्ड वापसी का यह पूरा कार्यक्रम नरेन्द्र मोदी और बीजेपी को बिहार में रोकने के लिए किया गया था ! बिहार चुनाव को प्रभावित करने के लिए यह पूरा कार्यक्रम (षड़यंत्र) वामपंथियों और कांग्रेस के इशारे पर रचा गया था ! 

लेकिन फायदा क्या हुआ इस नौटंकी का ? नितीश कुमार ने तो पुनः घर वापसी की राह पकड़ ली और फिर से NDA का दामन थाम लिया ! अवार्ड वापसी गैंग को यह करारा झटका था ! बेचारों धोबी का कुत्ता हो गए, ना घर के रहे ना घाट के | उनके चहेते लालू और कांग्रेस फिर से सत्ता से बेदखल हो गए ! सच कहा जाए तो नीतीश कुमार की NDA में वापसी से अवार्ड वापसी गैंग का मुंह तो पूरी तरह काला हो गया ! बेचारी अवार्ड वापसी गैंग के पास न अवार्ड रहे न बिहार ! इस अवार्ड वापसी गैंग के विषय में एक बड़ा सवाल मन में आता है कि पूरा देश यह तो जानता है कि इन तथाकथित बुद्धिजीवियों ने अवार्ड वापसी कब की परन्तु देश के लोग यह नहीं जानते कि इन्हें यह अवार्ड मिले कब थे ? दरअसल इन्हें यह अवार्ड कांग्रेस की सरकार के दौरान ही प्राप्त हुए थे ! 

उस समय इनके अवार्ड वापसी अभियान को मीडिया एवं विपक्षी नेताओं ने एक नयी क्रांति का नाम देकर खूब उछाला और अपना मतलब पूरा होते यह गैंग सुप्तावस्था में चली गयी ! आज एक बार फिर से यह अवार्ड वापसी गैंग सक्रियता दिखा रही है ! पत्रकार गौरी लंकेश की ह्त्या के बाद हत्यारों के न पकडे जाने से क्षुब्ध अभिनेता एवं अवार्ड वापसी गैंग की नयी भर्ती प्रकाश राज ने कहा है कि वह अपने पांच राष्ट्रीय पुरूस्कार वापस करने के इच्छुक है ! समझ नहीं आता कि विरोध का यह कौन सा तरीका है ? अब प्रकाश राज को कौन समझाए कि किसी बात से नाराज या असंतुष्ट होने पर अवार्ड वापसी करना कहाँ तक सही है ! क्या यह उस जनता का अनादर नहीं है जिनके बूते पर इन जैसे लोग इस पायदान तक पहुंचे है ? यदि समाज में असहिष्णुता बढ़ रही है तो क्या आपका यह कदम समाज में असहिष्णुता को दूर कर देगा ? क्या इसके लिए अन्य प्रयासों की दरकार नहीं है ?

अब सवाल यह भी उठता है कि कर्नाटक में हुई हत्या पर प्रधानमंत्री से जवाब क्यों मांग रहे प्रकाश राज ? कर्नाटक सरकार से सवाल क्यों नहीं किया जा रहा ? जाहिर है यह सब सोची समझी साजिश के तहत ही किया जा रहा है ! क्योंकि हत्या कर्नाटक में हुई, ये अभिनेता भी कर्नाटक के हैं, उनके गौरी लंकेश से ‘संबंध’ भी अच्छे थे, गौरी लंकेश के ‘संबंध’ कर्नाटक के सीएम से भी अच्छे थे ! राज्य शासन में इतनी ऊंची पैठ वाली पत्रकार की हत्या हो गई और जवाब केंद्र सरकार दे ? साफ है कि यह महज शिगूफा नहीं बल्कि बड़ी साजिश है ! 

दरअसल यह एक विचारधारा ही नहीं एक लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कुत्सित कोशिश है ! जाहिर है अंध विरोध अब धूर्तता में भी बदल चुकी है ! अवॉर्ड वापसी गैंग, जेएनयू गैंग, अफजल गैंग, not in my name गैंग एक बार पुनः सक्रिय होती दिखाई दे रही है ! मृणाल पांडे, प्रशांत भूषण, संजय सिंह, योगेंद्र यादव जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी फिर एक हो रहे हैं ! सागरिका घोष, राजदीप सरदेसाई, अभिसार शर्मा, रवीश कुमार, राणा अयूब जैसे पक्षकारों ने भी अपनी तैयारी कर ली है ! दरअसल 2002 के दंगों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे असहिष्णु गैंग के निशाने पर रहे हैं ! बहरहाल ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अचानक ही यह ‘असहिष्णु’ गैंग इतना सक्रिय क्यों हो गया है ? आखिर क्या वजह है जो कर्नाटक से इसकी आवाज निकली और दिल्ली के प्रेस क्लब में गूँज होने लगी ? अब जनता को तय करना है कि वो ऐसे लोगों की बातों में आकर बेवकूफ बनेगी या सोच समझ कर सही फैसला करेगी ! 

दरअसल बामपंथी खेमा, चाहे उसके विचारक हों, या पत्रकार और कलाकार, इस समय केरल में चल रही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जन रक्षा यात्रा से बौखलाए हुए हैं ! उनके पास अमित शाह की इस बात का कोई जबाब नहीं है कि जब से कम्युनिस्ट सरकार केरल में आई है, तब से 13 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है। केरल में कम्यूनिस्ट गुंडों द्वारा की गईं राजनैतिक विरोधियों की हत्याओं की कुल संख्या तो ढाई सौ से भी अधिक है ! अब जब वे देश भर में नंगे हो रहे हैं, तो बेचारों के पास हाय तौबा मचाने के अलावा चारा ही क्या है ?

दिवाकर शर्मा
krantidooot@gmail.com
8109449187

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