सेवाकार्यों के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित अमृताकीर्ती पुरष्कार इस वर्ष विवेकानंद केंद्र की लक्ष्मी दीदी को !



सेवा वही जो निःस्वार्थ हो | किन्तु निस्वार्थ सेवाकार्यों का प्रचार और उन्हें समाज मान्य करने से सेवाकार्यों के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरणा प्राप्त होती है | अतः ऐसे सेवाकार्यों की चर्चा आवश्यक है | यदि समाज की सेवा करने वालों के ज्ञान और प्रतिभा को नजरअंदाज कर दिया जाये और उन्हें भुला दिया जाये, तो इससे अंततः समाज का ही नुकसान होता है | 

इसी भावना से माता अमृतानंदमयी मठ ने 2001 से वार्षिक अमृता कीर्ती पुरस्कार प्रदान करना प्रारम्भ किया है, जो कि भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों को दिया जाता है । इसका लक्ष्य सनातन धर्म के प्राचीन और स्थायी मानव मूल्यों के संरक्षण में सहायता करना है। पुरस्कार हर साल अम्मा के जन्मदिन पर प्रदान किया जाता है।

इस पुरस्कार हेतु दो श्रेणियां बनाई गई हैं: एक तो वे जो भारत के मूल आध्यात्मिक ग्रंथों का गहराई से अध्ययन कर उसकी लिखित व्याख्या द्वारा रचनात्मक सामाजिक या राष्ट्रीय सेवा के लिए समर्पित हैं। दूसरी श्रेणी है, संन्यासी जो इस पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं, क्योंकि उनकी सेवा उनकी आध्यात्मिक साधना का हिस्सा है।

इस वर्ष पांच सदस्यीय समिति ने सर्वसम्मति से जिन महिला विभूति का चयन इस पुरस्कार हेतु किया, वे हैं आदरणीय लक्ष्मी दीदी, जिन्होंने विगत चार दशकों से पूरे देश में स्वामी विवेकानंद के संदेश को प्रसारित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया हुआ है। 

9 अक्तूबर को माता अमृतानंदमयी देवी द्वारा एक भव्य समारोह में उन्हें अमृतावर्षम 64 से सम्मानित किया गया, जिसमें पूरे विश्व के शीर्ष महानुभावों ने भाग लिया। 

निश्चय ही यह विवेकानंद केंद्र के उन सभी कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के लिए प्रसन्नता व हर्ष का अवसर है, जिनके लिए लक्ष्मी दीदी सदैव प्रेरणा स्रोत रही हैं | आदरणीय लक्ष्मीकुमारी दीदी विवेकानन्द केन्द्र की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षा रही हैं तथा वर्तमान में वैदिक विजन फाउंडेशन की निदेशक है।

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