बहस को गलत दिशा देने के दोषी – संगीत सोम


प्रसिद्ध इतिहासविद पीएन ओक की एक प्रसिद्ध पुस्तक है – “ताजमहल हिन्दू मंदिर था” | उक्त पुस्तक में उन्होंने दावा किया था कि उक्त भवन का वास्तविक नाम तेजो महालय था, जिसमें मुमताज महल को दफना कर ताजमहल नाम कर दिया गया | 

आजादी के बाद से ही वास्तविकता जांचने की छुटपुट आवाजें उठती रहीं, लेकिन वे नक्कारखाने में तूती की आवाज ही सिद्ध हुईं | बाबजूद इसके कि तथाकथित ताजमहल के अंदर जाते वक्त बाईं तरफ लाल पत्थरों से बने बरामदे में स्थित तमाम कमरे स्थायी रूप से सील किये हुए हैं, जिनके विषय में कहा जाता है कि वे कमरे औरंगजेब के काल से ही सील किये हुए हैं | माना जाता है कि उन कमरों में ताजमहल का वास्तविक इतिहास दफ़न है | 

मजे की बात यह है कि तत्कालीन सत्ताधीश जानते थे कि उन कमरों का रहस्य क्या है, इसीलिए जब स्व. पुरुषोत्तम नागेश ओक ने सर्वोच्च न्यायालय में उन कमरों को खोलकर जांचने की मांग उठाई, तब सरकार ने तर्क दिया कि इससे पूरे देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है | उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भी उन दरवाजों को स्थाई रूप से बंद रखने का निर्णय सुना दिया | 

अब बात करते हैं श्रीमान संगीत सोम जी की जिन्होंने ताजमहल को इतिहास का बदनुमा धब्बा इस आधार पर कहा, क्योंकि शाहजहाँ की चार बेगमें थीं, अतः वह मुमताज महल के प्रति बफादार हो ही नहीं सकता | इतना ही नहीं तो मुमताज महल के मरने के बाद भी उसने उसकी बहिन से निकाह किया | अतः ताजमहल को मोहब्बत का प्रतीक बताना गलत है | 

क्या यह बयान उनके अज्ञान को नहीं दर्शाता ? उन्होंने मूल विषय को हल्का कर दिया | काश वे अपनी राज्य और केंद्र सरकार से मांग करते कि कार्बन डेटिंग पद्धति से ताज महल की पुरातनता की जांच हो, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए, कि वस्तुतः ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया, या फिर वह पुरातन तेजोमहालय था | हाँ वे कमरे तो अविलम्ब खुलने ही चाहिए, आखिर इतिहास से आखें कब तक चुराई जायेंगी | 

यहाँ स्मरणीय है कि १९८५ में न्यूयार्क के पुरातत्वविद प्रो. मर्विन मिलर ने ताज के दरवाजे की लकड़ी की कार्बन डेटिंग की थी, तथा उस आधार पर यह सिद्ध किया था कि यह दरवाजा सन १३५९ के आसपास बना था, अर्थात शाहजहाँ काल के 300 वर्ष पूर्व | 

एक और विचारणीय बिंदु है – जिस स्थान पर मुमताज महल की कब्र बताई जाती है, वहां बूँद बूँद पानी गिरता है | क्या दुनिया में कहीं भी किसी कब्र को लगातार गीली रखने का उदाहरण है | सचाई यह है कि उस स्थान पर एक शिवलिंग था, जिसके जलाभिषेक की स्थाई व्यवस्था की गई थी | मुगलों ने जिस प्रकार अनेकों मंदिरों को तोडकर मस्जिदें बनाईं, उसी प्रकार तेजोमहालय तोड़कर वहां मुमताज महल को दफनाकर उसे ताजमहल नामक कब्रिस्तान बना दिया | 

बाबरी ढाँचे की तरह उसे विध्वंश किया जाए, यह कहना तो मूर्खता होगी, किन्तु इतिहास को सही किये जाने की आवश्यकता तो है ही | ताजमहल प्यार का प्रतीक नहीं, हिन्दू अस्मिता के गाल पर बहता आंसू है | 

सही दिशा में जाओ, संगीत सोम, बहस को गलत दिशा मत दो | आपने तो एक प्रकार से यह मान ही लिया कि वह मकबरा शाहजहाँ ने बनवाया था | केवल हिंदुत्व निष्ठ राजनेता होना पर्याप्त नहीं है, विषय की सही प्रस्तुति भी आना चाहिए |

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