कांग्रेस कल और आज ! - कवी सुमित ओरछा
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कुछ दिन पहले मेरे परम आदरणीय एवं भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं काँग्रेस के वरिष्ठ नेता (नाम लिखना उचित नहीं) ने मुझसे कहा कि कोई कविता काँग्रेस के लिए भी लिख लिया करो कभी भक्ति से फुरसत मिल जाये तो ......
उन्होंने ये बात मुझसे व्यंग्य में कही थी परंतु मैंने काँग्रेस के लिए एक कविता गंभीरता से लिख दी ....... और यदि काँग्रेसी इस कविता को सहन कर लेंगे और विचार करेंगे तो शायद उनके भी अच्छे दिन आ जाएं.....
पूरव से लेकर पश्चिम था, सभी दिशा में राज तुम्हारा
आज़ादी मिलते ही तुमनें ,जीत लिया था भारत सारा
जिसके नेता भारत के पर्याय बताए जाते थे...
राजनीति के शिखरों के अध्याय बताए जाते थे
चाहे जिसको बौना करते ,चाहे जिसको बड़ा किया
ऐरा गैरा भी जीता था , जिसको तुमने खड़ा किया
हर घर में ही वोट तुम्हारे , इसी देश मे होते थे
सच कहता हूँ सबके दादा , काँग्रेस में होते थे
लेकिन वो थी काँग्रेस जो सच के संग में रहती थी
देश धर्म की सेवा रक्षा के ही रंग में रहती थी
जिसके नेता सेवा दल में रहकर सेवा करते थे
रूखा सूखा जो भी मिलता रामकलेबा करते थे
देश धर्म से उनका सागर जितना गहरा नाता था
लालबहादुर से दुनिया में देश का उन्नत माथा था
दुश्मन की छाती पर होता वार दिखाई देता था
इंदिरा जी में दुर्गा का अवतार दिखाई देता था
हर घटना को वोटों की मंडी न तौला करते थे
नेता सारे सोच समझकर ही मुँह खोला करते थे
उगते अटल बिहारी को भी ,मान दिया करते थे वो
वक्त पड़े तो देश की खातिर जान दिया करते थे वो
सत्य सनातन मानबिन्दु को , नोंच नही सकते थे वो
राम सेतु खंडित करने की , सोच नहीं सकते थे वो
कांग्रेस ही थी जो दिल से ,वंदे मातरम बोली थी
कांग्रेस ही राम जन्म , भूमि का ताला खोली थी
लेकिन ऐसा हुआ कि तुमसे डोर तुम्हारी छूट गयी
जनता से रिश्तों नातों की डोर तुम्हारी टूट गयी
जनता के दिल को न जाना , अंदर जाना भूल गए
सिर्फ नमाजी बने रहे और मंदिर जाना भूल गए
घोटालों घपलों बाला किरदार दिखाया इसीलिए
तुष्टिकरन को सत्ता का औजार बनाया इसीलिए
गौचर भूमि खैरातों में बंटवाई थी इसीलिए
गौ भक्तों पर गोली तुमने चलवाई थी इसीलिए
यही काम तो काँग्रेस का काल हुआ है भारत में
और शिखर से शून्य हुए ये हाल हुआ है भारत में
काँग्रेस को वंशवाद का अंश बनाकर रख डाला
भारत जैसे लोकतंत्र पर दंश बनाकर रख डाला
ये जो बाहें ऊपर करके ,किसके ऊपर वरष रहे हो??
खुद का ही मूल्यांकन करलो , क्यों वोटों को तरस रहे हो
गर वर्तमान में भाजपा भी यह गलती दोहराएगी
इतिहासों के शिलालेख में कांग्रेस हो जाएगी
Tags :
काव्य सुधा
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