शिवपुरी में अवैध सूदखोरी का धंधा बना गरीबों के गले का फंदा

ब्याज की रकम न चुका पाने के चलते शहर में लोग अपनी जान तक देने पर अमादा है ! पूर्व की घटनाओं पर यदि दृष्टी डाली जाये तो कई लोग इस चंगुल में फंसकर अपनी जीवन लीला समाप्त भी कर चुके है ! इसमें सबसे ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की है, जो छोटे-मोटे धंधे करके अपनी आजीविका चलाते हैं ! अधिकतर ऐसे मामलों में तो लोग शिकायत भी नहीं करते हैं !

सूदखोरों ने खोल रखे हैं ऑफिस 

ब्याज पर पैसा देने वाले सूदखोरों ने जगह-जगह अपने ऑफिस खोल रखे हैं ! इनमें अधिकांश दंबग किस्म के लोग होते हैं ! प्रापर्टी डीलिंग या फिर टूर एंड ट्रेवल्स का ऑफिस खोलकर वहीं से ब्याज का धंधा करते हैं ! इनमें से किसी के पास भी ब्याज पर रुपया देने का लाइसेंस नहीं होता है !

डेजी वेज पर बांटा जाता है रुपया 

ब्याज पर रुपए देने का काम करने वाले दंबग किस्म के लोग ज्यादातर डेली वेज पर रुपया बांटते हैं ! इसमें यदि एक व्यक्ति ने बीस हजार रुपए कर्ज लिया तो उसके रोजाना के 400 से 600 रुपए वसूले जाते हैं ! इसके लिए समय निर्धारित होता हैं ! जिसमें ब्याज की दर भी शामिल होती हैं ! यानि ब्याज पर रुपए लेने वाले व्यक्ति के रकम पूरी होने के बाद भी तय समय तक रोजाना उतने रुपए देने होते हैं जितने सूदखोर रकम देते वक्त तय करता है !

समय पर रकम न चुकाने पर लगाते हैं पेनाल्टी

यदि कोई व्यक्ति समय पर रकम नहीं चुका पाता तो उसे ब्याज की रकम के साथ पेनाल्टी भी चुकानी पड़ती है ! पेनाल्टी 10 रुपए से शुरू होती है और अगले दिन डबल फिर डबल की दोगुनी, फिर उसकी दोगुनी करते-करते बढ़ती जाती है ! ऐसे में रुपए लेने वाला व्यक्ति कभी न निकलने वाले चक्रव्यूह में फंस जाता है ! यदि वह रुपए नहीं चुका पता है तो सूदखोर उसके साथ मारपीट तक कर डालते हैं ! फिर भी वह रकम नहीं चुका पाता तो उसका सामान या मकान जो कुछ भी मिलता है उस पर कब्जा कर लेते हैं !

गिरवी रखकर देते हैं मोटी रकम 

ब्याज पर मोटी रकम लेने के लिए व्यक्ति को 10 से 15 प्रतिशत का ब्याज तो देना ही पड़ता है ! वह रकम लेकर भाग न जाए या इसके लिए उससे पहले ही मकान, दुकान व ज्वेलरी या ब्लेंक चेक गिरवी रखवा लिया जाता है ! जिसकी कीमत उधार ली गई रकम से कहीं ज्यादा होती है ! उस पर यदि व्यक्ति रकम नहीं चुका पता है तो इतना ब्याज लाद दिया जाता है कि बेचारे व्यक्ति को अपना मकान, दुकान व ज्वेलरी जो भी गिरवी रखता है सूदखोर के पास छोड़नी पड़ती है, या फिर उसे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है !

वसूली के लिए पाले जाते हैं गुंडे

उधार दी गई रकम को वसूलने के लिए सूदखोर किसी भी हद तक जाते हैं ! इसके लिए बाकायदा वे कमीशन पर गुंडे पालते हैं ! जिनका काम सुबह से शाम तक रकम का तकादा करना और ब्याज वसूलना होता है ! रुपए न देने पर वे मालिक के इशारे पर किसी के भी हाथ-पैर तोड़ डालने को तैयार रहते हैं !

मध्यम वर्ग व गरीब लोग बनते हैं शिकार

ब्याज का काम करने वाले लोग अपना रुपया ऐसी कॉलोनियों में देते हैं जहां पर गरीब व मध्यम वर्ग लोग रहते हैं ! शिवपुरी के कमलागंज, सिद्धेश्वर, गाँधी कॉलोनी, फिजिकल, फतेहपुर, नवाब साहब रोड, इन्द्रा कॉलोनी, सदर बाजार, न्यू ब्लॉक, कोर्ट रोड, टेकरी आदि में सबसे ज्यादा सूदखोरी का काम होता है ! 

सरकारी विभागों में भी जाल

सूदखोरों का जाल सिर्फ शहर में नहीं, कई विभागों में भी फैला है जिसके कितने ही कर्मचारी सूदखोरों के जाल में फंसे हैं ! 

सूदखोरों के डर से पूर्व में हुई घटनाएं 

- सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के आर्य समाज रोड़ पर इलेक्ट्रोनिक की दुकान के संचालक राजकुमार गोयल उम्र 42 वर्ष निवासी विजयपुरम कॉलोनी ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी ! उक्त युवक पर 20 लाख रूपए के लगभग का कर्जा था एवं उक्त व्यवसाई पर 30 प्रतिशत का ब्याज चल रहा था !

- झींगुरा निवासी एक डीजे संचालक ने इसी प्रताड़ना के चलते जहर गटका, बाद में दवाब में इस मामले में समझौता कर लिया गया !

- व्यवसायी शिखर जैन के साथ बंधक बना कर मारपीट की गयी ! जिसके तहत आरोपी महेश गोयल पर धारा 365, 347, 11/13 की कायमी कर ग्वालियर से गिरफ्तार किया गया !

- वाहन चालक नारायण कुशवाह की मृत्यु का कारण भी यही सूदखोरी रही ! उसके पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था जिसमे दो लोगों के द्वारा उसे प्रताड़ित किये जाने का उल्लेख था ! 

- शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार से सम्बन्ध रखने वाले गौरव अग्रवाल 1 लाख रूपए की उधारी के एवज में 30 हजार रुपये प्रतिमाह का ब्याज दे रहा था ! इसके उपरांत भी आरोपियों ने उसके साथ बंधक बना कर मारपीट की जिससे क्षुब्द होकर गौरव ने जहरीले पदार्थ का सेवन कर अपनी जीवन लीला समाप्त करने का प्रयास किया ! इस मामले में भी आरोपियों पर 11/13 सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है ! इस मामल में दो आरोपियों को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है वहीँ एक आरोपी जो कि शासकीय शिक्षक है अभी तक फरार है !

अभी कई लोग फंसे हुए है इस दलदल में 

शहर में सूदखोरी के इस दलदल में अभी तमाम लोग फंसे हुए है इनमे अधिकांश युवा है ! युवाओं का एक ऐसा बड़ा वर्ग इस गिरोह के चंगुल में है जो जल्दी से जल्दी अमीर बनने का सपना खुली आँखों से देखते है ! यह युवा किसी गलत कार्य में पैसा लगाने हेतु इन सूदखोरों से ब्याज पर पैसा लगाते है ! सूदखोर बिना कारण पूछे इन्हें आसानी से पैसा उपलब्ध इसलिए कराते है क्यूंकि यह जिस अवैध व्यवसाय रुपी आवांछित गतिविधियों में बिना अपने परिवार को बताये पैसा लगाते है वह भी इन्ही सूदखोरों के सहयोगों के मध्यम से संचालित किये जाते है अतः दोहरा लाभ सूदखोरों को यह युवा पहुंचाते है ! जब प्रताड़ना अधिक हो जाती है तब यह युवा अपनी समस्या अपने परिजनों को बताते है ! परिजन भी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने के भय के कारण इन सूदखोरों के दवाब में इनकी सभी गलत मांगों को मानते हुए अपना घर, व्यापारिक प्रतिष्ठान, खेत-दूकान सभी वस्तुओं को बेच कर इनकी जेब भरते है पर क़ानून के पास नहीं जाते जिसके कारण सूदखोरों के हौसले बुलंद होते है ! 

सूदखोरी के काम में लगे लोगों के अतीत की जांच से सामने आ सकते है कई हैरान करने वाले तथ्य 

आज सूदखोरी के धंधे के माध्यम से गले में मोटी-मोटी सोने की चैनें, हाथ में मोटे मोटे ब्रेसलेट और हाथ की दसों उँगलियों में सोने की अंगूठियों के अतिरिक्त महंगी महंगी गाड़ियों से घूमने वाले लोगों के अतीत की यदि जानकारी ली जाए तो तमाम चौकाने वाली जानकारियां निकल कर सामने आ सकती है ! आखिरकार कल तक उधार लेकर बीड़ी पीने वाले लोगों को ऐसा कौन सा कुबेर का खजाना रातो रात मिल गया ?  


क्या कहते हैं एसपी -

शहर में जो भी लोग सूदखोरों क चंगुल में फंसे हुए है तथा वे किसी डर कि वजह से यदि सामने नहीं आते तो कोई तीसरा व्यक्ति भी हमसे शिकायत कर सकता है ! जब तक कोई शिकायत नहीं मिलेगी तब तक सूदखोरों पर कार्यवाही करने में हमें दिक्कत आएगी 


- सुनील कुमार पाण्डेय एस पी शिवपुरी

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