‘‘नमो सरकार के तीन वर्ष’’ पुस्तक के विमोचन में जुटे दिग्गज

बैतूल। प्रवीण गुगनानी द्वारा लिखित जिस किताब का विमोचन मैंने आज किया है यद्यपि इसे पूरा पढ़ा नहीं है लेकिन मंच पर बैठे पन्ने पलटा कर जो नजर इस पर डाली है उससे यह प्रतीत होता है कि इनकी यह किताब ‘‘नमो सरकार के तीन वर्ष’’ एक ऐतिहासिक दस्तावेज साबित होगी। आने वाली पीढ़ी इसे दस्तावेज के रूप में पढ़कर सीखेगी-समझेगी कि किस तरह से मोदी सरकार ने अपने निर्णयोें से देश के राजनैतिक और सामाजिक वातावरण को बदला है। यह उद्गार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शुक्रवार की दोपहर शहर के केसरबाग परिसर में आयोजित लेखक-चिंतक विचारक प्रवीण गुगनानी द्वारा लिखित नमो श्रंखला की तीसरी किताब ‘‘नमो सरकार के तीन वर्ष’’ के विमोचन कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए व्यक्त किए। मंचासीन विजयवर्गीय सहित, नागरिक आपूर्ती निगम के अध्यक्ष डाॅ हितेश वाजपेई, दैनिक भास्कर दिल्ली के संपादक आनंद पांडेय, उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री रविन्द्र शुक्ल, शिक्षाविद् एवं विद्या प्रतिष्ठान के क्षेत्रीय अधिकारी मोहन नागर, विधायक हेमंत खंडेलवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष जितेंद्र कपूर, वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा, नपाध्यक्ष अलकेश आर्य आदि अतिथियों ने गुगनानी की किताब का विमोचन किया। अपने 20 मिनट के अध्यक्षीय उद्बोधन में कैलाश विजयवर्गीय ने प्रवीण गुगनानी की लेखनी की जमकर तारीफ की। उन्होने कहा कि आपने वातावरण में जो महसूस किया है वो लिखा है, आपने भाटगिरी नहीं की है अपितु एक ईमानदार लेखक के रूप में मोदी जी के कार्यों की समीक्षा करते हुए तत्थयात्मक लेखन किया है। किताब में कहीं भी अतिश्योक्ति नहीं है। किताब रूचिकर है, इसे पूरा पढ़ना चाहूंगा। श्री विजयवर्गीय ने अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की खुलकर चर्चा करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने इस देश की राजनीति और राजनेता को बदलने का काम किया है। भारतीय राजनीति में कुछ घटनाएं पहली बार हुई है। गुजरात के चुनाव में इस बार किसी भी दल का नेता टोपी लगाकर नहीं घूमा, मदरसे नहीं गया अपितु मंदिर अवश्य गए। कांग्रेस के नेता भी चुनाव के दौरान मंदिर जाते दिखे, लोकसभा में तीन तलाक बिल का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन ही करते दिखे। राजनीति मंें कांग्रेस ने यह स्टेंड बदला है तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को दिया जाना चाहिए, जिन्होनें समाज में बदलाव लाने का काम किया है। नमो कहते हैं कि मुझे देश की जनता ने देश चलाने के लिए नहीं अपितु देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री बनाया है। श्री विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार में दो प्रकार के निर्णय होते आए थे, लोकहित के निर्णय और दूसरे लोकप्रिय लगने वाले निर्णय। लेकिन नमों ने इस मिथक को तोड़ दिया है। वे इससे आगे बढ़कर देशहित के निर्णय ले रहे हैं, नोटबंदी, जीएसटी, तीन तलाक पर कानून जैसे निर्णय इसी प्रकार के निर्णय हैं। उनकी निर्णय क्षमता के कारण आज वे विश्व के लोकप्रिय पांच नेताओं में शुमार हैं। नमो ने देश ओर दुनिया को दिशा एवं दर्शन देने का काम किया है। 

लेखन अवतरित होता है: रविन्द्र शुक्ल

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री रविन्द्र शुक्ल ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि लिखने के लिए समय की आवश्यकता नहीं होती अपितु लेखन तो अवतरित होता है, यह उपर से आता है इसे एकत्रित करने की आवश्यकता होती है। उन्होने अपनी चार पंक्तियों ‘‘ कोई चलता पगचिन्हों पर, कोई पगचिन्ह बनाता है। पगचिन्ह बनाने वाला ही, दुनिया में जाना जाता है।।’’ के माध्यम से प्रवीण गुगनानी के लेखन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे लीक से हटकर लिखने का प्रयास करते हैं। मैं यहां उनके बड़े भाई की हैसियत से आया हूॅं लेकिन उन्होने मुझे अतिथि बना दिया है। इनकी सभी पुस्तकों को मैने देखा है, वे यथार्थ लिखते हैं। श्री शुक्ल ने कहा कि आज चैनलों पर बैठकर देशद्रोह की बाते होती हैं, ‘‘भारत तेरे टुकड़े होंगे़़़़़़’’ जैसे नारे लगाए जाते हैं। लेकिन किसी को निराश होने की आवश्यकता नहीं है, नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की थी कि 21 सदी भारत की होगी। भारत मे एक ऐसा नेता होगा जो देश को अग्रिम पंक्ति में विश्व के सामने ला खड़ा करेगा। वह नेता नरेंद्र मोदी के रूप में आज हमारे सामने हैं। 

मुझे भी लिखने की इच्छा जागृत हुई है: डाॅ हितेश वाजपेई

आज कट काॅपी पेस्ट का दौर है, इस युग में कंटेट की विश्वसनीयता में कमि आई है। लेकिन ऐसे दौर में प्रवीण गुगनानी का लेखन मन को सुकून देता है। वे अपने लेखन से युवा पीढ़ी के रोल माॅडल बन गए हैं। किताब पढ़कर मुझे भी लिखने की इच्छा जागृत हुई है। मंै आज संकल्प लेता हूॅं कि कभी कभी कुछ लिखने का प्रयास करूंगा। यह विचार नागरिक आपूर्ती निगम के अध्यक्ष डाॅ हितेश वाजपेई ने पुूस्तम विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि इस पुस्तक में प्रवीण गुगनानी ने जो लिखा है वह उल्लेखनीय है। इनसे प्रेरणा लेकर हम सभी फेसबुक-वाट्सएप जैसे प्लेटफाॅर्म पर कुछ मौलिक विचार लिखने का प्रयास करें।

मोदी के पास रहस्य भी है, चमत्कार भी है: आनंद पांडेय

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए दैनिक भास्कर दिल्ली के संपादक आनंद पांडेय ने कहा कि हमार समाज तार्किक कम और भावानात्मक ज्यादा है। आप चमत्कार कर सकते हैं तो दुनिया में वाहवाही होती है। नरेंद्र मोदी के पास रहस्य भी है, चमत्कार भी है। वे चमत्कारी नेता है, इस समय देश की नीड भी यही है। उनके निर्णय बोल्ड होते हैं, इनका पूर्वानुमान लगाया जाना भी संभव नहीं होता। इस वजह से मीडिया को भी अपनी समीक्षा और पूर्वानुमानों के तरीकें बदलने पड़ रहे हैं। वे ऐसे निर्णय करते हैं कि अक्सर अखबार के पूर्वानुमान गलत साबित हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि जहां दूसरी पार्टियों के नेता सोचना बंद करते हैं, मोदी जी की सोच वहां से शुरू होती है। ऐसा चमत्कारी नेता के बार में सार्थक लेखन के लिए मैं प्रवीण गुगनानी को साधुवाद देता हूूंॅ।

इस पुस्तक को स्वाद के साथ पढ़ा जा सकता है: नागर

इसे पढ़कर वर्तमान से इतिहास तक में डुबकी लगाने का अवसर मिलेगा

लेखक अचानक नहीं पनपते, अपितु इनका निर्माण पारीवारिक वातावरनण एवं संस्कारों से होता है। प्रवीण गुगनानी में भी परिवार के संस्कार ही झलकते हैं। इनकी पुस्तकें सहज सरल भाषा में लिखी गई है, जो हर किसी की समझ में आने वाली हैं। यह विचार पुस्तक ‘‘नमो सरकार के तीन वर्ष’’ की चर्चा करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि लिफाफा देखकर मजमून भांप लेने की कहावत है, यह इस किताब पर सार्थक होती है। किताब के आरंभ में ही मंत्री नितिन गड़करी द्वारा लिखी गई प्रस्तावना, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के संदेश और विनय सहस्रबुद्धे की टिप्पणी पढ़कर ही इस किताब की गइराई का अनुमान लगाया जा सकता है। किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णयों के पीछे के हेतु के बारे में चर्चा की गई है। पहले हर तीन माह में एक घोटाला सामने आता था जबकि आज हर तीन माह में सरकार का एक बड़ा निर्णय सामने आता है। ऐसे विषयों की चर्चा पुस्तक में की गई है। श्री नागर ने कहा कि इस पुस्तक में पाठन का स्वाद है, इसे पढकर वर्तमान से लेकर इतिहास में डुबकी लगाने तक का अवसर मिलेगा।

घटनाओं को अनुभव कर लिखता हूॅं: प्रवीण गुगनानी

‘‘नमो सरकार के तीन वर्ष’’ पुस्तक के लेखक प्रवीण गुगनानी ने अपने उदबोधन में कहा कि मैं उन घटनाओं को अनुभव करता हूॅं जिसकी चोट तो यहाॅं हो रही होती है लेकिन आवाज दूर तक जाती है। दूरगामी प्रभाव लाने वाली घटनाओं और निर्णयों को लिखने का प्रयास करता हूॅं। मैंने अपनी किताब में नरेंद्र मोदी का यशोगान नहींे किया है। मैं उनका प्रशंसक हूॅं, लेकिन अनावश्य यशोगान नहीं करता। उनके व्यक्तित्व में यदि आलोचना के लायक कुछ होता तो उसे भी लिखता, लेकिन ऐसा कुछ दिखता हीं नहीं । मैं संघ का स्वयंसेवक हूॅं, और ऋणी हूॅं जिसने मुझे संस्कार दिए और चलना सिखाया। मैंने पढ़ा था कि 18 मई 2014 को जब भारत में पहली बार कांग्रेस मुक्त केंद्र सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी तो लंदन के अखबार ‘द गार्डियन’ ने लिखा कि भारत आज अंगे्रज मुक्त हुआ है। यह बड़ी घटना थी, जिसने मुझे इस विषय पर लिखने के लिए प्रेरित किया।

पहले सरकारें शासन करती थी, मोदी जी सुशासन करते हैं: जितेंद्र कपूर

भाजपा जिलाध्यक्ष जितेंद्र कपूर ने ‘‘नमो सरकार के तीन वर्ष’’ के जीवंत लेखन के लिए लेखक चिंतक विचारक प्रवीण गुगनानी को साधुवाद देते हुए कहा कि पहले सरकारें शासन किया करती थी अब तरीका बदला है, अब मोदी जी सुशासन करते हैं जिसकी अंदाजा लगाने में मीडिया भी सफल नहीं हो पाता। अब हमार देश बदल रहा है। देशहित सर्वोपरी है, यह मोदी सरकार के सुशासन में दिखाई पड़ता है। ऐसे विषय पर लिखने के लिए प्रवीण गुगनानी को साधुवाद है।

नरेंद्र मोदी सबसे अधिक पढ़े जाने वाले नेता हैं: हेमंत खंडेलवाल

विधायक एवं भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के मंच पर अपने उद्बोधन में कहा कि नरेंद्र मोदी आज विश्व में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले नेता है। ऐसे नेता के बारे में लिखने का साहस प्रवीण गुगनानी ने किया है, यह प्रशंसनीय है। उन्होने कहा कि मेरी शुभकामनाएं हैं कि वे आगे भी इस विषय में लगातार लिखते रहें।

किताबें खरीद के पढ़ी जाएं, ऐसी सोच विकसित हो: राधावल्लभ शारदा

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने भी विमोचन कार्यक्रम में अपना संबोधन दिया। उन्होने कहा कि आज चाटुकारों की आवश्यकता अधिक दिखाई पड़ती है लेकिन यर्थाथ लिखने वाले की कद्र कम होती है। प्रवीण गुगनानी यथार्थ लिखते हेैं जिनकी किताबों को खरीद कर पढ़ना चाहिए। हमारे समाज में यह सोच विकसित होनी चाहिए कि अच्छी किताबें खरीद कर पढ़ी जाएं।

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