खेती को फायदे का सौदा साबित करते शिवपुरी के युवा कृषक सुनील के व्यास “रायश्री”

खेती घाटे का सौदा कही जाती है ! दुनिया में सबसे ज्यादा खेती वाले देश में हजारों किसान खेती छोड़ रहे हैं, क्योंकि किसानी में बढ़ती लागत के अनुपात में मुनाफा नहीं हो रहा ! लेकिन इसी देश में कुछ ऐसे प्रगतिशील किसान भी हैं जो अपनी सूझबूझ और मेहनत से खेती से फायदे का सौदा बना रहे हैं ! ऐसे ही एक युवा किसान मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के सुनील कुमार व्यास “रायश्री” भी हैं ! व्यास जी घूम-घूम कर खेती के नए तरीके सीखते हैं और खुद उन्हें खेती में आजमाते तो हैं ही साथ ही दूसरों को सिखाते भी हैं ! सुनील जिले के प्रगतिशील किसानों में शामिल हैं ! उन्होंने खेती-किसानी को फायदे का सौदा साबित किया है !

मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के रायश्री गाँव के किसान सुनील कुमार व्यास (37 वर्ष) पिछले कई वर्षों से खेती कर रहे हैं ! खेती को घाटे का सौदा बताने के जवाब में सुनील व्यास जी कहते है कि “कौन कहता है कि खेती घाटे का सौदा है अगर ईमानदारी व मेहनत के साथ वैज्ञानिक विधि से खेती की जाए तो इससे अच्छा कोई व्यवसाय नहीं है ! जानकारी के अभाव में आज खेती की लागत बढ़ रही तो आमदनी कम होती जा रही है ! इसे देख अधिकतर किसान खेती से अपना मुंह मोड़ते जा रहे हैं जबकि सरकार द्वारा खेती-किसानी हेतु काफी सराहनीय योजनायें चलाई जा रही है !”

जिले के युवा कृषक सुनील व्यास जी जैविक खेती से किसानों को खेती करने का सन्देश दे रहे है ! ऐसे दौर में जब भारत के विभिन्न क्षेत्रों के किसान तरह-तरह की समस्याओं से परेशान होकर आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे हैं, सुनील व्यास जैविक खेती के रूप में किसानों को नया जीवन और नई दिशा दे रहे है ! सुनील व्यास जी को देखकर बहुत से शिक्षित युवा भी अब जैविक खेती में अपना भविष्य तलाश करने लगे हैं !

वर्तमान में समूचे भारत में कृषि हेतु जो पद्धति अपनाई जाती है उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है पानी ! किसानों को अगर समय पर पानी नहीं मिलेगा, तो वे भला खेती कैसे करेंगे ? सुनील व्यास जी किसानों को यह सन्देश देने में जुटे हुए है कि पानी का कम से कम प्रयोग करके अधिक से अधिक फसल कैसे उगाई जाए ! वे वैज्ञानिक हाइड्रोपोंक तकनीक, ट्रे कल्टीवेशन एवं ड्रिप सिस्टम द्वारा किसानों को खेती करना सिखा रहे हैं, जिनमें पानी का कम से कम प्रयोग होता है ! सुनील व्यास जी के द्वारा किये जा रहे कार्य की सराहना कृषि विज्ञान केंद्र भी कर चुका है और कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े हुए वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को जैविक खेती करने का तरीक़ा बताकर उन्हें नया जीवन दिया जा रहा है ! वास्तव में किसानों की सबसे बड़ी ख्वाहिश यही होती है कि उनके खेत में अधिक से अधिक अनाज पैदा हो और ज़मीन की उर्वरता पर भी उसका कोई असर न पड़े ! रासायनिक खेती का सबसे बड़ा नुक़सान यही है कि कुछ समय तक पैदावार काफ़ी अच्छी होती थी, लेकिन ज़मीन की उर्वरता तेज़ी से घटने लगती थी, लेकिन अब जैविक खेती के जरिये किसानों को इस परेशानी से छुटकारा मिल सकता है ! कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े वैज्ञानिक किसानों को सबसे पहले यही बताते हैं कि वे अपने खेतों पर देसी तरीकों से खाद कैसे तैयार करें ! इसमें वर्मी कंपोस्ट, हर्बल खाद, हर्बल स्प्रे, गड्ढा खाद और जीव अमृत की बहुत बड़ी भूमिका होती है ! 

सुनील व्यास जी बताते है कि जैविक खेती के द्वारा खेती करने में कृषि व्यवसाय में दोगुना लाभ आसानी से अर्जित किया जा सकता है ! स्वयं व्यास जी के द्वारा मिर्ची, टमाटर, लहसुन, प्याज, गेंहू, चना, अदरक, अरबी, मूंगफली की खेती अभी तक इस प्रणाली पर की जा चुकी है जिसमे उन्हें जबरदस्त लाभ मिला है ! हर फसल पर उन्हें औसतन पुरानी कृषि प्रणाली की तुलना में दौगुना लाभ मिला ही है वहीँ कई फसलों पर यह लाभ तीन से चार गुना तक पहुंचा है ! सुनील जी को इस प्रकार से खेती करने की प्रेरणा कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त हुई जिसके बाद उन्होंने घूम घूम कर इस सम्बन्ध में जानकारी जुटाई ! 

ड्रिप सिंचाई प्रणाली-एक परिचय

सिंचाई प्रणाली फसल को मुख्य पंक्ति, उप पंक्ति तथा पार्श्व पंक्ति के तंत्र के उनकी लंबाईयों के अंतराल के साथ उत्सर्जन बिन्दु का उपयोग करके पानी वितरित करती है ! प्रत्येक ड्रिपर/उत्स्र्जक, मुहाना संयत, पानी व पोषक तत्वों तथा अन्यक वृद्धि के लिये आवश्यकक पद्धार्थों को विधिपूर्वक नियंत्रित कर एक समान निर्धारित मात्रा, सीधे पौधे की जड़ों में आपूर्ति करता है ! इस तकनीक से पानी, समय, बीज, बिजली व मजदूरी की बचत होती है !

कार्यप्रणाली

पानी और पोषक तत्व उत्ससर्जक से, पौधों की जड़ क्षेत्र में से चलते हुए गुरुत्वाकर्षण और केशिका के संयुक्त बलों के माध्यम से मिट्टी में जाते हैं ! इस प्रकार, पौधों की नमी और पोषक तत्वों की कमी को तुरंत ही पुन: प्राप्त किया जा सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि पौधे में पानी की कमी नहीं होगी, इस प्रकार गुणवत्ता, उसके इष्टतम विकास की क्षमता तथा उच्च पैदावार को बढ़ाता है !

ड्रिप सिंचाई आज की जरूरत है, क्योंकि प्रकृति की ओर से मानव जाति को उपहार के रूप में मिली जल असीमित एवं मुफ्त रूप से उपलब्ध नहीं है ! विश्व जल संसाधनो में तेजी से ह्रास हो रहा है !

ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लाभ

पैदावार में 150 प्रतिशत तक वृद्धि

बाढ़ सिंचाई की तुलना में 70 प्रतिशत तक पानी की बचत, अधिक भूमि को इस तरह बचाये गये पानी के साथ सिंचित किया जा सकता है !

फसल लगातार,स्वस्थ रूप से बढ़ती है और जल्दी परिपक्व होती है !

शीघ्र परिपक्वता से उच्च और तेजी से निवेश की वापसी प्राप्त् होती है !

उर्वरक उपयोग की क्षमता 30 प्रतिशत बढ़ जाती है !

उर्वरक, अंतर संवर्धन और श्रम का मूल्य कम हो जाता है !

उर्वरक लघु सिंचाई प्रणाली के माध्यम से और रसायन उपचार दिया जा सकता है !

बंजर क्षेत्र,नमकीन, रेतीली एवं पहाड़ी भूमि भी उपजाऊ खेती के अधीन लाया जा सकता है !

जैविक खेती प्रोत्साहन योजना

छूट और अनुदान की सुविधा

देश में जैविक खेती के कुल रकबे का लगभग 40 प्रतिशत मध्यप्रदेश में है ! अतः उत्पादन तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश, पूरे देश में पहले स्थान पर है ! वर्ष 2011 में प्रदेश की अपनी जैविक कृषि नीति बनाई गई है ! जैविक खेती विकास के संबंध में निर्णय लेने के जैविक खेती विकास परिषद का गठन प्रदेश के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाया गया है ! किसानों को जैविक कृषि पद्धति अपनाने के लिये कई सुविधाएं प्रदेश में दी जा रहीं हैं तथा उत्पादों के लाभकारी विपणन के लिये जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण की व्यवस्था है, जिसमें पंजीयन कराने के लिये भी निर्धारित शुल्क में राज्य सरकार द्वारा छूट व अनुदान दिये जाते हैं !

समन्वित पोषक तत्व प्रबन्धन एवं उर्वरकों के संतुलित व समन्वित उपयोग द्वारा भूमि के स्वास्थ्य को बनाये रखते हुए दीर्घकाल तक टिकाऊ उत्पादन प्राप्त करना इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य है ! इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण राज्य है ! समस्त श्रेणी के कृषक इन सुविधाओं के लिये पात्रता रखते हैं !

लाभ एवं सहायता

1 आर्गेनिक फार्म फील्ड स्कूल रू. 1700 प्रति एफएफएस 

2 एक दिवसीय जैविक कार्यशाला के लिये रूपये 3 लाख मात्र 

3 राज्य के अन्दर कृषक भ्रमण/प्रशिक्षण 30 किसानों के लिये कुल रू. 90 हजार प्रत्येक 
भ्रमण/प्रशिक्षण 

4 भ्रमण राज्य स्तर 30 किसानों के लिये राज्य के बाहर कृषक प्रशिक्षण/ 
भ्रमण के लिये रू. 1.80 लाख प्रत्येक प्रद्गिा./भ्रमण 

5 एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण जिला स्तर पर एक दिवसीय 30 कृषकों के प्रशिक्षण हेतु रूपये 10000 
का प्रावधान 

6 वर्मीकम्पोस्ट वर्मी कम्पोस्ट निर्माण पर लागत का 50 प्रतिशत 
अधिकतम रू. 3000 जो भी कम हो 

7 जैव कीटनाशक लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू. 500 

8 जैव उर्वरक/हार्मोन्स लागत का 50 प्रतिशत, अधिकतम रू. 500 

1 आर्गेनिक फार्म फील्ड स्कूल रू. 1700 प्रति एफएफएस 

2 एक दिवसीय जैविक कार्यशाला एक दिवसीय कार्यशाला के लिये रूपये 3 लाख मात्र 

3 राज्य के अन्दर कृषक भ्रमण/प्रशिक्षण 30 किसानों के लिये कुल रू. 90 हजार प्रत्येक 
भ्रमण/प्रशिक्षण 

4 भ्रमण राज्य स्तर 30 किसानों के लिये राज्य के बाहर कृषक प्रशिक्षण/ 
भ्रमण के लिये रू. 1.80 लाख प्रत्येक प्रति/भ्रमण 

मध्यप्रदेश में विभिन्न योजनाओं के तहत ड्रिप सिस्टम पर दी जाने वाली सब्सिडी 

राज्य माइक्रोइरीगेशन योजना – ड्रिप सिस्टम(इकाई लागत 80000/ हेक्टेयर) :- समस्त वर्ग के लघु/सीमांत/अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 80 प्रतिशत या अधिकतम रु. 40000/ – अनुदान देय हैं !

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) – लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के लघु/सीमांत कृषको हेतु इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं !

अन्य कृषक – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं !


स्टेट टॉपअप – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 30 प्रतिशत या अधिकतम रु. 15000/ – अनुदान देय हैं !

यदि पाठक गण जैविक खेतु हेतु या ड्रिप सिस्टम हेतु कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो वह सुनील कुमार व्यास जी (व्यास कृषि सेवा केंद्र) से उनके मोबाइल नंबर 9009412445 पर संपर्क कर सकते है !

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