संपूर्ण भारत हमारा अपना है और हम सभी भारत के हैं - सरसंघचालक श्री मोहन भागवत



जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर द्वारा नागपुर के वसंतराव देशपांडे सभागृह में 15 से 18 मार्च 2018 तक “जम्मू कश्मीर लद्दाख महोत्सव” का आयोजन किया गया | उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए आरएसएस सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि समस्या "जम्मू कश्मीर” नहीं है, वास्तविक 'समस्या' हमारे भीतर है - क्योंकि हमने उन बाहरी लोगों द्वारा दी गई परिभाषाओं को स्वीकार कर लिया है, जिन्होंने हमेशा विभाजन और मतभेद पैदा कर भारत को कमजोर बनाने के एजेंडे पर काम किया । 

हम हमारी एकता के तत्वों को भूल गए हैं | हमारे देश में इतनी विविधता है कि अगर कोई केवल भेद ही तलाशना चाहे तो पूर्व विदर्भ को पश्चिम विदर्भ से, और यहाँ तक कि पड़ोस के किसी छोटे से इलाके से भी प्रथक साबित कर सकता है । 

विषय को स्पष्ट करते हुए सरसंघचालक जी ने पंचतंत्र की एक कहानी भी सुनाई कि कैसे एक व्यक्ति ने दो मित्रों को शत्रु बनाने के एजेंडे पर काम किया और अंततः उन्हें एक दूसरे का शत्रु बना ही दिया | श्री भागवत ने कहा कि सभी भारतीय एक परिवार की तरह हैं, और एकता की यही भावना हमें आंतरिक रूप से जोड़ती है, चाहे हम कितने ही अलग क्यों न हों । हमारे अंतस में पारस्परिक स्नेह की भावना विद्यमान है, जिसे कभी-कभी हम भूल जाते हैं। इसे केवल याद रखने की जरूरत है, और सब कुछ ठीक हो जाएगा, पुनरुद्धार स्वतः ही हो जाएगा |" 

"जम्मू कश्मीर का मुद्दा पूरे भारत को प्रभावित करता है | हमें यह घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है कि हम एक हैं - यह एक निर्विवाद तथ्य है। हमें याद रखना चाहिए कि यह आचार्य अभिनवगुप्त की भूमि है, जो शैव दर्शन के सबसे बड़े विद्वानों में से एक थे। ऐसे लोग भी हैं जो इसके लिए 'कश्मीरी शैविज्म' जैसे शब्दों का प्रयोग करेंगे। अरे शिव भक्ति एक ही है - एक शैव्य को दूसरे से प्रथक नहीं किया जा सकता । " 

राज्य में आतंकवाद से लड़ने में सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि "सत्य को किसी सबूत की आवश्यकता नहीं होती | लेकिन कभी-कभी जोर देकर इसका समर्थन करने की जरूरत होती है, ताकि नकारात्मक शक्तियां इसे छिपा न पाएं " । 

जम्मू कश्मीर को लेकर उन्होंने कहा कि "हम एक हैं, और हमेशा एक ही रहेंगे | संपूर्ण भारत हमारा अपना है और हम सभी भारत के हैं। इस भावना को सदा ध्यान में रखते हुए इसे हम संरक्षित करें, यह जरूरी है । 

मिजोरम के राज्यपाल निर्भय शर्मा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे | वे दो दशक तक एक सैन्य अधिकारी के रूप में जम्मू कश्मीर में पदस्थ रहे थे | इस अवसर पर उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि राजनीति के तहत कश्मीर में युवाओं का दिमाग ब्रेनवॉश किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं है, यह भारतीय लोकाचार, हमारे विश्वास और आस्था का एक अभिन्न अंग है | उन्होंने कहा कि महाभारत, निलतम पुराण, राजतरंगिणी आदि में भी कश्मीर का संदर्भ मिलता है । 

जम्मूकश्मीर अध्ययन केंद्र नागपुर की अध्यक्ष मीरा खडकर ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर राज्य के बारे में प्रचारित गलत धारणाओं और मिथकों को दूर करना है। 

सम्मेलन का समापन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जम्मू कश्मीर की पर्यटन राज्य मंत्री प्रिया सेठी और महाराष्ट्र ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बनंकुल ने किया। 

भागवत जी ने इसके पूर्व साउथ सेन्ट्रल जोन, सिविल लाईन, नागपुर में एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें चित्रों और अभिलेखों के माध्यम से जम्मू कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को दर्शाया गया था । इसके साथ ही उन्होंने कुशोक बोकुला लोबज़ांग ठूपन चोग्नर के 19वे शताब्दी समारोह पर आयोजित यात्रा का भी शुभारम्भ किया । कुशोक बोकुला लद्दाख के एक प्रमुख राजनेता होने के साथ साथ आधुनिक लद्दाख के वास्तुकार के रूप में जाने जाते हैं | उन्हें 13 वें दलाई लामा ने गौतम बुद्ध के प्रत्यक्ष शिष्य के रूप में मान्यता प्रदान की थी । यह यात्रा चार अलग-अलग दिशाओं में जायेगी तथा सम्पूर्ण भारत में होते हुए 19 मई 2018 को इसका समापन लेह, लद्दाख में होगा । 

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