हे भगवान यह कैसी राजनीति ? सुषमा स्वराज ने ममता से किया चीन जा रहे प्रतिनिधिमंडल का नेत्रत्व करने का आग्रह !



एक ओर तो पूरे देश में बंगाल सरकार को धुर साम्प्रदायिक माना जा रहा है तथा ममता बेनर्जी, हिंदुत्व समर्थकों में एक खलनायिका के रूप में चित्रित हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बीजिंग जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने हेतु बंगाल की इस फायर ब्रांड मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है। इतना ही नहीं तो विदेश मंत्री ने अपने कोलकत्ता प्रवास के दौरान ममता को भारत की सबसे ईमानदार राजनीतिज्ञ घोषित किया । 

राजनीति की उलटबांसी– 

एक ओर तो ममता पूरे देश में मोदी विरोधी शक्तियों को एकजुट करने की मुहिम चला रही हैं, और भारत सरकार है कि उन्हें और अधिक महत्व दे रही है | यह भी एक दिलचस्प बात है कि जिस ममता के कारण मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का बंगाल में सफाया ही हो गया, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उसके साथ बात करने में रुचि दिखा रही है । 

चीन एक व्यवहारिक देश है और चीनी राजनेता समझ चुके हैं कि भारत में वामपंथी अप्रासंगिक हो गए हैं। अतः स्वाभाविक ही वे अब चीन के लिए भी महत्वहीन हैं, अतः वह भारतीय राजनेताओं में से ही चयनित नेताओं से नवीन सम्बन्ध विकसित करना चाहता है | चीन की नियत और नीति तो समझ में आती है, किन्तु केंद्र का रुख हैरतअंगेज है कि वह कम्युनिस्ट चीन के साथ संबंधों को सुधारने के लिए ममता को क्यों भेजना चाहता है ? 

स्मरणीय है कि गत वर्ष जब ममता स्वयं चीन की यात्रा पर जाना चाहती थीं, तब केंद्र ने पहले अनुमति देने के बाद फिर निरस्त कर दी थी । गौर तलब है कि उस समय भी चीन ने स्वयं ममता बनर्जी को अपने कूनमिंग प्रांत आने के लिए आमंत्रित किया था व मुख्यमंत्री ने इस आमंत्रण को स्वीकार कर लिया था | माना जा रहा था कि उस समय चीन के साथ जो टकराव की स्थिति बनी थी, उस परिस्थिति में प्रधानमंत्री नहीं चाहते थे कि भारत का कोई नेता चीन के सफर पर जाये | बैसे भी सीमावर्ती राज्य के रुप में पश्चिम बंगाल देश का काफी महत्वपूर्ण राज्य है | इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी जुड़ा होने के कारण स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चीन यात्रा की मंजूरी नहीं मिलने के मामले पर केंद्र की कोई आलोचना नहीं की थी | 

लेकिन बीजिंग ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को द्विपक्षीय स्तर पर चर्चा हेतु गठित प्रतिनिधि मंडल में भेजे जाने का आग्रह किया है, व संदेश भेजा है। 

पड़ोसी देशों के साथ संबंध अच्छे रखने हेतु भारत सदैव प्रयत्नशील रहता है तथा उसकी इस नीति की दुनिया में बार-बार सराहना भी होती है। लेकिन वर्तमान में स्थिति कुछ अलग है | चीन ने भारत से यह पहल छीनते हुए, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका आदि के साथ संबंधों में अधिक नजदीकी विकसित की है । अब वह भारत के साथ भी डोकलाम, सियाचिन और लद्दाख के सीमा विवादों को सुलझाने व दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करना चाहता है। भले ही वह अपने व्यावसायिक हितों के कारण विवश हुआ हो, किन्तु भारत सरकार भी इसी मार्ग पर चलना चाहती है | संभवतः यही कारण है कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को चीन जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए आग्रह किया है । 

इतना ही नहीं तो भारत की कम्यूनिस्ट पार्टियां भी अब ममता को अधिक महत्व देने लगी हैं ।
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