शिवपुरी की विकराल जल समस्या के लिए सिंध जलाबर्धन योजना का भ्रष्टाचार जिम्मेदार - हरिहर शर्मा

शिवपुरी के कलेक्टर कार्यालय के सामने २४ घंटे के उपवास पर बैठे सर्व श्री प्रेमशंकर जी पाराशर, हरिहर शर्मा, बृजेश अग्निहोत्री, अजय गौतम एडवोकेट, रिपुदमन सिंह !


पेयजल समस्या समाधान के नाम पर सिंध जलाबर्धन योजना में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के कारण शिवपुरीवासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं | 65 करोड़ की लागत में दो वर्ष में पूर्ण होने वाली योजना दस वर्ष में 136 करोड़ की हो गई है और शिवपुरीवासियों को अब तक पेयजल निर्बाध रूप से प्राप्त नहीं है | इसी की अभिव्यक्ति है पब्लिक पार्लियामेंट के आव्हान पर “जलक्रांति सत्याग्रह” के रूप में विगत 45 दिनों से जारी क्रमिक भूख हड़ताल | इस भीषण गर्मी में लू के थपेड़ों के बीच अब तक 100 से अधिक सत्याग्रही भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं | 

कितने आश्चर्य का विषय है कि मडीखेडा बाँध से ही दतिया को महज 90 करोड़ में पेयजल महज एक वर्ष में प्राप्त हो गया, जबकि शिवपुरी की उससे आधी दूरी पूरी होने में दस वर्ष लग चुके हैं, और न जाने कितने और वर्ष लगेंगे | यह अपने आप में भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है | इस योजना का प्रारम्भ ही भ्रष्टाचार से हुआ, जब कि वर्ष 2009 में शिवपुरी नगरपालिका के कर्ताधर्ता, दोशियान कम्पनी के खर्चे पर हवाई यात्रा कर कम्पनी के कार्यालय अहमदाबाद पहुंचे तथा उनका आतिथ्य लाभ लेते हुए, कम्पनी द्वारा मनमाने ढंग से बनवाये गए एग्रीमेंट पर साईन करके आये | 

आज जिन गुणवत्ता विहीन पाईपों के कारण शिवपुरीवासी एक एक बूँद पानी के लिए तरस रहे हैं, दरअसल वे ही इस योजना का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है | अगर प्रारम्भ में ही प्लास्टिक पाईपों के स्थान पर आयरन पाईप डाले जाते तो, न तो कोई पेड़ कटता और न वन विभाग को कोई आपत्ति होती | जनता को भी आठ वर्ष पूर्व ही पेयजल उपलब्ध हो जाता | किन्तु निर्माण एजेंसी दोशियान कम्पनी को ये घटिया पाईप ठिकाने लगाने थे, इसलिए ही एग्रीमेंट में प्लास्टिक पाईप लिखवाये गए व बड़े पैमाने पर अधिकारियों की जेब गरम की गई | 

पब्लिक पार्लियामेंट आज अगर ईओडब्लू जांच की मांग कर रही है, वह अगर हुई तो संभव है कि यह तथ्य भी सामने आये कि किस किस बड़े नेता की उक्त पाईप निर्माण कर्ता कम्पनी से साझेदारी है | शायद यही कारण है कि शिवपुरी के इस सबसे बड़े आर्थिक अपराध की जांच रुकवाने की लगातार साजिश की जा रही है | 

अन्य अनियमितताओं की बानगी देखिये | 15 दिसंबर 2014 को संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा तीन तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति का गठन कर योजना क्रियान्वयन की जांच करवाई गई | समिति के जांच प्रतिवेदन में निम्नांकित कमियों का उल्लेख किया गया – 

निर्माण एजंसी से हुए अनुबंध की शर्तों को ठेकेदार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, तत्कालीन नगर पालिका अधिकारी द्वारा बदल कर ठेकेदार को तीन करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ पहंचाया गया | 

डीपीआर के अनुसार ठेकेदार को 125 मीटर हेड के बड़े पम्प स्थापित करने थे, जो प्रदान कर भुगतान भी प्राप्त कर लिया गया | किन्तु बाद में वर्ष 2016 में उनके स्थान पर कम क्षमता के पम्प इंटेकवेल पर स्थापित हुए, व उनका भी भुगतान हो गया | पूर्व के पम्प कहाँ गए, उनका क्या हुआ, यह जाच का विषय है | 

मडीखेडा से सतनबाड़ा तक 29 किलोमीटर पाईप लाईन सड़क के राईट ऑफ़ वे डालने की स्वीकृति वन विभाग द्वारा दी गई थी, किन्तु उसमें चट्टान काटने की परेशानी से ठेकेदार को बचाने के लिए स्वीकृत एलाईनमेंट में पुनः परिवर्तन किया गया, जिसके कारण मार्ग में 476 वृक्ष आ गए तथा वन विभाग ने पुनः कार्य बंद करवा दिया, जिसके कारण तीन वर्ष भी बर्बाद हुए और शासन को लगभग छह करोड़ की हानी भी हुई | 

नालों के नीचे तथा रोड क्रासिंग वाले स्थानों पर एम.एस. वेल्डेड पाईप डालकर उनके ऊपर कंक्रीट एनकेसिंग की जानी थी, किन्तु जीआरपी पाईप ही डाले गए | 

पूरी पाईपलाईन में जगह जगह 2180 मीटर लोहे के पाईप भी लगाने थे, किन्तु सब जगह केवल जीआरपी पाईप ही लगाए गए | 

समिति ने उस समय अनुमान व्यक्त किया था कि निर्माण एजेंसी को लगभग 14 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया | 

22 जून 2015 को शासन द्वारा एक दूसरी समिति का गठन भी किया गया, उसने भी अनेक अनियमितताओं का पर्दाफाश किया | दुर्भाग्य से ये सारी जांच रिपोर्ट ठन्डे बस्ते में डाल दी गईं| 

अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि उक्त आर्थिक अपराधों की जांच की जाकर अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाए | यही कारण है कि पब्लिक पार्लियामेंट के आव्हान पर शिवपुरीवासियों का जलक्रांति सत्याग्रह आज भी जारी है | जनधन पर डाका डालने वालों पर जब तक कठोर कार्यवाही नहीं होगी, तब तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाना संभव नहीं है | प्रभावी लोग अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए जनता को बूँद बूँद पानी के लिये तरसा रहे हैं | व्यक्तिगत चर्चा में शिवपुरी के हर राजनैतिक दल का हर नेता यह स्वीकार करता है कि शिवपुरी की विकराल जल समस्या के लिए सिंध जलाबर्धन योजना का भ्रष्टाचार जिम्मेदार है | अतः आज मैं भी इस मांग को अपना नैतिक समर्थन देते हुए एक दिवसीय उपवास पर कलेक्टर कार्यालय के सामने बैठा हूँ | आशा करता हूँ कि व्यक्तिगत चर्चा में सहमति जताने वाले स्वर, इसके बाद सार्वजनिक तौर पर भी मुखर होंगे | 

हरिहर शर्मा 

एक सामान्य शिवपुरीवासी
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