आतंकवादियों का सर्वाधिक पसंदीदा ऐप है व्हाट्सएप ! क्या भारत सरकार उसका इस्तेमाल देश में रोकने पर विचार कर रही है ?



व्हाट्सएप को लेकर सरकारी विचार विमर्श अपने अंतिम दौर में है | पिछले दिनों नई दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक में राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा अपनी गतिविधियों के सञ्चालन में सोशल मीडिया ऐप्स के उपयोग को लेकर गंभीर चिंता जताई गई । 

स्मरणीय है कि पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के नागोटा सेना शिविर पर 2016 के हमले में शामिल जयश-ए-मोहम्मद आतंकवादियों की गिरफ्तारी से यह रहस्योद्घाटन हुआ था कि उन्हें व्हाट्सएप कॉल पर सीमा पार से निर्देश प्राप्त हो रहे थे। उक्त हमले में सात भारतीय जवान शहीद हुए थे | 

बैठक में यह चर्चा भी हुई कि सोशल मीडिया साइट्स और ऐप्स की निगरानी कैसे की जा सकती है। न केवल आतंकवादियों के पारस्परिक संवाद को रोकने के लिए, बल्कि सांप्रदायिक व भड़काऊ अफवाहों की रोकथाम के लिए भी । 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मीटवाई), दूरसंचार विभाग (डीओटी) के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की कि व्हाट्सएप "राष्ट्र-विरोधी बलों के लिए संचार का पसंदीदा माध्यम है।" 

इसके बाद सरकार अब उन कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है, जिनके माध्यम से सुरक्षा एजेंसियों के साथ जानकारी साझा करने के लिए ऐप्स को मजबूर किया जा सकेगा । 

सुरक्षा एजेंसियां लम्बे समय से ​​व्हाटएप जैसे ऐप्स की निगरानी में जुटी हुई हैं, किन्तु उनके एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की वजह से, वे संभावित आपराधिक तत्वों की जांच करने में असमर्थ रहते हैं। आतंरिक सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने कुछ मध्य पूर्वी देशों के उदाहरण देते हुए पत्रकारों को बताया कि वहां व्हाट्सएप वॉयस और वीडियो कॉलिंग दोनों प्रतिबंधित हैं। 

यह पहली बार भी नहीं है जब सरकार द्वारा इस तरह की कार्रवाई करने पर चर्चा हो रही है । 2016 में भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर ऐप पर प्रतिबंध की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर की गई थी, लेकिन याचिका खारिज हो गई । अतः कहा जा सकता है कि सरकार के लिए ऐसा कोई कदम उठाना उतना आसान नहीं है । व्हाट्सएप आसानी से तो अपनी एन्क्रिप्शन नीति छोड़ने से रहा । 

इस समय व्हाट्सएप के एक बिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं, और यह कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह डेटा को सुरक्षित रखे, यहाँ तक कि स्थानीय सरकारों से भी । उल्लेखनीय है कि व्हाट्सएप की मूल कंपनी फेसबुक, उपयोगकर्ता के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रखने को लेकर बैसे ही आरोपों से घिरी हुई है । ऐसे में किसी देश की सरकार के साथ सहयोग करने से विवाद और अधिक बढ़ सकते हैं , जो वह कभी पसंद नहीं करेंगे । 

माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय शीघ्र ही विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें स्थानीय कानूनों के अंतर्गत लाने हेतु कोई मध्यमार्ग निकालने का प्रयास करेगा । 

साभार आधार - https://www.informalnewz.com/2018/06/14/indian-govt-may-ban-whatsapp-use-in-country-as-it-is-terrorists-favourite-app-for-messaging/
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1 टिप्पणियाँ

  1. अभेद्य किले थे राजाओं ने उससे राज्य पनपते रहते
    कूटनी का काल भी था पर बडबोलिया ऐसी न थी।

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