आत्मनिर्भर भारत ही चीन जैसे प्रतिस्पर्धी का मुकाबला करने में सक्षम होगा - रघुनंदन शर्मा



भोपाल, 07 जून । चीन आज दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक है इसका सबसे बड़ा कारण यदि कुछ है तो वह है चीन के व्यापार का वैश्वीकरण और खासतौर से सबसे अधिक वहां के बने माल की खपत का होना। यही कारण है कि आज चीन एक तरफ अपने यहां स्वदेशी को वरीयता देता है तो दूसरी तरफ दुनियाभर में ज्यादा से ज्यादा अपने यहां के बने माल की खपत कराने का प्रयास करता है। इसके कारण वह आर्थिक रूप से व्यापक स्तर पर सक्षम देश है और यही आर्थिक सक्षमता उसे मजबूती प्रदान करती है, जबकि दूसरी ओर भारत को देखें तो हमारा व्यापारिक घाटा चीन की तुलना में लगातार बना हुआ है। उक्त विचार भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने स्वदेशी जागरण मंच के एक कार्यक्रम रोजगार का स्‍वदेशी मॉडल विचार गोष्‍ठी में व्‍यक्त किए। 

उन्‍होंने कहा कि भारत में चीनी माल धड़ल्ले से बिकता है और हम सस्ते के चक्कर में उसे खरीदने से परहेज नहीं करते जबकि यह हमारे देश के लिए सबसे अधिक हानिकारक प्रवृत्ति है। वास्‍तव में जब तक देश में स्वदेशी का भाव जागृत नहीं होगा भारत पूरी तरह आर्थिक शक्ति नहीं बन सकता है। श्री शर्मा ने कहा कि भारत के प्रत्येक देशवासी पर आज हजारों रुपयों का कर्ज है जो वह जन्म के साथ ही अपने साथ लेकर आया है। इसी के साथ जब तक देश में स्वदेशी का भाव जागृत नहीं होगा तब तक भारत आर्थिक रुप से सक्षम और सबल राष्ट्र नहीं बन सकता। 

श्री शर्मा ने कहा कि चीन से युद्ध को लेकर भले ही हमारे राजनेता बराबर की बात करते रहे हों, लेकिन हकीकत यह है यदि आज चीन के साथ भारत का युद्ध हो जाए तो हम कमजोर साबित होंगे। क्योंकि चीन अपने बाजार के कारण न केवल भारत पर बल्कि पूरी दुनिया के ज्यादातर देशों में आज अपना साम्राज्य खड़ा करने में सफल रहा है। जबकि छोटे-छोटे उद्योग धंधों के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार से लगाकर और ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी वस्तुओं का निर्माण एवं उसके प्रचार-प्रसार के साथ व्यापारिक स्तर पर बेचने की व्यवस्था कर हम जब तक ताकतवर नहीं होंगे। स्वदेशी स्तर पर जब हम आत्मनिर्भर होंगे तभी चीन जैसे प्रतिस्पर्धी का मुकाबला करने में भारत सक्षम होगा। रघुनंदन शर्मा ने कहा कि भारतीय युवाओं को ज्यादा से ज्यादा स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ना चाहिए। 

वहीं, इस कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री कश्‍मीरी लाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के हर नागरिक पर आज 50 हजार का कर्ज है और यह तभी दूर हो सकता है जब हमारी इकोनॉमी बहुत ताकतवर बने। हम आर्थिक स्तर पर स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। छोटे-छोटे, बड़े-बड़े जैसे बने वैसे प्रयोग करके हम अधिक से अधिक वस्तुओं का निर्माण करें और उनको बेचने के लिए बाजार तलाशें। तब जाकर हमारे पास अधिक से अधिक धन होगा तभी हम आर्थिक रूप से ताकतवर देश बन सकते हैं। 

उन्होंने कहा कि देश में आज सबसे ज्यादा युवा ताकत है। इस युवा ताकत में ज्यादातर बच्चे सरकारी नौकरियों की तरफ जाना चाहते हैं। किन्‍तु देश में सच यही है कि तीन करोड़ से ज्यादा सरकारी नौकरियां नहीं है। इसके इतर, प्राइवेट सेक्टर में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं है। कश्मीरी लाल ने कहा कि इन अपार संभावनाओं को तलाशने के लिए जिन-जिन लोगों ने आगे बढ़ने का प्रयास किया, उनके प्रयास सफल रहे हैं और वे आज कई-कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं। 

कश्मीरी लाल ने ऐसे कई उदाहरण दीजिए जो कि सीधे तौर पर प्रेरणा देने वाले थे। उन्होंने कहा कि हम जो पढ़ाई करते हैं वह पढ़ाई कौशल विकास के लिए होना चाहिए। पढ़ाई साक्षर होने की नहीं शिक्षित होने के लिए होना चाहिए। जब हम शिक्षित होंगे तब कौशल विकास से पूर्ण होंगे। उन्‍होंने कहा कि देश की चौपट अर्थव्यवस्था के लिए चीन से आयात माल जिम्मेदार है। देश में 190 देशों से हो रहे 118 बिलियन डालर के कुल व्यापार घाटे में से 52 बिलियन डालर का वार्षिक घाटा अकेले चीन से हो रहा है। चीन भारत से प्रतिवर्ष लगभग 72 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित करता है। देश के लघु कुटीर उद्योग चौपट हो रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है।

इस अवसर पर शहरी एवं ग्रामीण कर्मकार कल्‍याण मंडल (मंत्री दर्जा प्राप्‍त) सुल्‍तान सिंह शेखावत, स्‍वदेशी जागरण मंच के राष्‍ट्रीय कार्यसमिति के सदस्‍य अरविन्‍द खाण्‍डेकर, क्षेत्र विचार प्रमुख धर्मेन्‍द्र सिंह भदौरिया, सह संयोजक अरुषेन्‍द्र शर्मा, प्रांत संपर्क प्रमुख पवन मेहता,स्वदेशी जागरन मंच के कार्यकर्ता इत्‍यादि उपस्थित थे।
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