सुनो द्रोपदी , शस्त्र उठा लो - संजय तिवारी

छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे|
कब तक आस लगाओगी तुम,
बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो
दुशासन दरबारों से|
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे|
कल तक केवल अँधा राजा,
अब गूंगा बहरा भी है
होठ सी दिए हैं जनता के,
कानों पर पहरा भी है|
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयंगे|
पुष्यमित्र उपाध्याय की यह कविता आजकल बहुत प्रासंगिक लगाने लगी है। मंदसौर से लेकर लखनऊ तक , दिल्ली से लेकर केरल तक , हालात ऐसे ही नजर आ रहे हैं।स्कूल , कॉलेज, कार्यालय , कचहरी , बाजार , गांव , शहर , घर , रिश्तेदारी चाहे जगह कोई भी हो ,बेटियों पर खतरा बराबर है। आसिफा पर हंगामा मचाने वाले बॉलीवुड के मंदसौर और लखनऊ पर चुप्पी साध लेने पर एक बड़ा सवाल अभिनेत्री कोयना मित्रा ने उठाया है। कोयना के सवाल पर कइयों को बहुत मिर्ची सी लगी है। मंदसौर में सात साल की बच्ची के साथ पर एक्ट्रेस कोइना मित्रा ने एक ट्वीट किया है- अब कोई कैंडल मार्च नहीं निकाल रहा है, क्योंकि इस बार ये घटना एक हिंदू बच्ची के साथ हुई है। जब किसी मुस्लिम लड़की के साथ रेप होता है, तो देश के कुछ गिने-चुने लोग सड़कों पर मोमबत्ती लेकर हायतौबा मचाते हैं। कोइना के इस ट्वीट से एक्ट्रेस गौहर खान भड़क उठीं। लेकिन यह गंभीर बात है कि जिस तरह से आसिफा पर प्रतिक्रियाएं शुरू हुई थीं वैसी टिप्पणियां , वह गुस्सा मंदसौर और लखनऊ की घटनाओं पर तो नहीं है बॉलिवुड में। 

यह एक वास्तविकता है। किसी खास घटना पर जिस तरीके से एक ख़ास जमात सामने आती है वही जमात बड़ी से बड़ी घटना के बाद भी शांत पड़ी रहती है। यह साबित करता है कि कही कुछ तो गड़बड़ है। बलिया जिले के फेफना की रहने वाली संस्कृति राय की लखनऊ में की गयी नृशांश ह्त्या के दस दिन बाद भी कोई सुराग नहीं। मध्य प्रदेश में मंदसौर में एक बेटी वहशी दरिदों की हवस का शिकार होकर जिन्दगी और मौत से जूझ रही है। दिल्ली की निर्भया भी बलिया जिले की ही रहने वाली थी। उसी बलिया की एक और बेटी इस बार प्रदेश की राजधानी में वहशी दरिंदो की हवस की शिकार हो गयी। निर्भया के समय तो पूरा देश आंदोलित था लेकिन इस बार लखनऊ की इस निर्भया के लिए वैसा कुछ नहीं दिख रहा। मंद सौर और लखनऊ की इन घटनाओ ने यह सन्देश दे दिया है की हमारा समाज अभी भी सबक नहीं ले सका है। दिल्ली की निर्भया के समय खायी गयी कसमो और सरकारी वादों का कोई असर समाज पर नहीं दिख रहा। ऐसे घिनौने घटनाक्रम बढ़ाते ही जा रहे हैं। इन घटनाओ से समाज दुखी तो है लेकिन करना तो सरकार और शासन को है। संस्कृति किसी नेता की भैंस तो नहीं थी की उसे रातोरात खोज लिया जय या उसके हत्यारो को पकड़ लिया जाय ? यह बहुत ही शर्म का विषय है कि प्रदेश की राजधानी में सरकार और उसके सभी अमले के नाक के ठीक नीचे बेटियां सुरक्षित नहीं रह गयी हैं। यह अत्यंत चिंता की बात है। लखनऊ में रविवार को इन घटनाओ पर अंकुश लगाने और पीड़िताओं को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सिटीजन फोरम ने हजरतगंज में गांधी प्रतिमा के नीचे कैंडल मार्च और मौन प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा था लेकिन ऐन समय पर प्रशासन ने इस आयोजन की अनुमति नहीं दी। 

मध्य प्रदेश के मंदसौर में 7 साल की बच्ची के साथ निर्भया मामले जैसी हैवानियत सामने आने के बाद जिले में प्रदर्शन जारी है। लोगों ने विरोध में दुकानें बंद रखीं। मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की कि आरोपी के शव को जिले के कब्रिस्तान में जगह नहीं दी जाएगी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर उसे पांच दिन के लिए रिमांड पर भेजा है। अस्पताल में भर्ती बच्ची इस समय जिंदगी की जंग लड़ रही है। 

सात साल की इस बच्ची के साथ मंगलवार को स्कूल से किडनैप करके बलात्कार किया गया। इसके बाद आरोपी ने बच्ची पर बर्बरता से हमले किए। उसके प्राइवेट पार्ट्स को नुकसान पहुंचाया। साथ ही गला रेतकर हत्या की कोशिश की। बच्ची मंगलवार को स्कूल से गायब हुई थी। बच्ची के साथ इस हद तक हैवानियत की गई है कि डॉक्टर भी कांप गए हैं। अस्पताल में भर्ती पीड़िता जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। डॉक्टरों ने बताया कि गुरुवार को उसके शरीर ने कई सर्जरी को झेला है। उस पर धारदार हथियार से कई वार किए गए जिससे उसके शरीर में गहरे घाव हैं।बच्ची के गले में भी 3 सेंटीमीटर का घाव है। रेप के कारण बच्ची के अंदरूनी पार्ट्स पूरी तरह से डैमेज हो चुके हैं। उसके चेहरे और नाक पर भी जगह-जगह दांत से काटने के निशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि बच्ची के साथ इस हद तक बर्बरता की गई कि उसका मलाशय तक फट गया है। प्राइवेट पार्ट्स में नुकीले हथियार से वार किया गया। 

मंदसौर के वकीलों ने घोषणा की है कि वह आरोपी इरफान का केस नहीं लड़ेंगे। मंदसौर बार असोसिएशन ने इरफान का बहिष्कार करने का फैसला किया है और कहा कि 100 वकीलों का दल पीड़िता के पक्ष में पेश होगा। तमाम स्कूली बच्चियों ने भी बस स्टैंड पर बैठकर प्रदर्शन किया। मंदसौर से 31 किमी दूर सीतामऊ पब्लिक स्कूल की बच्चियों ने स्कूल यूनिफॉर्म में अपने हाथों को काले रिबन बांधकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने मामले में इरफान उर्फ भय्यू को गिरफ्तार किया है। बुधवार को सुबह लगभग दस बजे पुलिस को लक्ष्मण गेट के पास खून से लथपथ एक बच्ची के पड़े होने की सूचना मिली। पुलिस ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया। लापता बच्ची के घरवालों ने बच्ची की पहचान की। पुलिस स्कूल में सीसीटीवी फुटेज चेक करने पहुंची तो पता चला कि वहां के सीसीटीवी का तार चूहों ने काट दिया था इसलिए वह काम नहीं कर रहा था। पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो उसमें दिखा कि मंगलवार की शाम को लगभग पौने छह बजे एक शख्स बच्ची को साथ लेकर जा रहा है। पुलिस को आशंका है कि मंगलवार को इरफान बच्ची को टॉफी और स्नैक्स का लालच देकर किसी सुनसान इलाके में ले गया होगा। और फिर उसके साथ जो हुआ वह सबके सामने है। 

भारत आखिर किस दौर में पहुंच गया है। देश के हर कोने से महिलाओं के साथ बलात्कार, यौन प्रताड़ना, दहेज के लिए जलाए जाने, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना और स्त्रियों की खरीद-फरोख्त के समाचार सुनने को मिलते रहते हैं। ऐसे में महिला सुरक्षा कानून का क्या मतलब रह जाता है, इसे हम बेहतर तरीके से सोच और जान सकते हैं।

जो भारत कभी ''यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'' की विचारधारा पर चलायमान था, आज हालात यह ही कि वो भारत महिलाओं पर अत्याचार के लिहाज से दुनिया का सबसे खतरनाक देश बन गया है। एक सर्वे में यौन हिंसा और बंधुआ मजदूरी को इसकी वजह बताया गया है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने महिलाओं के मुद्दे पर 550 एक्सपर्ट्स का सर्वे जारी किया। इसमें घरेलू काम के लिए मानव तस्करी, जबरन शादी और बंधक बनाकर यौन शोषण के लिहाज से भी भारत को खतरनाक करार दिया है। महिलाओं के लिए खतरनाक टॉप 10 देशों में पाकिस्तान छठे नंबर पर है। 

सर्वे में यह भी कहा गया है कि देश की सांस्कृतिक परंपराएं भी महिलाओं पर असर डालती हैं। इसके चलते उन्हें एसिड अटैक, गर्भ में बच्ची की हत्या, बाल विवाह और शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है। सात साल पहले इसी सर्वे में भारत महिलाओं के मामले में दुनिया में चौथे नंबर का सबसे खतरनाक देश था। सर्व में ग्रामीण महिलाओं की स्थिति चिंताजनक बतायी गई है। भारत में महिलाओं को तस्करी से सबसे ज्यादा खतरा है। भारत में 2016 में मानव तस्करी के 15 हजार मामले दर्ज किए गए जिनमें से दो तिहाई महिलाओं से जुड़े थे। इनमें से आधी महिलाओं की उम्र 18 साल से कम थी। ज्यादातर महिलाओं को जिस्मफरोशी या घर में काम करने के लिए बेचा गया था। देश के हर कोने से महिलाओं के साथ बलात्कार, यौन प्रताड़ना, दहेज के लिए जलाए जाने, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना और स्त्रियों की खरीद-फरोख्त के समाचार सुनने को मिलते रहते हैं। ऐसे में महिला सुरक्षा कानून का क्या मतलब रह जाता है, इसे हम बेहतर तरीके से सोच और जान सकते हैं। इसलिए अगर महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो जिस तरह की घटनाएं आए दिन भारत में घट रही हैं, उसमें महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अगर कोई रिपोर्ट आती है तो वह कहीं न कहीं इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर अंगुली उठाती हैं। समय-समय पर महिला सुरक्षा को लेकर कानून बनाए जाते हैं और कानूनों में परिवर्तन भी किए जाते रहे हैं। फिर भी देश में महिलाएं असुरक्षित है, यह बेहद चिंता की बात है।

संजय तिवारी
संस्थापक - भारत संस्कृति न्यास (नयी दिल्ली)
वरिष्ठ पत्रकार 


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