क्या राहुल गांधी टेक्स चोरी करने में समर्थ हैं ? राहुल गांधी पर आय छुपाने का आरोप !



आज रिपब्लिक टीवी ने एक जबरदस्त राजनैतिक धमाका किया है | रिपब्लिक टीवी का दावा है कि उसके पास राहुल गांधी की 463 पेज की टेक्स रिपोर्ट की फ़ाइल है, जिससे यह हैरत अंगेज जानकारी मिलती है कि आयकर विभाग ने वर्ष 2011-2012 में कर चोरी के लिए राहुल गांधी को नोटिस भेजा था। और यह तो सभी जानते हैं कि उस समय देश पर कांग्रेस का ही शासन था | 

राहुल गांधी ने इस तथ्य को छुपाया कि वे 'यंग इंडिया' के निदेशक थे? 

टैक्स फाइल से पता चलता है कि राहुल गांधी ने आयकर विभाग से यह तथ्य छिपाया था कि वे यंग इंडिया में निदेशक थे, जो 'नेशनल हेराल्ड केस' में शामिल मुख्य कंपनी है। राहुल गांधी द्वारा कथित रूप से तथ्यों को छुपाये जाने के कारण, आई-टी विभाग द्वारा 154.97 करोड़ रुपये की बड़ी राशि का आकलन ही नहीं किया जा सका। कर फ़ाइल यह भी बताती है कि निदेशक होने के साथ ही वह 'यंग इंडिया' में नियोजित धन के सीधे तौर पर लाभार्थी भी थे। 

शेयरों के उचित बाजार मूल्य की तुलना में कम कीमत पर 'यंग इंडिया' के शेयरों को खरीदकर राहुल गांधी ने सीधे तौर पर 154.97 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि प्राप्त की । 

अब, 2018 में जब यह तथ्य सामने आया, तो आयकर विभाग ने आगे बढ़ने का फैसला किया और कांग्रेस अध्यक्ष के 2011 और 2012 के वर्षों में आयकर आकलन को दुबारा करने का फैसला किया। 

आई-टी नोटिस के बाद घबराये राउल गांधी : 

आयकर विभाग द्वारा किये जाने वाले इस पुनर्मूल्यांकन को रोकने के लिए, राहुल गांधी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया । कांग्रेस अध्यक्ष ने अदालत से कहा कि उन्होंने इस तथ्य को नहीं छिपाया कि वह 'यंग इंडिया' के निदेशक थे और इस कारण उनकी आय का पुन: मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए। 

जबकि रिपब्लिक टीवी के पास विद्यमान दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि उस समय राहुल गांधी द्वारा आई-टी विभाग को लिखा गया था कि वह किसी भी इकाई के लाभार्थी नहीं है। 

राहुल गांधी ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस प्रकरण का मीडिया कवरेज रोका जाए । हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनके इस अनुरोध को सिरे से नकार दिया । मामले की अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को होगी । 

दिल्ली उच्च न्यायालय में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 'यंग इंडिया' में अपनी स्थिति को लेकर स्पष्टीकरण देना होगा और यह प्रमाण भी देना होगा कि वह कंपनी में बाहर से आने वाले फंडों के लाभार्थी नहीं थे । 

क्या कहते हैं रिपब्लिक टीवी को प्राप्त आई-टी दस्तावेज : 

रिपब्लिक टीवी ने दावा किया है कि उसके पास आईटी विभाग द्वारा वर्ष 2011 से वर्ष 2018 तक राहुल गांधी को भेजे गए नोटिसों की पूरी श्रृंखला है। इन आईटी नोटिसों में राहुल गांधी से आय के स्रोतों का खुलासा करने के लिए कहा गया है और पूछा गया है कि क्यों न उनकी आय का पुन: मूल्यांकन किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने एक महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाया था। 

एक नोटिस में कहा गया हैं, "मेरे पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि 2011 और 2012 के निर्धारण वर्ष में कर लगाए जाने योग्य आपकी आय, आयकर अधिनियम की धारा 147 के अर्थ में मूल्यांकन से बच गई है। इसलिए, मैं उल्लेखित निर्धारण वर्ष के लिए लाभ या हानि का आकलन या पुन: मूल्यांकन करने का प्रस्ताव करता हूं। अतः नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर मेरे समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करें... " 

आई-टी विभाग को इस कथित कर अपवंचन (टेक्स चोरी) की जानकारी कैसे लगी ? 

पूर्व में 7 अगस्त, 2012 को, आई-टी विभाग ने राहुल गांधी को पहली बार नोटिस भेजा था कि उनके पास प्रत्यक्ष लाभार्जन का क्या कोई विशेष या कानूनी स्वत्वाधिकार है ? अगस्त, 2013 को, आई-टी विभाग से तीन नोटिस प्राप्त करने के बाद, राहुल गांधी ने आखिरकार जवाब दिया, और उनकी प्रतिक्रिया के बिंदु 3 में उन्होंने कहा कि वह किसी भी कानूनी इकाई के लाभार्थी नहीं हैं। तत्पश्चात इसी के आधार पर, आई-टी विभाग ने आय का आकलन किया था। 

बाद के वर्षों में, कथित चोरी से सम्बंधित कई तथ्य सामने आते रहे, खासकर नेशनल हेराल्ड केस के दौरान जब 'यंग इंडिया’ ख़ासा चर्चित हुआ । इस समय, आयकर विभाग को कंपनी की फाइलें देखने को विवश होना पड़ा, और तब पता चला कि राहुल गांधी 'यंग इंडिया' में निदेशक थे और इस तरह वे वास्तव में प्रत्यक्ष लाभार्थी भी थे। आई-टी विभाग की जानकारी में यह तथ्य भी आया कि वस्तुतः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी, यंग इंडिया और एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता था। 

यंग इंडिया और एसोसिएटेड जर्नल वे कंपनियां हैं, जिनके बीच “नेशनल हेराल्ड केस” झूल रहा है। इतना ही नहीं तो गांधी परिवार की जेबी संस्था “आल इंडिया कांग्रेस कमेटी” ने “एसोसिएटेड जर्नल” को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया था जिसके माध्यम से नेशनल हेराल्ड “यंग इंडिया” के स्वत्वाधिकार में पहुँच गया | 

मार्च 2018 में, आई-टी विभाग ने राहुल गांधी को एक और नोटिस भेजा कि वह छिपे हुए तथ्यों पर प्रकाश डालें । राहुल गांधी ने इस नोटिस का जवाब दिया - 

1 उन्होंने कोई वास्तविक तथ्य नहीं छुपाया है 

2 वह किसी भी पुनर्मूल्यांकन की अनुमति देने से पहले, स्वयं रिकॉर्ड्स का निरीक्षण करना चाहते है। 

उसके बाद आई-टी विभाग ने राहुल गांधी को अभिलेखों का निरीक्षण करने की इजाजत दी | तत्पश्चात राहुल की ओर से पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ आपत्तियों की एक सूची दायर की गई | उनके द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों को आई-टी विभाग ने खारिज कर दिया । 

अब देखना है कि आगे आगे होता है क्या ?
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