शिवपुरी में करोडों रूपये की शासकीय भूमि पर हो रहा है अबैध दुकानों का निर्माण किन्तु शासकीय अधिकारी बने गांधी जी के बन्दर !

शिवपुरी में करोडों रूपये की शासकीय भूमि पर हो रहा है अबैध दुकानों का निर्माण किन्तु शासकीय अधिकारी बने गांधी जी के बन्दर ! शिवपुरी में प्रशासन और नगरपालिका अधिकारियों की कारगुजारी को देखकर, गांधी जी के तीन बंदरों की याद ताजा हो जाती है | सरे आम शिवपुरी झांसी रोड पर ईदगाह के नजदीक करोड़ों रूपये मूल्य की शासकीय भूमि पर अबैध निर्माण जारी है | अवैध निर्माण भी कोई गरीबों को छत मुहैय्या कराने के लिए नहीं, बल्कि पूरा व्यावसायिक केंद्र बनाने के लिए, जिसमें जनचर्चा के अनुसार एक एक दूकान दस दस लाख पगड़ी लेकर दी जाने वाली है | 

यूं तो नगरपालिका और प्रशासन के अधिकारियों को इसकी ओर स्वतः ध्यान देना चाहिए था, किन्तु इसकी तो आशा ही व्यर्थ है, अतः जागरुक नागरिकों द्वारा इस अवैध व्यावसायिक केंद्र के निर्माण की सूचना पंद्रह-बीस दिन पहले अंधे बहरे गूंगे प्रशासन को लिखित में दे दी गई थी | किन्तु इसके बाद भी सर्वे न 726 के रकवा 1.484 हेक्टयर की इस शासकीय भूमि पर दुकानों का निर्माण बिना किसी रोकटोक के जारी है | किसी प्रशासनिक अधिकारी ने उस ओर झांकने की भी हिम्मत नहीं की | 

लोगों का मानना है कि चूंकि अतिक्रामक जिस विशेष समुदाय के हैं, उनके सामने प्रशासन भीगी बिल्ली ही बना रहता है | इस व्यवसायिक परिसर का निर्माण पूर्ण होने के बाद – जोकि होना ही है, क्योंकि रोकने की ताकत किसी “माई के लाल” में नहीं है – एक और विशेष बात होने वाली है – कहा जाता है कि देश में धर्मनिरपेक्षता है, किन्तु कायदे-क़ानून-संविधान को ताक पर रखकर यहाँ केवल एक समुदाय विशेष को ही दूकाने आबंटित की जायेंगी | कहा जा सकता है कि अंधेर नगरी शिवपुरी में क़ानून का फंदा केवल कमजोरों के लिए होता है, दबंगों के लिए तो जंगल का क़ानून ही लागू होता है – जिसकी लाठी उसकी भेंस |

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