अजब गजब धर्मांतरण ?


यह रोमांचक और बीभत्स कहानी है दिनेश प्रताप जाटव की, जिसने 35 साल पहले हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम स्वीकार किया | धर्मांतरण का कारण जानकर शायद कुछ लोगों को अचम्भा होगा | दिनेश प्रताप एक जरायमपेशा शख्स था, और गाहे बगाहे जेल जाना उसकी नियति बन गई था | बार बार की जेलयात्रा से बचने का एक नायाब तरीका उसके दिमाग में आया और उसने समाजवादी युग में वह मुस्लिम बन कर साबिर हो गया | यह सौदा उसके लिए फायदे का साबित हुआ, और यह कुख्यात इंसान नेता बन बैठा और थोड़े ही समय में एटा नगर पालिका का पार्षद भी बन गया | 

उन्हीं दिनों शहजाद नामक एक व्यक्ति गोरखपुर से एटा आकर वहां के किदवई नगर स्थित मदरसे जामिया इसाअत उलूम का मुफ्ती बन गया | शुरूआती दौर में शहजाद और साबिर की खूब घुटी, दोनों पक्के दोस्त माने जाने लगे | किन्तु तभी मदरसे की जमीन पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच कटुता आ गई | और नौबत यहाँ तक आई कि 2005 में में शहजाद ने पुलिस से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई, जो उसे मिली भी | किन्तु यह व्यवस्था कब तक रहती ? कुछ समय बाद यह सुरक्षा हटा ली गई | 2006 में शहजाद ने फिर पुलिस से गुहार लगाई कि उसे साबिर से जान का खतरा है | किन्तु इसके पहले कि उसे दुबारा सुरक्षा हासिल हो पाती, 2 अप्रैल 2016 में कुछ हथियार बंद हमलावरों ने घर में घुसकर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी | 

स्वाभाविक ही ह्त्या का आरोप साबिर और उसके बेटे नदीम पर आया | मामले में कई गवाह भी थे, जिन्होंने ख़म ठोककर कहा कि हत्या साबिर ने ही की है | यहाँ तक तो सब सामान्य है, किन्तु उसके बाद जो हुआ, वह अपराध जगत की घिनौनी दुनिया का बीभत्स चेहरा है | जैसा कि होता आया है साबिर जल्द ही जमानत पर छूट गया और उसके बाद उसने मामले की पैरवी कर रहे मुफ्ती के बेटे शोएब और मामले के गवाहों हाजी केशर, जान मोहम्मद और काले खान को सबक सिखाने की योजना बनाई | 

योजना के अंतर्गत अलीगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र के निर्जन क्षेत्र में रहने वाले निर्दोष साधुओं को निशाना बनाया गया | एक महीने में तीन साधुओं सहित छह लोगों की हत्या की गई | साधुओं की जहां हत्या की जाती थी, वहां शोएब और गवाहों के नाम व मोबाइल नंबर लिखकर पर्चियां छोड़ दी जाती थीं | इतना ही नहीं तो छोड़े गए उन मोवाईल नंबरों से फोन भी किया जाता था, जिससे पुलिस इन गवाहों को हत्या के मामले में गिरफ्तार करें | 

सब कुछ योजना के अनुसार ही हुआ और वे लोग साधुओं की ह्त्या के आरोप में गिरफ्तार भी हो गए | साबिर की योजना एक तीर से दो शिकार करने की थी | एक ओर तो अपने विरोधियों को फंसाना और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बदनाम करना | लेकिन उसकी चतुरता किसी काम नहीं आई और जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस को वास्तविकता पता चल गई |18 सितम्बर को साबिर अली को बेटे और उसके अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार कर उनके कब्जे से पुलिस ने 4 पिस्टल, 12 कारतूस, खून से सनी चादर, मोबाइल फोन आदि बरामद कर लिया | हत्याकांड में जो मोबाइल इस्तेमाल हुए, उन्हें भी पुलिस ने बरामद कर लिया | 

इन लोगों ने 12 अगस्त को दो साधु और एक किसान की हत्या कर दी। उन्होंने 26 अगस्त को अतरौली में एक और साधु पर हमला किया लेकिन उन्हें मारने में असफल रहे। हालांकि, उन्होंने एक किसान को मार डाला। उन्होंने फिर शनिवार और रविवार की मध्यरात्रि में एक और साधु पर हमला किया। साधु बच गए लेकिन उन्होंने एक किसान और उनकी पत्नी को मार डाला जिन्होंने उन्हें अपने खेत में इन्हें छुपे हुए देख लिया था । 

गिरोह के तीन सदस्य फरार हो गए, जिनके ऊपर पुलिस ने पच्चीस पच्चीस हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया। आज ताजा समाचारों के अनुसार उनमें से दो आज पुलिस एनकाउन्टर में मारे गए | उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक, आगरा जोन के अतिरिक्त महानिदेशक, अलीगढ़ के उप महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने मामले को सुलझाने वाली पुलिस टीम को सम्मानित किया है | इन लोगों को क्रमशः 50,000 रु., 30,000, रु., 25,000 रु., और 20,000 रु. देने की घोषणा की गई है ।
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