तेलंगाना राज्य जेल विभाग की अनूठी पहल - भिखारी मुक्त हैदराबाद



एक वर्ष पूर्व तेलंगाना राज्य जेल विभाग ने हैदराबाद के चंचलगुडा जेल परिसर में आनंद आश्रम प्रारंभ किया व 6,605 भिखारी वहां लाए गए । उनमें से 6,411 का सफलता से पुनर्वास हो गया तथा अब वे अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं । वर्तमान में, आश्रम में 194 पुरुष भिखारी हैं जिन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है । 

जेल और बंदी सुधार सेवाओं के महानिदेशक वीके सिंह का कहना है कि यूं तो उन्होंने अनेक विभागों में काम किया है, लेकिन इस अनूठी योजना ने उन्हें सर्वाधिक संतुष्टि दी है, क्योंकि मेरे माध्यम से वंचित और असहाय लोगों को भोजन और आश्रय मिल रहा है, तथा उनका पुनर्वास भी हो रहा है । यह दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के सात दशकों के बाद भी, हमारा समाज उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है | 

जब हमने इस योजना को शुरू किया था तो अनेक लोगों ने संदेह व्यक्त किया था कि यह कैसे संभव होगा। किन्तु पिछले एक साल में, हमने कई लोगों का उपचार भी किया है और अनेकों को सक्षम भी बनाया है । हैदराबाद में भिखारियों की बड़ी समस्या थी, किन्तु जेल विभाग, हैदरावाद महानगर पालिका और पुलिस के बेहतर समन्वय ने इस बुराई पर अंकुश लगाने में सफलता पाई है । 

विभाग द्वारा इस अभिनव योजना पर लगभग 1.74 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन लोगों के कपड़े, भोजन और अन्य आवश्यकताओं की चीजों का ख्याल रखा गया है । राजधानी में इसकी सफलता को देखते हुए राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी लिखा गया है कि वे अपने जिलों में भी ऐसे भिखारियों की पहचान करें और उन्हें पुनर्वास के लिए हैदराबाद भेजें । 

जिन भिखारियों का पुनर्वास किया गया है, उनके आधार कार्ड बनवाये गए हैं तथा बैंक खाते भी खुलवाये गए हैं, ताकि उन्हें उनके कौशल के अनुसार ऋण और नौकरियां प्राप्त करने में मदद मिल सके। 

भिखारियों की जानकारी देने वालों को 1,000 रुपये दिए जाते हैं तथा विगत एक वर्ष में कुल 34 लोगों को यह राशि दी गई है । आगे भी यह प्रणाली जारी रहेगी। 

श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने सरकार से राज्य भर में आनंद आश्रम स्थापित करने का अनुरोध किया है। 

आनंद आश्रम: बेघर लोगों के लिए वरदान 

लगभग एक साल पहले, जब अमरीकी राष्ट्रपति की पुत्री “इवानका ट्रम्प” हैदराबाद आने वाली थीं, तब उस समय अधिकारियों द्वारा एक स्वच्छता अभियान चलाया गया था । उसी समय सोशल मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया में हैदराबाद की भिखारी समस्या को प्राथमिकता के साथ उठाया गया था । इसके बाद बेघरवार भिखारियों को सड़कों से उठाया गया और यह अनूठा पुनर्वास कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया । 

इस योजना के एक वर्ष पूर्ण होने पर पत्रकारों ने चंचलगुडा जेल में जाकर आनंद आश्रम के कुछ कैदियों के साथ बातचीत की - 

60 वर्षीय अजय वहां बहुत शौक से बागवानी कर रहा है, उसने कहा कि "जब पुलिस ने मुझे उठाया तो उस समय मैं बेरोजगार भी था और बीमार भी । अब मैं यहां बहुत आराम से हूँ, मैले कुचैले कपड़ों के स्थान पर मुझे साफ कपड़े दिए गए हैं, बिस्तर और खाना भी मिला है । उन्होंने मुझे 8 - 10 दिनों के बाद ही जाने दिया था, लेकिन मुझे कोई काम नहीं मिला और मैं सडकों पर लावारिस नहीं मरना चाहता था, अतः वापस यहाँ लौट आया | अब मैं यहाँ अंग्रेजी और तेलगू सीखता हूँ और पेड़ पौधों की देखभाल का काम मुझे दिया गया है |“ 

इसी प्रकार तीन माह पूर्व आश्रम में आये 22 वर्षीय क्रांति ने कहा कि, "मैं यहां बाल काटना सीख रहा हूं, और यहाँ से बाहर जाने के बाद शायद एक नाई बन जाऊंगा।" 

कैदियों के सलाहकार डॉ, अली ने बताया कि 55 वर्षीय संतोष शेट्टी जैसे कुछ लोग पिछले एक वर्ष से आश्रम में हैं, किन्तु बाहरी दुनिया में जाना ही नहीं चाहते । 

"वह दुबई में काम कर रहा था कि तभी दुर्भाग्य से कानूनी उलझन में फंसकर तबाह हो गया । उसका पासपोर्ट रद्द हो गया और नौकरी भी चली गई, मजबूरन उसे भारत लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। हमने उसे भिखारी अवस्था में पाया और तब से ही वह यहाँ हैं ।“ 

संतोष ने कहा कि "मेरे परिवार को अभी भी पता नहीं है कि मैं यहाँ रह रहा हूँ । उन्हें लगता है कि मैं मुम्बई में कोई काम कर रहा हूं, जबकि मेरे पास अब कुछ भी नहीं है। लेकिन मैं यहाँ खुश हूँ। यह पहल वास्तव में अद्वितीय है। मैंने सरकार से इस तरह का समर्थन कहीं नहीं देखा है। मेरा परिवार मंगलुरु में रहता है " । 

साभार आधार : तेलंगाना टुडे
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