एक सपने की हत्या – हरिहर शर्मा



मैं आज ट्विटर पर भाजपा के शुभचिंतकों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं देख रहा था | आप भी देखिये, फिर मेरी प्रतिक्रिया का आनंद लीजिये – 

(1) घर दिया, बिजली दिया,गैस दिया, शौचालय दिया, बुरहान के 600 भाई मारे,आर्मी को आधुनिक किया दुगनी तेजी से सड़कें बनाई विदेश में भारत की शान बढ़ाई म्यामार पाकिस्तान जाकर आतंकी मारे पर दिक्कत लोगों को टैक्स की चोरी बंद होने से हुई आलू से सोना चांद पे खेत चाहिए 

(2) "Followers will never know how hard the leader tries to creat path" Time to move on to next task. This time i will put 200% 

(फोलोअर कभी नहीं समझ पाते कि नेता को मार्ग बनाने के लिए कितना कठिन परिश्रम करना पड़ता है | यह समय है अगले लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने का | मैं इससे 200 प्रतिशत सहमत हूँ |) 


(3) लो आ गई पप्पुओं की सरकार ... किसानों के सारे कर्ज माफ् सवर्णो को मिलेगा20% आरक्षण फसलो के दाम किये जायेंगे 10 गुने हर बेरोजगार को मिलेगा रोजगार स्वर्ण बेरोजगार को मिलेगा 1लाख रुपये महीने का भत्ता अयोध्या में बनेगी बाबरी मस्जिद ... 

(4) भाजपा "राम मंदिर" की मांग को भीख समझने लगी थी, अब समझ में आएगा कि 100 करोड़ हिन्दू क्या चाहते हैं, यदि अब भी @BJP4India "राम मंदिर" नही बनवाई, तो 2019 में कोई नही बचा सकता।!!! 

(5) कुछ भी कहो @ChouhanShivraj की मेहनत , काम , सत्ता संभालने का ढंग, सब मानना पड़ेगा। तीन कार्यकाल के बाद भी इतनी बड़ी टक्कर, कांग्रेस के लिए जीत मुश्किल बनाए रखी। इस बात पर उन्हें सराहना देनी चाहिए। a well fought battle sir

(6) मतदाताओं, खासकर हिंदुओं को भाजपा समर्थक फेसबुकिए-ट्वीटराजी हार के लिए गाली दे रहे हैं, वह दुखद है। उन्होंने नोटा क्यो दबाया, भाजपा को सम्ममानजनक सीट, और बंपर मत प्रतिशत देकर क्या संदेश दिया, उस पर सोचने की जगह गाली! गाली देने वाले हिंदू समाज के दुश्मन हैं, न कि नोटा दबाने वाले! 

(7) रानी गई ,रमन गये और गए शिवराज.. अब तो SCST हटाइये, हे मोदी महराज..!! 

अब बारी मेरी प्रतिक्रिया की – 


उपरोक्त ट्वीट उन लोगों के हैं, जो न मोदी विरोधी हैं और न भाजपा विरोधी | कांग्रेस या सेक्यूलर दलों के समर्थक तो कतई नहीं हैं | इनका दुःख और क्षोभ दर्शाते हैं ये ट्वीट | अब सवाल उठता है कि ये दुखी क्यों हैं, क्षुब्ध क्यों हैं ? 

2014 में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनने के बाद लाखों करोड़ों समर्थको की आँखों में अलग अलग सपने थे | कोई राम मंदिर का सपना संजो रहा था, तो कोई भ्रष्टाचार रहित शासन व्यवस्था की | अलग अलग अपेक्षाएं थीं हरेक की | दुर्भाग्य से भाजपा संगठन ने इन अपेक्षाओं को गंभीरता से नहीं लिया | उन्होंने मान लिया कि चूंकि इस समूह को कांग्रेस से तो कोई अपेक्षा है ही नहीं, तो ये हर हालत में भाजपा का समर्थन करने को विवश हैं | किन्तु नोटा ने सब मुगालते दूर कर दिए | नीचे कुछ उदाहरण हैं | 



ये जबाब है गलतफहमी और दंभ का | क्या जरूरत थी आरक्षण विरोधियों को ललकारने की ? क्या जरूरत थी सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय बदलने की और एट्रोसिटी एक्ट दोबारा कठोर करने की ? अपने मूल मतदाता को आहत करना क्या इतना जरूरी था ? इतने बड़े पैमाने पर मंत्रियों की पराजय ने यह भी जताया है कि जनता रूपी जनार्दन को अहंकार पसंद नहीं है, जो कि गाहे बगाहे उनके व्यवहार में झलकने लगा था | शिवराज जी जैसे विनम्र सामजिक कार्यकर्ता का अथक परिश्रम भी इनके खिलाफ माहौल को थाम नहीं पाया | 

खैर मेरा आशय भाजपा नेत्रत्व की आलोचना निंदा करने का नहीं है | भाजपा नेतृत्व और नोटा दबाने वाले क्षुब्ध महानुभावों ने मिलकर एक सुसंपन्न और शक्तिशाली भारत के उन सपनों की ह्त्या कर दी है, जो इन सब स्थितियों में भी भाजपा के मतदाता बने रहे लोगों की आँखों में बसे थे | जिन्हें कश्मीर में आतंकियों को जेल में रखकर बिरयानी खिलाने के स्थान पर उन्हें जहन्नुम रसीद करना पसंद आता है | जिन्हें अब भी मोदी सरकार द्वारा भरे गए खजाने की चाबी चोरों को सोंपने की कल्पना से बेचैनी होने लगती है | 

मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि 2019 में दोनों पक्ष अपनी अपनी भूल सुधार कर लेंगे |
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