छत्तीसगढ़ की 60 लड़कियों को मानव तस्करों से मुक्त कराने वाली अनाथ राजेश्वरी की साहसिक गाथा - प्रियंका कौशल

प्रस्तुत चित्र में छत्तीसगढ़ की प्रख्यात पत्रकार प्रियंका कौशल जी के साथ बैठी युवती का नाम है राजेश्वरी | 

भारतीय पंरपरा में नरक का उल्लेख अक्सर मिलता है, खासकर इस संदर्भ में कि, 'बुरे काम मत करो, नहीं तो मरने के बाद नरक में जाओगे' | लेकिन संसार में कुछ अभागे लोग ऐसे भी हैं, जो दूसरे के बुरे कर्मों का शिकार होकर जीते जी नरक में पहुंच जाते हैं और खुद के अच्छे कर्मों के परिणामस्वरूप जीवित अपनी दुनिया में लौट भी आते हैं | इन्हीं में से एक है बस्तर की बेटी राजेश्वरी सलाम, जो ना केवल मानव तस्करों के बनाए नरक से खुद वापस लौटी, बल्कि अपने साथ 60 अन्य लड़कियों को भी बंधनमुक्त करवाया | 

यह है राजेश्वरी सलाम की पूरी कहानी 

अबूझमाड़ जैसे अति नक्सल प्रभावित इलाके में पैदा हुई राजेश्वरी सलाम ने चार साल की आयु में ही अपने माता और पिता दोनों को खो दिया था। वे दोनों ही किसी अज्ञात बीमारी के चलते दुनिया से चल बसे और इस बेरहम दुनिया में अकेली रह गई दुधमुंही राजेश्वरी | समय के प्रवाह में बहती राजेश्वरी कांकेर के जनकपुर में आकर बस गई। जनकपुर भी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। गाय और बकरी चराते हुए राजेश्वरी कब युवा हो गई, उसे पता ही नहीं चला । 

दुर्भाग्य के थपेड़ों से जूझती हुई राजेश्वरी, वर्ष 2013 में मानव तस्करों के हत्थे चढ़ गई, और उसे सुदूर तमिलनाडु के नामाक्कल जिले में बेच दिया गया। वहां उसे सेलम के एक ककड़ी प्रिजरवेशन यूनिट में बंधुआ मजदूर बना दिया गया |

जो जन्म से ही संघर्षों में पली बढी हो, उस तूफानी राजेेश्वरी को कौन बंधन में रख सकता था ? मौक़ा मिलते ही वह मानव तस्करों के चंगुल से छूटकर जगदलपुर लौटी। यहाँ से राजेश्वरी का समाज सुधारक रूप जागृत हुआ | तमिलनाडु में बंधुआ मजदूर वह अकेली नहीं थी, उसके साथ छत्तीसगढ़ की अन्य 60 लड़कियां भी थीं | जगदलपुर आकर भी वह उनको नहीं भूली | उसने उन्हें भी उस नारकीय जीवन से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया |

पुलिस में गुहार लगाई, तो जैसा कि अमूमन होता है, दो माह तक तो कोई सुनवाई ही नहीं हुई । लेकिन उसने हार नहीं मानी। अंततः कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद बस्तर पुलिस सक्रिय हुई और राजेश्वरी को साथ लेकर तमिलनाडु की उस फैक्ट्री में पहुंची, जहां बस्तर की 60 अन्य युवतियां भी बंधक थीं। पुलिस नेे उन्हें छुडाया और बस्तर लाकर सबको उनके घर पहुंचाया।

लेकिन राजेश्वरी के ये जुझारू तेवर उन मानव तस्करों को खटक गए, और एक नया संघर्ष शुरू हुआ, तस्करों से अपनी जान बचाने का सन्घर्ष, क्योंकि उसके कारण दो दलाल जेल जा चुके थे। । विगत कुछ समय तक वह भटकती रही, छुपती रही । किन्तु दाद देनी होगी छत्तीसगढ़ सरकार की, जिसने उसके कार्य के महत्व को पहचाना और उसे न केवल सम्मानित किया, बल्कि अपने सभी नियम शिथिल करते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नौकरी भी दे दी । अब राजेश्वरी की जिंदगी नई करवट लेने को तैयार है।

राजेश्वरी खूब पढ़ना चाहती थी,लेकिन उसके लिए अवसर कहाँ थे | उसकी स्कूली शिक्षा केवल दूसरी क्लास तक ही हो सकी, लेकिन वह हिंदी पढ़ सकती है, और वाक्पटु तो है ही | तभी तो न केवल स्वयं को स्थापित कर सकी, बल्कि अन्य साठ लड़कियों के जीवन में भी सबेरा ला सकी |।

राजेश्वरी सलाम के अनुभवों पर आधारित लिखी जा चुकी है पुस्तक ‘नरक’

मानव तस्करी के विरुद्ध आवाज उठाने वाली राजेश्वरी सलाम के अनुभवों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका कौशल द्वारा मानव तस्करी की समस्या पर लिखी गई पुस्तक नरक का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है | इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने जब मानव तस्करों का शिकार हुई लड़की राजेश्वरी सलाम की व्यथा को सुना तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान ही पीड़ित लड़की राजेश्वरी सलाम से पूछा कि वह कितनी तक पढ़ी हुई है जब यह जवाब आया कि वह स्कूल नहीं गई है तो उन्होंने तुरंत विधान सभा के सचिव को बुलाया और पूछा कि क्या हम इस लड़की को विधानसभा परिसर में कोई नौकरी दे सकते हैं। इस पर उन्होंने भृत्य की नौकरी देने की बात स्वीकार की तो डॉक्टर चरणदास महंत ने मंच से ही इस बात की घोषणा कर दिया कि आज से ही राजेश्वरी विधानसभा परिषद में भृत्य की नौकरी करेगी और वह प्रदेश में मानव तस्करी का शिकार हो रहे पीड़ित महिलाओं और बच्चों को उस दलदल से निकलने की दिशा में सरकार के कार्यों में सहयोग प्रदान करेगी। डॉ चरणदास महंत की इस संवेदनशीलता की सराहना की जा रही है। इस दौरान डिजियाना आना ग्रुप के चेयरमैन ने राजेश्वरी सलाम को 500000 रुपये देने की घोषणा भी की | 


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