विरक्ति से अनुरक्ति की कहानी - स्व. नारायण वासवानी



आजादी के पूर्व १९४७ में कराची में एक लाख श्रोताओं की एक बड़ी जनसभा हुई जिसे साधू वासवानी जी के मुख्य आतिथ्य में प.पू. गुरूजी ने संवोधित किया ! एक मित्र के साथ नारायण वासवानी जी भी सभा सुनने को गए ! उस समय तक इनका संघ से कोई सम्बन्ध नहीं था ! सभास्थल पर इन्हें सिगरेट के कश लगाते देख एक स्वयंसेवक ने आकर इन्हें टोका तथा सिगरेट पीने को मना किया ! उस समय तो इन्होने सिगरेट बुझा दी किन्तु स्वयंसेवक के जाते ही फिर जला ली ! किन्तु इस बार दूसरा स्वयंसेवक आ गया ! झल्ला कर ये सभा छोडकर ही चले आये ! जहाँ चैन से कोई सिगरेट नहीं पीने दे बहां क्या बैठना ये भाव था !

किन्तु लखनऊ में जब नौकरी में थे तब रोज सुबह क्वार्टर के बाहर मंजन करते समय शाखा जाते स्वयंसेवक दिखते ! उनमें से कुछ सहज नमस्कार भी करते ! नमस्कार का आदान प्रदान शाखा के आग्रह में बदलने लगा ! दो तीन बार टालने के बाद भी वे आग्रह करते ही रहे तो शाखा जाना शुरू हो गया ! पत्नी ने भी उस हेतु प्रेरित किया ! धीरे धीरे मन के भाव बदलते गए ! सिगरेट कब छूट गई पता ही नही चला ! १९४९ में दीपावली के अवसर पर संघ पर प्रतिवंध के विरुद्ध सत्याग्रह शुरू हुआ ! मित्रों के मना करने के बाद भी हम दोनों पति पत्नी ने सत्याग्रह किया ! पत्नी एक दिन जेल में रहीं और वासवानी जी ४ माह १५ दिन ! जेल में लाठी चार्ज भी हुआ ! इस गिरफ्तारी के कारण नौकरी छूट गई, अतः बाहर आने के बाद आर्थिक कठिनाईयों का सामना किया ! फाकाकशी के दिन भी देखे !

किन्तु स्वयंसेवकों के सहयोग से सेन्ट्रल ट्रेक्टर ऑर्गेनाईजेशन बैरागढ़ में नौकरी लग गई ! बहां से ट्रेक्टर ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग स्टेशन बुधनी में नियुक्त किया गया ! बुधनी में भी संघ से सम्बन्ध बना रहा ! भैयाजी कस्तूरे से आत्मीय सम्बन्ध रहे ! प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग उज्जैन में हुआ ! संघ से संबंधो से चिढकर स्थानीय ईसाई अधिकारी ने हिसार स्थानांतरण करवा दिया ! ४ वर्ष हिसार में रहते समय बहां कार्यवाह आदि दायित्व निभाए ! कुछ समय विवेकानंद स्वाध्याय मंडल में भी काम किया ! एक सिंधी अधिकारी ने आत्मीयता के चलते फिर वापस बुधनी भेजा ! बुधनी में भी कार्यवाह रहे ! बाडी में भी शाखा शुरू की ! 

१९८० में सेवा निवृत्ति के पश्चात एकात्मता यात्रा के समय विश्व हिन्दू परिषद के ३ वर्ष संगठन मंत्री रहे ! सेवा भारती द्वारा संचालित विकलांग आश्रम वा नारीशाला गांधीनगर का काम भी सम्भाला ! २०११ में नगर निगम ने सम्मानित कर ५००० रु. की पुरष्कार राशि भेंट की, उसमें १०० रु. और मिलाकर ५१०० रु. सेवाभारती को ही समर्पित कर दिए !

सिंधु सभा –

प.पू. गुरूजी के समय में सिंधु सभा का कार्य प्रारम्भ हुआ ! श्री वासवानी सिंधु सभा के प्रांतीय अध्यक्ष तथा संयोजक रहे ! जब तक जीवित रहे अखिल भारतीय सिंधु महासभा के प्रांतीय संरक्षक रहे ! हिरदाराम नगर में सभा की और से २५० गरीब महिलाओं को निशुल्क राशन दिया जाता है ! डाक्टर साहब जन्म शताव्दी से प्रारम्भ डा. हेडगेवार होम्योपैथिक चिकित्सालय में ३ महिला डाक्टर तथा एक पुरुष डाक्टर पदस्थ हैं ! विगत २० वर्षों से जिला चिकित्सालय में मरीजों को फल वितरित किये जाते हैं ! गरीबों को भवन निर्माण हेतु ऋण उपलव्ध करवाया जाता है ! चयनित व्यक्ति को भवन बनवाकर भी दिया जाता है ! निशुल्क दवा वितरण तथा गंभीर ऑपरेशन इत्यादि के लिए आर्थिक मदद दी जाती है ! सर्दियों में बिना मुनाफे के आसान किश्तों पर रजाई कम्बल आदि दिए जाते हैं ! अब तक १५ लाख रु. मूल्य का सामान गैस चूल्हे, पंखे, सिलाई मशीन आदि किश्तों पर निर्धनों को दिए गए हैं ! सबसे सुखद बात यह है की आज तक सभा का कोई पैसा डूबा नहीं है !

प्रतिवर्ष ५१ वालकों का यज्ञोपवीत होता है ! उस समय एक मेले ऐसा माहौल बन जाता है ! आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए ११ बाल संस्कार केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं ! पढाई के लिए स्कालर शिप तथा फीस में मदद भी दी जाती है ! उच्च शिक्षा के लिए प्रतिवर्ष ३ बच्चों को दस-दस हजार रुपये प्रदान किये जाते हैं ! म्रत्यु के समय या शादी विवाह के अवसर पर जरूरत मंदों को आर्थिक सहायता उपलव्ध कराई जाती है ! दीपावली के दो दिन पूर्व गरीब महिलाओं के साथ समूचा समाज उतसव मनाकर उन्हें भी खुशी देने का प्रयत्न करता है ! चैती चाँद, संक्रान्ती, लोहड़ी आदि पर्व सामूहिक रूप से मनाये जाते हैं !

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