भारत की रक्षा नीति "जैसे को तैसा" - एक स्वागत योग्य कदम !
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने शनिवार को जो बयान दिया, उससे जहाँ एक ओर पाकिस्तान की घबराहट साफ़ दिखाई देती है, वही दूसरी ओर स्वयं को न बदलने की जिद भी | नौसेना अकादमी की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए जनरल ने आरोप लगाया कि भारत संघर्ष विराम के उल्लंघन द्वारा पाकिस्तान में अस्थिरता पैदा करना चाहता है, तथा वह पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवाद का समर्थन कर रहा है ।
जनरल ने भारत का नाम लिए बगैर कहा कि पूरी दुनिया हमारी सुरक्षा चिंताओं से वाकिफ है । बलूचिस्तान में रक्तपात व जनजातीय क्षेत्रों में असंतोष को भड़काने के पीछे कौन है, यह पूरी दुनिया जानती है । उन्होंने कहा कि शांति के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों के साथ सहयोग करने की इच्छा रखता है किन्तु अपने राष्ट्रीय हितों, संप्रभुता और राष्ट्रीय गौरव की कीमत पर नहीं ।
अगर जनरल शरीफ द्वारा कही गई बातों को सही माना जाए तो संभवतः भारत पहली बार “जैसे को तैसा” वाली नीति अपना रहा है, और शायद पाकिस्तान जैसे कुटिल शत्रु का सामना करने के लिए भारत को बहुत पहले से यह नीति अख्तियार कर लेना चाहिए थी | पाकिस्तान न केवल कश्मीर में अलगाववादी शक्तियों को लगातार समर्थन देता रहा है, बल्कि चीन के साथ मिलकर उसके द्वारा विकसित किया जाने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPCEC) एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह भारत के विरुद्ध स्वयं को तैयार करने का मंसूबा ही प्रदर्शित करने वाला है |
इसी परिप्रेक्ष में राहील शरीफ का यह कथन गौर करने लायक है कि पाकिस्तान नए बंदरगाहों के निर्माण तथा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी रखेगा | कश्मीर की रक्षा के लिए वह कोई भी कीमत अदा करने को तैयार है | तीन दिन पूर्व ही सेना प्रमुख द्वारा की गई यह टिप्पणी भी ध्यान देने योग्य है कि किसी को पाकिस्तान पर बुरी नजर डालने की हिम्मत नहीं दिखाना चाहिए, उसके गंभीर परिणाम होंगे । इसका सीधा साधा अर्थ यह है कि पाकिस्तान किसी कीमत पर भारत के विरुद्ध अपने दृष्टिकोण को बदलना नहीं चाहता |
कुल मिलाकर म्यांमार में आतंकियों के खिलाफ की गई कार्यवाही ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है | अब यह बेचैनी अब और क्या गुल खिलायेगी यह समय के गर्भ में है | जहां तक मोदी सरकार की विदेश व रक्षा नीति का प्रश्न है, आम जनमानस उससे पूर्णतः संतुष्ट भी है, और उसके पूर्णतः पक्ष में भी |
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