गंगा में नाले गिराना पतित पावनी गंगा की हत्या - जगद्गुरू राजराजेश्वराश्रम


देहरादून 14 जुलाई (विसंके)। जगदगुरू राजराजेश्वराश्रम ने कहा कि गंगा को बचाने का अर्थ भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बचाना है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि जो लोग गंगा में सीधे नाले को मिला रहे हैं वे पतित पावनी गंगा की हत्या कर रहे है और गंगा की ह्त्या, भारतीय सभ्यता और संस्कृति की भी हत्या है | अतः गंगा में नाला मिलाने के लिए जिम्मेदार लोगों पर धारा 307 लगाकर उन पर हत्या का आरोप लगाए जाना चाहिए। 

उक्त विचार देहरादून के नगर निगम सभागार में नमामि गंगे स्वच्छता अभियान के तहत आयोजित एक गोष्ठी का मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जगदगुरू राजराजेश्वराश्रम ने व्यक्त किये । उन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का जो बीड़ा उठाया है, उसमें हम सब को लगना होगा तभी भारत और भारतीयता बचेगी। श्री राजराजेश्वराश्रम जी ने कहा कि नमामि गंगे अभियान से अधिक से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के साथ साथ स्वच्छता के प्रति भी जागरुक करना होगा। 

प्रख्यात पर्यायवरणविद हैस्को के संचालक पद्मश्री डा. अनिल जोशी ने इस अवसर पर रीति रिवाजों को आधुनिक बनाने की हिमायत की ताकि उनका वैज्ञानिक लाभ आम आदमी के मिले। प्रख्यात वैज्ञानिक व पर्यावरणविद डा. बृज मोहन शर्मा ने कहा कि रीतियों का आधुनिकीकरण समय की मांग है। सभी रीति रिवाजों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। डा. शर्मा ने कहा कि पहले समिधा और हवन सामग्री शुद्ध हुआ करती थी, आज वे अशुद्ध हैं जिनका परिणाम गंगा पर भी पड़ रहा है। उन्होंने रोली का उदाहरण देते हुए कहा कि आज रोली में 0.5 ग्राम लेड है, जिसे नदी में प्रवाहित करने से न केवल मछलियों जीव जन्तुओं को नुक्सान होता है, बल्कि उस जल से सिंचित होने वाले खेतों को भी नुकसान पहुंचता है। यही स्थिति अन्य सामानों की भी है। वक्ताओं ने मूलतः गंगा की स्वच्छता और पवित्रता पर चर्चा की।

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