भारत के हिमाचल स्थित एक गाँव, जिसे कहा जाता है मिनी इजराइल

भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित है एक गाँव कसोल ! 1640 मीटर की उंचाई पर स्थित ये जगह पार्वती नदी के किनारे पर भुंतर से मणिकर्ण के रास्ते पर स्थित है ! कुल्लू से करीब 42 किलोमीटर दूर यहां पर आकर ऐसा लगता ही नही है कि हम भारत में हैं बल्कि लगता है कि हम ईजराईल में आ गये हैं ! इसीलिये इसे मिनी इजराइल भी कहा जाता है !

कसोल क़स्बे में घुसते ही तंबुओं की क़तारें और उनके सामने खड़ी मोटरसाइकिलें दिखती हैं ! यहां के रेस्तरां में सारे मैन्यू हिब्रू भाषा में है ! नमस्कार की जगह आपको 'शलोम' सुनाई पड़ेगा और यूं ही घूमते फिरते कई इसराइलियों से आपका सामना होगा ! यहां शाम की बयार में लहराते दिखते हैं तिब्बती या स्टार ऑफ़ डेविड वाले इसराइली झंडे ! दरअसल कसोल हिपी कल्चर का गढ़ बना हुआ है ! कहा जाता है कि कसोल में इजराइली चरस-गांजा पीने, ड्रग्स में डूबकर मौज-मस्ती करने आते हैं जिसे वह निर्वाण का नाम देते है !

जहां विदेशियों ने माहौल बनाया हो, वहां पर भारतीय टूरिस्ट भी खिंचे चले आते हैं ! मगर क्या हो, जब भारत की ही जमीन पर बने रेस्तरां में भारतीयों की एंट्री बैन हो ? जी हां, जिस कसोल में आपको हिब्रू में साइन बोर्ड तक लगे दिखते हैं, वहां पर एक ऐसा रेस्तरां हैं, जिसमें भारतीयों के प्रवेश पर बैन लगा हुआ है ! कुछ समय पूर्व सोशल नेटवर्किंग साईट पर एक यूजर ने एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी थी कि 'इजरायलियों ने भारत में फ्री कसोल नाम से कैफे बनाया है, जिसमें भारतीयों की एंट्री बैन है ! उन्होंने एक गोरे दोस्त को तो जाने दिया, मगर भारतीय को रोक दिया !' इस पोस्ट में बताया गया कि कैफ़े का मालिक भारतीय है और पिछले 15 साल से हर साल इजरायल जा रहा है !

अगर यह घटना सच है तो बहुद दुखद है ! हिमाचल प्रदेश में आकर ड्रग्स कल्चर को बढ़ावा देना, भारतीयों के साथ भेदभाव करना बेहद गलत है ! हिमाचल प्रदेश अपनी पहचान खोता जा रहा है ! टूरिजम को प्रमोट करने का यह मतलब नहीं है कि किसी भी तरह की मनमानी को बढ़ावा दिया जाए ! हिमाचल प्रदेश सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और इस कैफे समेत कसोल में चल रहे खेल पर लगाम लगानी चाहिए !

लोग बताते हैं कि शुरुआत में इसराइली कसोल आए तो उन्होंने जगह किराए पर लीं ! उन्होंने अपने गेस्ट हाउस, कैफ़े चलाए और ख़ुद में मस्त रहे ! उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और लोगों ने उन्हें अपनी जगहें दे दीं क्योंकि उन्हें यक़ीन था कि इससे वहां व्यापार बढ़ेगा !

इसराइल से आए हुए रब्बी इस इलाक़े पर अधिकार को लेकर अलग अलग तरह के दावे भी किए जाने लगे हैं ! भारतीय पर्यटक इस जगह को अपना मानते हैं ! इसके अलावा गांव में एक तरह की राष्ट्रवादी भावना भी उभरने लगी है ! इसराइलियों का कहना है कि उन्होंने जंगल के बीच इस जगह को ढूंढ निकाला था ! लिहाज़ा इस पर उनका पहला अधिकार है ! यह इलाक़ा उन लोगों को ज़्यादा लुभाता है जो हर तरह की आज़ादी चाहते हैं और ख़ुद को विद्रोही समझते हैं !

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