हिंदुत्व के पुरोधा श्री अशोक जी सिंघल ने अंतिम विदाई ली |

आज लम्बी बीमारी के बाद अंततः हिंदुत्व के पुरोधा श्री अशोक सिंघल जी ने अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की | आज गुडगाँव के मेदान्ता अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली | उन्हें तीन दिन पूर्व  गंभीर स्थिति में वहां भर्ती कराया गया था | उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, अतः उन्हें बेन्टीलेटर पर रखा गया | किन्तु डॉक्टरों का प्रयत्न असफल हुआ और अशोक जी सिंघल ने संसार से विदा ले ली |

स्मरणीय है कि विगत 1 अक्टूबर को ही श्री अशोक सिंघल का 90 वां जन्मदिवस मनाया गया था | इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत, केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह सहित अनेक केन्द्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में श्री अशोक सिंघल जी के जीवन वृत्त पर आधारित पुस्तक “हिंदुत्व के पुरोधा” का लोकार्पण किया गया था |

श्री अशोक सिंघल का जन्म 1926 में हुआ था | उन्होंने लगातार 20 वर्षों तक विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य किया | दिसंबर 2011 में स्वास्थ्य समस्या को देखते हुए उन्होंने अपन पद त्याग दिया व उनके स्थान पर प्रवीण भाई तोगड़िया ने यह उत्तरदायित्व संभाला ।

उनका जन्म आगरा में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी अधिकारी थे। उन्होंने 1950 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी इंस्टीट्यूट से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका सम्बन्ध 1942 से प्रारम्भ हुआ जो आजीवन रहा | स्नातक डिग्री लेने के बाद वे संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए । उन्होंने उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों पर प्रचारक के रूप में काम किया | बाद में वे दिल्ली और हरियाणा के प्रांत प्रचारक बने । 

1981 में मीनाक्षीपुरम में हुई धर्मांतरण की घटना के बाद श्री सिंघल को विश्व हिन्दू परिषद् का संयुक्त महासचिव नियुक्त किया गया । मंदिर प्रवेश को लेकर दलित समुदायों की मुख्य शिकायत को देखते हुए विश्व हिन्दू परिषद् ने विशेष रूप से दलितों के लिए 200 मंदिरों का निर्माण किया। उसके बाद धर्मान्तरण की घटनाओं में व्यापक कमी आई ।

1984 में उन्होंने पहले महासचिव और उसके बाद में 2011 तक कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका निर्वाह की |

श्री सिंघल हिन्दुस्तानी संगीत के भी एक प्रशिक्षित गायक थे। उन्होंने पंडित ओमकारनाथ ठाकुर से संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी । 

1984 में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद के श्री सिंघल मुख्य आयोजक थे | स्मरणीय है कि इस धर्म संसद में सैंकड़ों साधू संतों और हिन्दू विचारकों ने भाग लेकर हिंदू धर्म से सम्बंधित अनेक मुद्दों पर चर्चा की थी तथा इसी धर्म संसद में रामजन्मभूमि मंदिर आंदोलन की रूपरेखा बनी थी । और उसके बाद तो जैसा हम सभी जानते हैं कि श्री सिंघल रामजन्मभूमि आंदोलन के मुख्य वास्तुकार बन गये थे ।

उनके श्रीचरणों में सादर श्रद्धांजलि | बैसे उनको सच्ची श्रद्धांजलि तो उनकी अंतिम इच्छा की पूर्ति से ही होगी, और वह है श्री रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण |

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