दिल्ली के दरवाजे पर अतिवादियों का कहर !

संडे गार्जियन में आज प्रकाशित एक लेख के अनुसार दिल्ली के ठीक दरवाजे पर, राष्ट्रीय राजधानी से महज 50 किमी के फासले पर, कट्टरपंथी मुस्लिम मानसिकता और उदारवादी वासिंदों के बीच एक भीषण संघर्ष जारी है | नफ़रत और रूढ़िवाद का सन्देश अपने सम्पूर्ण बीभत्स स्वरुप के साथ चरम पर प्रसारित किया जा रहा है | बहरहाल ग्रेटर नोएडा का यह छोटा सा गाँव दनकौर पूरी सिद्दत के साथ जूझ रहा है । इस गाँव की शैक्षिक और सामाजिक स्थिति की चर्चा करें तो यहाँ मुख्य रूप से अपेक्षाकृत नरम कहे जाने वाले बरेलवी संप्रदाय के अनुयायी निवास करते हैं | उन पर तथा थोड़े बहुत हिन्दुओं पर देवबंद संप्रदाय से संबंधित कट्टरपंथी विचारधारा का हमला चल रहा है । इसका ताजा उदाहरण 26 जनवरी को देखने को मिला, जब इन तत्वों ने सैयद भूरे शाह मुस्लिम गर्ल्स स्कूल में झंडा फहराने की रस्म का विरोध किया । कट्टरपंथी तत्वों का यह बढ़ता प्रभाव निकट भविष्य में क्षेत्र की स्थिति को अस्थिर तो करेगा ही, राष्ट्रीय सुरक्षा को भी गंभीर खतरा बनने की संभावना है ।

संभवतः यह भारत का इकलौता स्कूल होगा जहाँ गणतंत्र दिवस समारोह बिना एक भी बच्चे के संपन्न हुआ, इसके लिए देवबंदी तत्वों को धन्यवाद दिया जा सकता है । उनके दबाव के चलते भयभीत शिक्षकों ने बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल को बंद रखने में ही भलाई समझी । स्कूल के संचालक सैयद भूरेशाह ट्रस्ट के सचिव कादिर खान जायसवाल का कहना है कि हमारी गलती केवल इतनी है कि हम आधुनिक शिक्षा प्रदान करते हैं, इसके अतिरिक्त हम अरबी और उर्दू के साथ बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी भी सिखा रहे थे ।

दनकौर के स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले गाँव में हिंदू और मुसलमान शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व कि भावना के साथ रहते थे, किन्तु सात-आठ साल पहले यहां पहुंचे देवबंद संप्रदाय के कट्टरपंथी तत्वों ने सबकुछ अस्तव्यस्त कर दिया । इन तत्वों ने वैचारिक आधार पर मुसलमानों को विभाजित कर दिया है, यहाँ तक कि दरगाह जाने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से कम हो गई है।

बरेलवी सांप्रदायिक सौहार्द चाहते हैं। दशकों से हिंदू और मुसलमान यहाँ शांति से रहते आये हैं। लेकिन देवबंदी आधुनिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों और मदरसों के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि स्कूलों में केवल धर्मशास्त्र सिखाया जाए । आठ नौ साल पहमे पास के गाँव रबूपुरा से आकर बसे कट्टरपंथी विचारधारा के प्रमुख डॉ. हबीब अहमद ने बरेलवियों के उदारवादी लोगों के खिलाफ अभियान सा छेड़ दिया है ।

हबीब ने यहाँ के प्रमुख धर्मस्थल द्रोणाचार्य मंदिर से महज 100 मीटर दूरी पर मांस की दुकानें खुलवा दी हैं | उद्देश्य एक ही है कि कैसे हिंदुओं और मुसलमानों को लड़वाया जाए । स्थानीय निवासी आबिद हो अथवा हलवाई की दूकान चलने वाले अनिल गोयल सबका मानना है कि अतिवादी तत्व क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा कर रहे हैं । पांच-छह महीने पहले एक भैंस की हत्या को लेकर दोनों समुदायों के बीच झड़प भी हुई थी ।

एक कपड़ा व्यापारी निजामुद्दीन ने बताया कि कैसे इन अतिवादी तत्वों ने मदरसे को बंद करवाया । सैयद भूरेशाह मुस्लिम गर्ल्स स्कूल की दो महिला शिक्षक जब स्कूल से बाहर आ रही थीं, तब कट्टरपंथियों ने उन पर पथराव किया, सड़े टमाटर भी फेंके । इन तत्वों ने स्कूल के पंखे और फर्नीचर की भी तोड़फोड़ की | उनका कहना था कि वे बच्चों को अंग्रेजी और हिंदी नहीं पढ़ाने देंगे । हैवानियत की हद देखिये कि उन लोगों ने पढ़ने आने वाले बच्चों से अप्राकृतिक कृत्य भी किये |

निजामुद्दीन ने बताया कि इन तत्वों ने एक बार स्कूल के दरवाजों में विद्युत् करेंट प्रवाहित कर दिया । इश्वर की कृपा से, कोई दुर्घटना तो नहीं हुई लेकिन बच्चों के माता पिता डर गये और बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया ।

जायसवाल ने आरोप लगाया कि डॉ हबीब शिक्षा और आधुनिकीकरण का विरोधी है । जबकि हम मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार के एजेंडे का समर्थन करते हैं । आधुनिक शिक्षा के माध्यम से ही युवकों को रोजगार के अवसर मिलते हैं । लेकिन स्वयं को इस्लाम का संरक्षक मानने वाला डॉ. हबीब अपने कट्टरपंथी एजेंडे पर काम कर रहा है। दीन (धर्म की शिक्षाओं) के प्रचार के नाम पर, वे बच्चों को भी अतिवादी बना रहे हैं। कैंसर की तरह यह विषाणु पूरे दनकौर में फ़ैल रहा है । 

गौतम बुद्ध नगर के सांसद व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के नजदीकी पंकज कौशिक ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उग्रवादी तत्वों दनकौर में तेजी से अपना जाल बिछा रहे हैं । वे तालिबानी शिक्षा के बीज बो रहे हैं। सांप्रदायिक सद्भाव को मटियामेट कर रहे हैं । अगर राज्य सरकार ने तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया तो निकट भविष्य कोई बड़ी अप्रिय दुर्घटना घट सकती है ।

पत्रकारों ने जब सैयद भूरेशाह मुस्लिम गर्ल्स स्कूल का दौरा किया तो लगा मानो किसी खँडहर में पहुँच गए हों । टूटे हुए दरवाजे और असामाजिक तत्वों का अड्डा में बदला स्कूल अपनी दुर्दशा पर रो रहा था । 

इन सारी घटनाओं के पीछे भू-माफिया का नेटवर्क होने का भी संदेह है। कुछ लोग देवबंदी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर नजर गड़ाए हुए हैं । सैयद भूरेशाह ट्रस्ट अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अधिकृत है। यह भू-माफिया अवैध रूप से इन धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा जमाना या बेचना चाहता है |

आधार - http://www.sundayguardianlive.com/investigation/2893-radicals-land-delhi%E2%80%99s-doorstep
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