एक खुला ख़त श्री राजीव गांधी के नाम - रविकांत

प्रति,राहुल गांधीसांसद/ महासचिवभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

राहुल जी, आज आप का JNU में दिया भाषण सुना और मजबूर हुआ ये पत्र लिखने को। आज आपने महज दो हजार छात्रो के सामने ही भाषण नहीं दिया बल्कि आपने छात्र के लिबास में वहां घूम रहे राष्ट्र विरोधी ताकतों को भी सम्बल प्रदान कर दिया कि हिंदुस्तान मुर्दाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने पर उस राजनैतिक दल को कोई आपत्ति नहीं है जिसने आजादी के 60 सालो बाद तक इस देश की कमान संभाली है और भविष्य में भी इस देश की कमान सँभालने को अपना स्वाभाविक हक़ मानती है।

राहुल,आपने JNU में कहा कि छात्रो की आवाज दबाने वाला सबसे बड़ा राष्ट्रद्रोही है। आपका मतलब हिंदुस्तान की न्यायपालिका ने आप की ही सरकार के दौरान जिस आतंकवादी अफजल गुरु को फाँसी दी थी उसको नाजायज मान कर उसे शहीद का दर्जा देने वाले राष्ट्रद्रोही पर अगर सरकार कार्यवाही करती है तो क्या वो सरकार राष्ट्रद्रोही सरकार है।

राहुल जी आप ने कहा कि युवा अपनी बात कहते है तो सरकार उन्हें देशद्रोही कहती है। आप का मतलब है कि "कितने अफजल तुम मारोगो-हर घर से अफजल निकलेगा" के नारे लगाने वाले और... "हमको चाहिए आजादी" के नारे लगाने वालो को सरकार ने सम्मानित करना था ?

रोलिंस कालेज से स्नातक और केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मिली एम्फिल की डिग्री आप को किस पढाई पर मिली मैं ये नही जानता पर इतना जरूर लगता है कि आज का आप का भाषण न आपकी दादी स्व.इंदिरा गांधी को पसंद आया होगा और न आप के पिता स्व.राजीव गांधी को। उन्हें भी आज शायद यही लगा होगा की उन्हें आप को हिंदुस्तान के किसी सरकारी स्कूल में पढ़ाना था जहाँ और कुछ पढ़ाया जाय या न पढ़ाया जाय राष्ट्रभक्ति के भाव जरूर आपको मिलते।

आप मेरी इस समीक्षा को संघी या भाजपाई होंने से जोड़ कर प्लीज ख़ारिज मत कीजियेगा। हाँ मैं हूँ एक भारतीय पर आज संघी या भाजपाई कहलाना भी पसन्द कर लूंगा, क्योंकि जानता हूँ ये सब होने से पहले मै एक हिंदुस्तानी हूँ और आप ने आज मेरे जैसे करोडो हिन्दुस्तानियो का दिल दुखाया है। हिंदुस्तान को गाली और पाकिस्तान के लिए दुआ मांगने वालो के साथ आप के खड़े होने से एक सच्चा हिंदुस्तानी होने की वजह से वाकई शर्म से आज मेरा सर झुक गया।

आज आपके एक भाषण ने वो कर दिया जो पाकिस्तान की पूरी आईएसआई और सैकड़ो हाफिज सईद भी मिलकर नहीं कर पाते शायद। 

वो है हम हिंदुस्तानियो का मनोबल तोड़ना...

देश के सैनिको के मन में इस प्रश्न को पैदा करना कि वो अपनी जान की बाजी किसके लिए और क्यों लगा रहे है?

मैंने सीताराम येचुरी को कोई पत्र नहीं लिखा क्योंकि मुझे उनसे उम्मीद थी कि वह ऐसा ही कुछ कहेंगे। पर आप से इस भाषण की उम्मीद मुझे कतई नहीं थी।

राहुल जी..

आप नरेंद्र मोदी से नफरत कीजिये वो आप का हक़ है पर,

देश से आप प्यार करेंगे ये तो उम्मीद हम रख सकते है न ?

आप भारतीय जनता पार्टी को खूब भला बुरा बोलिये, वो भी आप का हक़ है

मगर राहुल जी

देश को भला बुरा बोलने वालो के साथ आप नहीं खड़े होंगे ये उम्मीद तो हम रख ही सकते है न ??

फिर क्यों ???

आखिर क्यों ?????

राहुल जी JNU मामले में आप दो दिन चुप रहे तो लगा कि आप भी भारत जिंदाबाद करने वालो के साथ है, मगर जब आपने बोला तो अफसोस...

आपने देश को,आतंकवाद के मामले में, दो भाग में बाँट दिया...।

भारत की विश्व भर में आतंकवाद के मुद्दे पर छेड़ी गई लड़ाई को घरेलू मोर्चे पर ही आपने कमजोर कर दिया।

जरा सोच के देखियेगा कि आप के एक भाषण ने कश्मीर मुद्दे पर भारत को कितनी क्षति पहुचाई है ? 

इशरत जहाँ आतंकवादी थी ये हेडली की गवाही से एक बार फिर साबित हुआ है। अब आप अपनी और अपनी पार्टी के पिछले बयानों और क्रियाकलापो पर चिंतन कीजिए। नफरत की हद तक मोदी विरोध की तीव्र इच्छा और प्रयास ने आप को देश द्रोहियो के कवच-कुंडल की तरह तो नहीं खड़ा कर दिया है? 

चिंतन कीजिये !!

मुझे आप की राष्ट्रभक्ति पे प्रश्नचिन्ह लगाने का कोई हक़ नहीं है और न मैं कोई प्रश्नचिन्ह लगा रहा हूँ !

मुझे आपकी राष्ट्रभक्ति के प्रकटीकरण के उस तरीके पर एतराज है जो दुश्मनो का मनोबल बढाये और राष्ट्रभक्तो का मनोबल तोड़े। ये तब भी होता है जब देश का प्रधानमंत्री विश्व मंच पर आतंकवाद के खात्मे का नारा दे कर पूरे विश्व को एक करता है और उसके घर लौटने से पहले आप उसकी छिछालेदर में जुट जाते है।

दिग्विजय सिंह की क्लास में जहाँ आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को "ओसामा जी" कह कर बुलाने की शिक्षा दी जाती है। ऐसी क्लास भी ठीक नहीं है।

राहुल जी अभी एक न्यूज़ चॅनल ने दिल्ली में सर्वे कराया जिसमे उसने आप की लोकप्रियता सात प्रतिशत बताई। मुझे लगता है कि यह आंकड़ा दिल्ली में आपकी पार्टी को मिलने वाले व्होट प्रतिशत से भी बेहद कम है।आप और आपकी पार्टी ने इस सर्वे को नकारा नहीं है। तो अगर ये सर्वे सही है तो मेरी आपको सलाह है कि आप अपने काम करने का तरीका बदले और अपनी राष्ट्रभक्ति के प्रस्तुतिकरण के तरीके पर आत्मचिंतन अवश्य करे। क्योंकि अगर आपके इस प्रगटीकरण और भाषण से हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी पाकिस्तान में बैठ कर खुश हो रहे है तो कही न कही कुछ गड़बड़ जरूर है!!

और कुछ नहीं तो अपने भाषण लिखने वाले को तो आज ही बदल डालिये।

आपका हीएक शुभचिंतक

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